नहीं थम रहा चैंबर का विवाद, गुलाबबाग चैंबर भी हुआ मुखर

पूर्णिया: व्यावसायिक संगठन चैंबर ऑफ कॉमर्स का विवाद खत्म होने के बजाय दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है. पहले पारदर्शिता के सवाल पर विशुद्ध व्यापारियों ने अलग गुट बना कर चैंबर ऑफ कॉमर्स गुलाबबाग का गठन कर लिया है. इसमें 21 सदस्यीय कोर कमेटी गठित की गयी. वहीं गुरुवार को चैंबर ऑफ कॉमर्स पूर्णिया ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2015 12:51 AM
पूर्णिया: व्यावसायिक संगठन चैंबर ऑफ कॉमर्स का विवाद खत्म होने के बजाय दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है. पहले पारदर्शिता के सवाल पर विशुद्ध व्यापारियों ने अलग गुट बना कर चैंबर ऑफ कॉमर्स गुलाबबाग का गठन कर लिया है. इसमें 21 सदस्यीय कोर कमेटी गठित की गयी. वहीं गुरुवार को चैंबर ऑफ कॉमर्स पूर्णिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर चुनाव से संबंधित बातें सार्वजनिक की.

इस दौरान अन्य बिंदुओं पर भी कई बातें सामने आयी. जवाब में शुक्रवार को गुलाबबाग चैंबर ऑफ कॉमर्स के कोर कमेटी सदस्य पवन अग्रवाल व विशेष शर्मा ने विज्ञप्ति जारी कर कई बिंदुओं पर ध्यान आकृष्ट कराया. साथ ही पारदर्शिता पर फिर से सवाल भी खड़े किये गये. साफ है कि विवाद अभी और भी बढ़ने के आसार हैं. बता दें कि बीते मंगलवार को चैंबर ऑफ कॉमर्स के संस्थापक सह संरक्षक सीताराम जायसवाल ने विवादों से तल्ख होकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

पारदर्शिता पर फिर उठ रहे सवाल
शुक्रवार को जारी विज्ञप्ति में गुलाबबाग चैंबर ने कहा है कि चुनाव के दौरान पारदर्शिता में छोटी सी चूक भी बड़ी गलती मानी जाती है. पूर्णिया चैंबर ने तीन वोटों की गलती मानी है, लेकिन इस मामले को छोटा बता रही है. चुनाव से पूर्व ही यह स्पष्ट किया गया था कि अनाधिकृत लोग चुनाव में वोट नहीं करेंगे, बावजूद ऐसा नहीं हुआ. यह भी स्पष्ट था कि वोटर की अनुपस्थिति में उनके परिवार के सदस्य ही वोट कर सकेंगे, लेकिन वोटर के स्टाफ से भी वोटिंग करायी गयी. मतदान के दौरान ही इस बात का विरोध किया गया था. चुनाव के पूर्व ही यह निर्णय भी लिया गया था कि पांच पर्यवेक्षक वोटिंग में शामिल नहीं होंगे. बावजूद पर्यवेक्षकों ने वोटिंग में हिस्सा लिया. ऐसे में पारदर्शिता का दावा पूरी तरह खोखला है. कहा कि संगठन में हर किसी को सवाल पूछने का लोकतांत्रिक अधिकार प्राप्त है. लेकिन पूर्णिया चैंबर के लोग मामले की जांच के बजाय नये तथ्य गढ़ने में जुटे हुए हैं. सदस्यों ने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.

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