हर दिन एडमिट हो रहे हैं 15 डायरिया प्रभावित बच्चे
इन दिनों मेडिकल कॉलेज में छोटे बच्चों को इलाज के लिए लेकर आनेवालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है
पूर्णिया. इन दिनों मेडिकल कॉलेज में छोटे बच्चों को इलाज के लिए लेकर आनेवालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. इनमें नन्हें शिशुओं से लेकर सात से आठ वर्ष तक के बच्चे शामिल हैं. ज्यादा संख्या छोटे बच्चों की है ये सभी डायरिया के मामले से जुड़े मरीज हैं. जो उल्टी और दस्त की समस्या से परेशान हैं. राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल में अवस्थित सिर्फ बच्चा वार्ड की अगर बात की जाए तो इन दिनों प्रतिदिन वहां 10 से लेकर 15 की संख्या में डायरिया से ग्रसित बच्चों को भर्ती किया जा रहा है जहां उनका इलाज किया जाता है. कई कई बार तो लगातार इतने पेशेंट वहां पहुंच जाते हैं जिनके लिए बेड कम पड़ जाती है. मजबूरन बच्चा वार्ड की फर्श पर लोगों को अपने बच्चे का इलाज करवाना पड़ता है. इसके अलावा हर दिन ओपीडी में भी नन्हे बच्चों की स्वास्थ्य समस्या को लेकर प्रत्येक दिन बच्चों के साथ महिलाओं की लंबी कतारें देखी जा सकती है. चिकित्सकों का कहना है कि बढ़ती गरमी और उमस की वजह से अनेक तरह के संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ जाता है. अभी गर्मी बढ़ेगी और बारिश भी होगी तो मच्छर मक्खियों का प्रकोप भी बढेगा साथ ही खान पान की चीजों में भी सडन गलन बढ़ेगी जिसकी वजह से डायरिया के बढ़ने की संभावना और तेज हो जायेगी.
डिहाइड्रेशन से बचने की जरूरत :
हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि इन दिनों स्वास्थ्य के साथ की गयी किसी भी तरह की लापरवाही के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. गंदगियों और दूषित स्थानों पर लगने वाले ठेलों, बासी भोजनों या किसी भी प्रकार से खराब हो चुके सामग्रियों और दूषित पेयजल के इस्तेमाल से बचना होगा. साथ ही खाना पान में ताजे भोजन और स्वच्छ पेयजल के साथ, आसपास की स्वच्छता का भी ध्यान रखना होगा बावजूद इसके अगर किसी को भी उल्टी दस्त या डायरिया की शिकायत हो जाए तो सबसे पहले उसके शरीर को निर्जलीकरण होने से बचाना जरुरी है इसके लिए ओआरएस अथवा नमक चीनी पानी का घोल बनाकर देते रहें और जितनी जल्दी हो सके मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जायें.बोले अधिकारी :
पेडीयट्रीशियन विभाग के डॉ प्रेम प्रकाश ने बताया कि बाहर के खानपान और गंदे तथा संक्रमित पानी आदि से परहेज जरूरी है. शरीर में पानी की कमी न हो इसका ध्यान रखने से मरीज की स्थिति गंभीर होने से बचती है. डायरिया का असर सप्ताह से 10 दिनों तक भी रह सकता है. छोटे बच्चों को माताएं स्तनपान जरुर कराएं. चिकित्सक की सलाह जरूर लें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है