पूर्णिया:- महेशनवमी के अवसर पर माहेश्वरी सभा गुलाबबाग ने भव्य महा रुद्राभिषेक यज्ञ का आयोजन किया .यह आयोजन माहेश्वरी वंशोउत्पत्ति के 5155 वर्ष पूरे होने के शुभ अवसर पर, पाट व्यवसायी भवन के प्रांगण आयोजित की गयी .इस महा रूद्राभिषेक के लिए बनारस से पंडित आचार्य श्री अजय जी महाराज एवं आचार्य रामशरण जी के बुलाया गया था जिनके मुखारबिंद से निकले वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भगवान महेश (शिव) का अभिषेक किया गया .इस दौरान भवन प्रांगण को भव्य रूप से सजाया गया था वहीं माहेश्वरी समाज के लोगो ने संयुक्त रूप से रुद्राभिषेक में भाग लिया और अपने इष्टदेव भगवान महेश की पूजा अर्चना की.
पूजा अर्चना के उपरांत भक्ति भजन का आयोजन किया गया .रुद्राभिषेक में तकरीबन दर्जन भर शिव पिंड और थाल सजाये गए थे जिसकी पूजा के बाद दूध से अभिषेक आचार्य द्वय के वैदिक श्लोक के साथ किया गया .इस दौरान लक्ष्मण जी बजाज ,कैलाश जी लाहौटी ,शुशील जी मुंद्रा ,युगल जी बजाज ,श्याम लोहिया,राजू मालपानी, श्यामसुंदर रामगोपाल लोहिया,गोपालचंद बजाज,पवन लखोटिया,जीतू मुंद्रा ,सुरेश बजाज ,आदिय मुंद्रा अंकित बजाज ,अरबिंद बजाज, रबी मारु, माहेश्वरी सभा के अध्यक्ष प्रदीप सारडा सचिव सुमित लोहिया , पूर्व सचिव दिनेश जी बजाज ,राजेश बजाज ,आंनद बजाज ,सहित सभी माहेश्वरी समाज के महिला-पुरुष, युवक-युवतियां और बच्चे उपस्थित थे .
इस मौके पर सभा के सचिव सुमित लोहिया ने बताया कि माहेश्वरी समाज भगवान महेश के वंशज हैं. बीते वर्षो में कोविड की वजह से सामूहिक कार्यक्रम नही हो पाया था. आज महेश्वरी वंश की उत्पत्ति के 5155 वर्ष पूरा होने पर महा अभिषेक का आयोजन किया गया है. देश विदेश में माहेश्वरी समाज तीन दिनों तक अपने इष्ट की पूजा अर्चना और जन सेवा का कार्य करता है .यह पुरानी परम्परा है. उन्होंने बताया कि महिला मंडल की महिलाओं के द्वारा शहर के सिनौली चौक एवं अन्य चौक चौराहों पर राहगीरों और प्यासों को ठंडा पानी एवं शर्बत पिलाकर सेवा कार्य किया जा रहा है .जिसमे संतोष बजाज ,प्रभा सारडा , सुनीता लोहिया,कमला देवी बजाज, मधु बजाज, साबित लखोटिया ,सरल बिहानी, उषा मालपानी, सहित अन्य महिलाएं सेवा कार्य मे जुटी रहीं .
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महेश नवमी के अवसर पर गुलाबबाग के पाट व्यवसायी भवन में रुद्राभिषेक के दौरान सभा के अध्यक्ष प्रदीप सारड़ा एवं सचिव सुमित लोहिया ने संयुक्त रूप से कहा कि ,आज का दिन मोक्ष ,मानवता और आराधना का दिन है ,धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हमारे पूर्वज जो क्षत्रिय वंश के थे .शिकार के दौरान जिनके कार्यविधि स्व ऋषियों के यज्ञ में विघ्न उत्पन्न हो गया था और ऋषियों ने उन्हें श्राप दे दिया. जिस श्राप से महेश्वरी समाज के लोग ग्रसित हो गये थे .
तब ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के नवमी के दिन भगवान शिव ने उन्हें श्राप से मुक्त कर अपनी उपाधि दी थी. जिसके बाद महेश्वरी समाज क्षत्रिय वर्ण को छोड़ वैश्य वर्ण में शामिल होकर भगवान महेश के नाम से माहेश्वरी समाज की स्थापना की थी. आज का दिन महेश्वरी समाज के जन्मोत्सव और अपने इष्टदेव शिव ,महेश की आराधना का दिन है. आज समस्त विश्व मे जहां भी महेश्वरी समाज मौजूद है वहाँ साधना आराधन और मानवता के साथ शिव आराधना में लीन होता है .
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