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डाॅयबेटिक फुट वर्कशॉप में 300 से ज्यादा डेलीगेट लेंगे भाग

पूर्णिया : क्लीनिकल कार्डियो एंड डाॅयबिटिक सोसाइटी ऑफ इंडिया (सीसीडीएसआइ) के बिहार झारखंड इकाई का तीसरा वार्षिक सम्मेलन आगामी छह अप्रैल से पूर्णिया में आयोजित किया जायेगा. मरंगा स्थित वीवीआइटी परिसर में आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन में देश के जानेमाने विशेषज्ञ शिरकत करेंगे. यह जानकारी सीसीडीएसआइ के बिहार झारखंड इकाई के अध्यक्ष डाॅॅ देवी […]

पूर्णिया : क्लीनिकल कार्डियो एंड डाॅयबिटिक सोसाइटी ऑफ इंडिया (सीसीडीएसआइ) के बिहार झारखंड इकाई का तीसरा वार्षिक सम्मेलन आगामी छह अप्रैल से पूर्णिया में आयोजित किया जायेगा. मरंगा स्थित वीवीआइटी परिसर में आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन में देश के जानेमाने विशेषज्ञ शिरकत करेंगे. यह जानकारी सीसीडीएसआइ के बिहार झारखंड इकाई के अध्यक्ष डाॅॅ देवी राम और सचिव डाॅ आर के मोदी ने संयुक्त रूप से पत्रकारों को दी.

उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन का मकसद हृदय एवं डाॅयबिटिज के क्षेत्र में नयी उपलब्धियों को सभी चिकित्सकों को अवगत कराना है ताकि बीमारी के इलाज में सहयोग और मरीजों का स्वास्थ्य उत्तम हो. सम्मेलन में इस बात की भी चचरा होगी कि इन बीमारियों की रोकथाम कैसे हो और इसके कुपरिणामों से कैसे बचें?
उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में जिन चिकित्सकों ने आने की स्वीकृति दी है उनमें डाॅॅ शरद पेंडसे (नागपुर), डाॅ गोयल (कोलकाता), डाॅ मनीषा देशमुख (पुणे), डाॅ रितूजा (दिल्ली), डाॅ एन एन राय (गया), डाॅ अजय कु सिन्हा (पटना), डाॅ अनिल वीरमानी (जमशेदपुर), डाॅ प्रमोद हृदय रोग (दिल्ली), डाॅ ललित कपूर (कोलकाता), डाॅ संजय सिंह कार्डिएक सर्जन (कोलकाता), डाॅ दीपक जुमानी (मुंबई), डाॅ राजाशेखर (तमिलनाडु) प्रमुख रूप से शामिल हैं.
डाॅ. राम ने बताया कि इस अधिवेशन में हृदय रोग, उच्च रक्त चाप, वसा की बीमारी (हायपरकोलेस्ट्रेमिया), मधुमेह की नई दवाइयां, मधुमेह के लिए न्यूअर इन्सुलिन, गर्भावस्था के दौरान होनेवाली डाॅयबिटीज इत्यादि पर विशेष रूप से चर्चा होगी. इसमें एक पैनल डिस्कशन भी किया जाना है. इसका विषय है किशोरावस्था में होनेवाली टाइप-टू डाॅयबिटीज. चूंकि देखा जा रहा है कि भारत वर्ष में मधुमेह कम उम्र (25-35) में ज्यादा पाया जाने लगा है.
इसके साथ जो अन्य ‌फैक्टर मोटापा, उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्टॉल एवं किडनी और हर्ट की बीमारी भी आरंभिक समय में हो जाती है. यह समस्या एक महामारी की तरह फैल रही है और इसके रोकथाम, सही उपचार और कुपरिणामों से कैसे बचा जाय इसके लिए 7 विशेषज्ञ चिकित्सक प्रकाश डाॅलेंगे.
मधुमेह में पैरों के कंपलिकेशन ज्यादा होते हैं और पैरों की बीमारी से कैसे बचा जाय और इसका कैसे उपचार हो इसकी कार्यशाला अधिवेशन के प्रथम दिन ही की गयी है. (डाॅयबेटिक फुट वर्कशॉप) इस तरह की कार्यशाला का आयोजन बिहार में पहली बार हो रहा है. इस अधिवेशन में करीब 300 से ज्यादा डेलीगेट विभिन्न जगहों से आ रहे हैं. इसकी व्यवस्था के लिए आर्गेनाइजिंग कमेटी बनी है जिसमें विभिन्न कार्यों के लिए विभाग बनाये गये हैं.
पेट्रन डाॅ एस पी सिंह सीनियर (पूर्णिया), डाॅ बी बी ठाकुर (मुजफ्फरपुर), डाॅ एस एम अली (कटिहार), डाॅ ए एन राय (गया), डाॅ के तिवारी (मुजफ्फपुर), साइंटिफिक चेयरमैन डाॅ पी के अग्रवाल, चेयरमैन फिनांस डाॅ एस पी सिंह, रिसेस्पशन चेयरमैन डाॅ के के मिश्रा इसके अलावा अन्य चेयरमैन डाॅ विनोद धारेवा, डाॅ अजय कुमार, डाॅ अरविन्द कुमार, डाॅ ए के पाठक, डाॅ सादिक, डाॅ उमेश, डाॅ सुजीत, डाॅ प्रीतम है.
इस कार्यक्रम में पूर्णिया के सीनियर फिजिशियन डाॅ एस एन क्यू नसर, डाॅ के के घोष, डाॅ के के सिंह, डाॅ ओपी साह, डाॅ बी एन कुमार इत्यादि अपना मार्गदर्शन दे रहे हैं. नये चिकित्सक डाॅ एम के चौधरी, डाॅ प्रकाश तोमर, डाॅ अभिषेक इत्यादि भी काफी तन मन से लगे हैं.
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