सिमटती सौरा को वास्तविक स्वरूप देकर संवारने की जरूरत

पूर्णिया : सौरा नदी को बचाने के लिये मास्टर प्लान बनाया जाना लाजिमी माना जा रहा है और यह तभी संभव है जब केंद्र व राज्य सरकार की नजर ए इनायत हो. पूर्णिया के बुद्धिजीवियों ने इसके लिए जनप्रतिनिधियों से आगे आने की अपील की है और कहा है कि शहर को जीवन देने वाली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 12, 2019 4:49 AM

पूर्णिया : सौरा नदी को बचाने के लिये मास्टर प्लान बनाया जाना लाजिमी माना जा रहा है और यह तभी संभव है जब केंद्र व राज्य सरकार की नजर ए इनायत हो. पूर्णिया के बुद्धिजीवियों ने इसके लिए जनप्रतिनिधियों से आगे आने की अपील की है और कहा है कि शहर को जीवन देने वाली इस नदी को जीवित रखने में जनप्रतिनिधियों की भूमिका अहम है. पूर्णिया का प्रबुद्ध जनमानस मानता है कि शहर को दो हिस्सों में बांटने वाली सौरा नदी को बचाने के लिये इसे वास्तविक स्वरूप देने के लिए बड़ी कार्ययोजना की जरूरत है.

दरअसल, यह माना जा रहा है कि सौरा का अस्तित्व बचाने के लिए हमें एक बड़ा प्रोजेक्ट बनाना होगा क्योंकि बदलते दौर में सौरा नदी कई जगहों पर संकट में है. कहीं धाराएं आड़ी-तिरछी हो गयी हैं तो कहीं इसमें रुकावट आ गयी है. इसके साथ ही जलकुंभी के कारण नदी की धारा कहीं-कहीं स्थिर हो गयी है जबकि बरसात में कई जगह कटाव की नौबत आ जाती है. शहर के बुजुर्गों की मानें तो खुश्कीबाग में कप्तान पुल के दोनों तरफ सौरा का आकार काफी बड़ा और चौड़ा था.
जानकारों का कहना है कि नदी के पश्चिमी हिस्से में शहर को बचाने के लिए बांध बनाया गया था पर बांध के बाद भी नदी की जमीन थी. बरसात में जब कभी नदी का पानी उफान लेकर बाहर आता था तो इसकी निकासी के लिए छोटी-छोटी धार बनी हुई थी. हालांकि बरसात के बाद धार का पानी सूख जाता था पर करीब दस वर्ष पूर्व तक धार का अस्तित्व बरकरार था. यही वजह है कि सिकुड़ती सिमटती सौरा नदी को वास्तविक स्वरूप देकर संवारने की जरूरत बतायी जा रही है.

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