10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शहर में रातभर भटकते हैं रिक्शा चालक, कहीं नहीं है रात बिताने का ठौर

पूर्णिया : शहर में पांच हजार से अधिक रिक्शा चालकों के लिए रात बिताने का ठौर नहीं है. वे रातभर छिछियाते हैं. आज भी अधिकांश रिक्शाचालक मंदिरों एवं बाजार की दुकानों के शेड के नीचे रात बिता रहे हैं. बरसात में तो इन्हें खड़े रहने की नौबत हो जाती है. गर्मी में मच्छर इतना आतंक […]

पूर्णिया : शहर में पांच हजार से अधिक रिक्शा चालकों के लिए रात बिताने का ठौर नहीं है. वे रातभर छिछियाते हैं. आज भी अधिकांश रिक्शाचालक मंदिरों एवं बाजार की दुकानों के शेड के नीचे रात बिता रहे हैं.

बरसात में तो इन्हें खड़े रहने की नौबत हो जाती है. गर्मी में मच्छर इतना आतंक फैलाता है कि रातभर रतजगा करनी पड़ती है. इतना ही नहीं गरीब व असहाय यात्रियों के ठहरने के लिए शहर में कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में गरीब एवं असहाय रिक्शा चालकों का एक बड़ा वर्ग रोजाना की परेशानियों से गुजर रहा है.
कहीं नहीं है पेयजल की सुविधा : दूर-दूर तक पेयजल की सुविधा नहीं है. बसेरा के पास एक चापाकल भी नहीं है. आस्था मंदिर चौक पर शहर का एकमात्र यही रैन बसेरा है, जहां लोगों को आश्रय मिल पा रहा है.
ऐसा इसलिए कि यहां सोने के लिए फर्श पर फ्रेम बना हुआ है. साथ ही एक साथ कई रिक्शा चालक को रहने का मौका मिल जाता है. यहां बाहर में फिट-फाट एवं चालू हालत में चापाकल भी हैं.
कई रिक्शा चालक रैन बसेरा के बाहर खुद चूल्हा जला कर खाना पका लेते हैं. पूर्व में यहां 40 से 50 रिक्शा चालक रहते थे अभी यहां 15 से 20 की संख्या में रिक्शा चालक रह रहे हैं. हालांकि यहां की भी व्यवस्था अब दम तोड़ रही है.
रखरखाव के अभाव में शौचालय ध्वस्त : रिक्शा चालकों समेत आम लोगों के लिए एक मात्र शौचालय व यूरिनल टैक्सी स्टैंड में है. लेकिन रखरखाव के अभाव में उसकी हालत खास्ता है. आज की तारीख में वह बेकार पड़ा हुआ है. इसलिए कहा जा सकता है कि शहर में ऐसे तबके के लोगों के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है.
निजी रिक्शा लॉज भी महंगा: यह अलग बात है कि कुछ लोगों ने निजी तौर पर रिक्शा लॉज खोला है. जो गरीब रिक्शा चालकों के लिए महंगा साबित हो रहा है. हालांकि निजी लॉज पर किसी की टिप्पणी नहीं चल सकती क्योंकि इसका संचालन निजी तौर पर चल रही है. वह भी तो विषम परिस्थिति में.
रैन बसेरा पर स्थानीय लोगों का कब्जा
वर्ष 2014 में नगर निगम ने रैन-बसेरा को संवारने की घोषणा भी की लेकिन सूरत नहीं बदल सकी.
बस स्टैंड स्थित रैन बसेरा पहले वहीं के दुकानदारों के कब्जे में था. इसके बाद उस पर किसी अन्य दुकानदार का कब्जा हो गया. कुछ दिनों बाद वहां से दुकानदार हट गये अब वह यूरिनल बन गया है. बस स्टैंड के बाहर कोई यूरिनल नहीं रहने से लोग इसी घर में मूत्र त्यागते हैं.
गिरजा चौक स्थित रैन बसेरा दिन भर खुला एवं खाली और रात में एक व्यक्ति का स्टोर रूम बन जाता है. इसके अंदर आसपास के दुकानदारों के कुछ सामान रखे रहते हैं. इस रैन बसेरा का गेट अंदर से बंद है और शौचालय की स्थिति अच्छी नहीं है.
लाइन बाजार के सदर अस्पताल के निकट बने रैन बसेरा की स्थिति अन्य बसेरा से अच्छा जरूर दिखता है मगर यहां लोगों को रात गुजारने का मौका नहीं मिल पाता है. पास के नाश्ते के दुकानदारों ने कहा कि वे ही रात में किसी तरह से इसमें रहते हैं. हालांकि यह रैन बसेरा भी दुकानदारों के लिए स्टोर रूम बना हुआ है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें