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पूर्णिया : …जब दिनकर जी के मना करने पर भी दामाद ने लड़ा चुनाव

अरुण कुमार दिनकर जी के मना करने पर भी दामाद ने लड़ा चुनाव पूर्णिया : बात सन् 1962 की है, जब देश में तीसरा आम चुनाव हो रहा था. पूर्णिया सीट से कांग्रेस के फनी गोपाल सेन चुनाव लड़ रहे थे. उनके खिलाफ स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी विशेश्वर नारायण शर्मा खड़े थे. पेशे से वकील […]

अरुण कुमार

दिनकर जी के मना करने पर भी दामाद ने लड़ा चुनाव

पूर्णिया : बात सन् 1962 की है, जब देश में तीसरा आम चुनाव हो रहा था. पूर्णिया सीट से कांग्रेस के फनी गोपाल सेन चुनाव लड़ रहे थे. उनके खिलाफ स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी विशेश्वर नारायण शर्मा खड़े थे. पेशे से वकील विशेश्वर नारायण शर्मा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के दामाद थे. तब दिनकर जी राज्यसभा सांसद थे और नेहरू जी के काफी करीब थे.

एक तो दिनकर जी के दामाद और दूसरा पूरा परिवार कांग्रेसी. शर्मा जी के पिता रूद्र नारायण शर्मा कांग्रेसी थे और जिला कांग्रेस कमेटी में वे उपाध्यक्ष भी थे. परेशानी यह थी कि वे कांग्रेस के खिलाफ कैसे चुनाव लड़ें. एक तरफ दिनकर जी परेशान, तो दूसरी तरफ उनके पिता. जब दिनकर जी को इस बात की भनक लगी, तो उन्होंने चुनाव लड़ने से उन्हें मना किया. लेकिन, शर्मा अपनी जिद पर अड़े रहे. बात दामाद जी की थी, इसलिए वे चाहकर भी उन पर दबाव डाल नहीं पाये.

बात बनते नहीं देख उन्होंने सुधांशु बाबू को इसकी जवाबदेही सौंपी. उनसे कहलवाया कि अगर इतना ही शौक है, तो वे नेहरू जी से सिफारिश कर उन्हें राज्यसभा से संसद भेजवा देंगे पर उनकी जिद थी कि वे जनता से चुनकर संसद जायेंगे. अंतत: वे चुनाव में खड़े हो गये. शर्मा जी के पिता रूद्र नारायण बाबू ने तो साफ कह दिया था कि बतौर कांग्रेसी वे अपने बेटे का किसी कीमत पर साथ नहीं देंगे. उन्होंने ऐसा किया भी. उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया.

पहली बार हेलीकाॅप्टर से हुआ था चुनाव प्रचार

कहते हैं कि पूर्णिया में पहली बार 1962 में हेलीकाॅप्टर से चुनाव प्रचार किया गया था. दरअसल स्वतंत्र पार्टी का गठन राष्ट्रीय स्तर पर हुआ था. इसके मुख्य कर्ता-धर्ता सी. राजगोपालचारी थे. वे स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल थे. उन्होंने ही प्रचार के लिए हेलीकाॅप्टर भेजा था.

तब पूर्णिया लोकसभा के अन्तर्गत पूर्णिया, अररिया और किशनगंज जिला एक साथ था. विशेश्वर नारायण शर्मा के पुत्र त्रिपुरारी शर्मा बताते हैं कि उनके चाचा हर सुबह इंजीनियर को लेकर हेलीकाॅप्टर के पास जाते थे. पहले स्टार्ट कर एक-से दो घंटे तक इंजन गरम किया जाता था, फिर उड़ते थे. तब पूर्णिया कोर्ट स्टेशन के समीप हवाई अड्डा था. उस समय भी हेलीकाॅप्टर से चुनाव प्रचार की अनुमति ली जाती थी.

कांग्रेस के फनी गोपाल सेन जीत गये थे: इस चुनाव में विशेश्वर नारायण शर्मा को हार का मुंह देखना पड़ा, लेकिन जबर्दस्त टक्कर दी थी. कांग्रेस के प्रत्याशी फनी गोपाल सेन ने करीब 69 हजार मतों से उन्हें हराकर हैट्रिक लगायी थी. विशेश्वर नारायण शर्मा को 23 फीसदी और फनी बाबू को 55 फीसदी मत मिले थे.

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