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न्यूजीलैंड में पालतू कुत्ते की मौत, पटना आकर गंगा में प्रवाहित की अस्थियां, मोक्ष के लिए गया में किया पिंडदान

पूर्णिया: पालतू जानवर पुराने समय से ही इंसान के मददगार रहे हैं और इंसान भी पालतू जानवरों को अपनी जान से भी ज्यादा मानता रहा है. कई ऐसे किस्से अक्सर सामने आते रहे हैं जिसमें जानवर ने अपने मालिक के लिए कुर्बानी दी है. मगर, किसी इंसान ने अपने पालतू जानवर के लिए कुछ किया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 19, 2020 7:02 PM

पूर्णिया: पालतू जानवर पुराने समय से ही इंसान के मददगार रहे हैं और इंसान भी पालतू जानवरों को अपनी जान से भी ज्यादा मानता रहा है. कई ऐसे किस्से अक्सर सामने आते रहे हैं जिसमें जानवर ने अपने मालिक के लिए कुर्बानी दी है. मगर, किसी इंसान ने अपने पालतू जानवर के लिए कुछ किया हो यह विरले ही सुनने को मिलता है पर पूर्णिया के एक संवेदनशील इंसान ने न केवल पालतू जानवर से प्रेम की अनोखी मिसाल कायम की है, बल्कि मनुष्य और जीवों के बीच आत्मिक संबंधों की बानगी भी पेश की है.

हिंदू रीति से विधिवतकिया दाह संस्कार
न्यूजीलैंड में रहने वाले पूर्णिया के प्रमोद चौहान ने अपने प्यारे पालतू कुत्ते की मौत होने पर उसका न केवल हिंदू रीति से विधिवतदाह संस्कार किया, बल्कि न्यूजीलैंड से पटना आकर गंगा में दाह संस्कार के बाद गया जाकर पिंडदान भी किया. अब वे भंडारा की तैयारी कर रहे हैं जिसे आम तौर पर श्राद्ध का भोज कहा जाता है.

प्यार से ‘लाइकन’ पुकारते थे चौहान
प्रमोद चौहान मूल रूप से पूर्णिया के मधुबनी मुहल्ले के रहने वाले हैं जो पिछले एक दशक से न्यूजीलैंड के आलैंड में ही बस गये हैं. श्री चौहान ने न्यूजीलैंड में एक कुत्ता पाल रखा था. उसे प्यार से वे ‘लाइकन’ के नाम से पुकारते थे. घर में वह सबसे इस कदर हिल-मिल गया था कि वह घर के एक सदस्य के रुप में रहने लगा था. करीब एक दशक तक साथ रहने के कारण कुत्ते से प्रमोद चौहान का आत्मीय लगाव हो गया. मगर, इधर एक दिन अचानक लाइकन यानी कुत्ते की मौत हो गयी.

कुत्ते की मौत से पूरा परिवार गम में डूब गया
कुत्ते की मौत से पूरे परिवार को इस कदर सदमा लगा मानो किसी सगे की मौत हो गयी हो. पूरा परिवार गम में डूब गया और फिर प्रमोद चौहान ने हिन्दू रीति के साथ लाइकन यानी कुत्ते का दाह संस्कार किया और उसकी आधी अस्थियां न्यूजीलैंड में और आधी भारत लेकर आये, जहां पटना के पास भावुक और मार्मिक होकर गंगा में प्रवाहित कर दी. इतना ही नहीं, वे पटना से गया पहुंचे और अपने प्यारे लाइकन के मोक्ष के लिए पिंडदान कर उसका श्राद्ध किया.

30 दिन बाद करेंगे भंडारा
प्रमोद चौहान अब गया में हुए श्राद्ध के तीस दिन बीतने का इंतजार कर रहे हैं. तीस दिने पूरा होने पर वे अपने तमाम परिचितों और परिजनों के साथ भंडारा करेंगे. लाइकन की मौत से न केवल श्री चौहान बल्कि उनकी पत्नी रेखा और बेटी तनु सभी गमजदा हैं. तनु भावुक होकर कहती है कि ‘लाइकन उसके लिए भाई से कम नहीं था. उसकी याद आते ही आंख में आंसू आ जाते हैं. प्रकृति प्रेमी एवं प्रमोद चौहान के स्थानीय मित्र हिमकर मिश्र पशुप्रेम के इस प्रसंग को अद्भुत और मानवता के लिए प्रेरक बताते हुए प्रमोद चौहान की इंसानियत को सलाम करते हैं.

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