समतामूलक समाज चाहते थे स्वामी जी

पूर्णिया: गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा कि जनेऊ -विवाह गीत के दौरान पुरखों के आमंत्रण में स्वामी सहजानंद सरस्वती का नाम पहले होना चाहिए. स्वामी सहजानंद सरस्वती के जो वंशज हैं उनके यहां जब जनेऊ या फिर विवाह-शादी होता है, तो उसके पहले सात पुश्त के बाबा को याद किया जाता है. मुङो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 20, 2015 11:27 AM
पूर्णिया: गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा कि जनेऊ -विवाह गीत के दौरान पुरखों के आमंत्रण में स्वामी सहजानंद सरस्वती का नाम पहले होना चाहिए. स्वामी सहजानंद सरस्वती के जो वंशज हैं उनके यहां जब जनेऊ या फिर विवाह-शादी होता है, तो उसके पहले सात पुश्त के बाबा को याद किया जाता है. मुङो ऐसा लगता है कि उसमें स्वामी सहजानंद सरस्वती का भी नाम जुड़ जाना चाहिए.

राज्यपाल श्रीमती सिन्हा गुरुवार को कला भवन में स्वामी सहजानंद सरस्वती विचार मंच की ओर से आयोजित स्वामी जी की 126वीं जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थीं. उन्होंने कहा कि स्वामी जी ममता से ओत-प्रोत, समता मूलक और संवेदनशील समाज चाहते थे. आज उनको याद करने से पहले सोचना होगा कि आज के समाज में कौन-कौन सी समस्याएं हैं. कृषि और परिवार की समस्या का समाधान ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. किसानों की यह बदहाली हमारी पंचवर्षीय योजनाओं में खामी का परिणाम है. प्रथम पंचवर्षीय योजना में कृषि को प्राथमिकता न देकर नगर विकास को प्राथमिकता दी गयी.

उन्होंने कहा कि आज बच्चों को पैकेज कमाने के लिए तैयार किया जाता है. यह खुशी की बात है. लेकिन इसके साथ-साथ उसमें संस्कार और भारतीय मूल्यों का भी विकास होना चाहिए. इस मौके पर बेगूसराय सांसद भोला प्रसाद सिंह ने कहा कि कृषि संस्कृति की मां है, बहू है, पत्नी है और कृषि संस्कृति की नेत्री है. स्वामी सहजानंद सरस्वती मां, माटी और मानुष के चैतन्य आत्म हैं. वे भौतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक तीनों विचारधाराओं के समन्वित आकृति हैं. उन्होंने सुभाष बाबू को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. कटिहार के पूर्व सांसद निखिल कुमार चौधरी ने कहा कि स्वामी सहजानंद सरस्वती ने किसानों की समस्या को कांग्रेस दल के अंदर उठा कर बताने का काम किया था.

लेकिन आज उसी किसान को समय पर न तो खाद मिलता है, न बिजली मिलती है और न ही नहर में पानी मिलता है. फसल तैयार होने पर उन्हें उचित दाम भी नहीं मिलता है. वे आजादी के संग्राम के बड़े योद्धा के साथ-साथ राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रतीक थे. अपने अध्यक्षीय भाषण में डीएस कॉलेज कटिहार के पूर्व प्राध्यापक प्रो भरत शर्मा ने कहा कि स्वामी जी ने हमारे सामाजिक पांडित्य पर ध्यान केंद्रित किया था. उन्होंने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि हमारा सम्मान झुकने नहीं पाये. परंतु वर्तमान समय में हमारा वह तेज व प्रहार कुंठित हुआ है.

इसे पुन: स्थापित करने की आवश्यकता है. स्वागत भाषण स्वामी सहजानंद सरस्वती विचार मंच के सचिव पंकज कुमार ने दिया. मंच संचालन दिलीप शर्मा एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो गंगा चौधरी ने किया. इस मौके पर उद्योगपति डीएन चौधरी, बीपीएस के निदेशक भानु भास्कर, एमआइटी के गुलाम हुसैन, मंच के उपाध्यक्ष मनोज चौधरी, संजीव किशोर, कुणाल चौधरी, अमित मुखिया समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे.

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