सिकुड़ते जा रहे शहर के नाले

नालों में कचरे का डंपिंग कर रहे शहरवासी पूर्णिया : शहर में जल निकासी के लिए वर्षो पूर्व बनाये गये अधिकांश नाले सिमट कर रह गये हैं. यह नाले अब जल निकासी का माध्यम कम और लोगों के लिए कूड़ा-कचरा फेंकने का ठिकाना अधिक बन गये हैं. नाला पर अतिक्रमण इस कदर हावी है कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 30, 2015 9:21 AM

नालों में कचरे का डंपिंग कर रहे शहरवासी

पूर्णिया : शहर में जल निकासी के लिए वर्षो पूर्व बनाये गये अधिकांश नाले सिमट कर रह गये हैं. यह नाले अब जल निकासी का माध्यम कम और लोगों के लिए कूड़ा-कचरा फेंकने का ठिकाना अधिक बन गये हैं.

नाला पर अतिक्रमण इस कदर हावी है कि कहीं नाले की जमीन पर सड़क, तो कहीं निजी मकान बन गया है. हाल यह है कि वर्षो पूर्व जो नाला शहर में बारिश के पानी का निकास द्वार हुआ करता था, वह अब खुद के मिट रहे अस्तित्व को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है. यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में शहर का पुराना नाला खोजने से भी नहीं मिलेगा.

ब्रिटिश कालीन लालगंज ड्रेनेज, जो शहर का सबसे बड़ा और लंबा नाला है. दिन ब दिन सिकुड़ता जा रहा है. अधिकांश जगहों पर इसकी चौड़ाई 10-15 फीट में सिमट कर रह गयी है.

जबकि लोगों की मानें तो पूर्व में इसकी चौड़ाई 40-50 फीट तक हुआ करती थी. लगभग 3-4 किलोमीटर लंबी इस नाले पर शहर के महत्वपूर्ण मुहल्लों की पानी निकासी का लोड है. शहर के बीचों-बीच और घनी आबादी में होने के कारण अधिकांश जगहों पर यह नाला घरेलू अपशिष्ट पदार्थो के डंपिंग का केंद्र बन गया है. इसके अलावा कला भवन, राजेंद्र बाल उद्यान समेत अन्य जगहों पर बना नाला भी अंतिम सांस गिन रहा है.

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