इलेक्शन लाइव: अपनी छोड़ो, आने वाली पीढ़ी की फक्रि करो
इलेक्शन लाइव: अपनी छोड़ो, आने वाली पीढ़ी की फिक्र करो प्रतिनिधि, पूर्णियादिन सोमवार, दोपहर के लगभग 12 बज रहे थे. समाहरणालय के पश्चिमी द्वार से बमुश्किल 50 मीटर की दूरी पर व्यवहार न्यायालय स्थित है. लिहाजा समाहरणालय से लेकर व्यवहार न्यायालय तक लोगों की हमेशा खचाखच भीड़ रहती है. लेकिन सोमवार को अप्रत्याशित रूप से […]
इलेक्शन लाइव: अपनी छोड़ो, आने वाली पीढ़ी की फिक्र करो प्रतिनिधि, पूर्णियादिन सोमवार, दोपहर के लगभग 12 बज रहे थे. समाहरणालय के पश्चिमी द्वार से बमुश्किल 50 मीटर की दूरी पर व्यवहार न्यायालय स्थित है. लिहाजा समाहरणालय से लेकर व्यवहार न्यायालय तक लोगों की हमेशा खचाखच भीड़ रहती है. लेकिन सोमवार को अप्रत्याशित रूप से इस इलाके में लोगों की भीड़ कम देखी गयी. समाहरणालय के पश्चिमी द्वार पर एक सत्तू दुकान के बाहर लगभग 70 वर्षीय बुजुर्ग केडी पासवान सत्तू पीते नजर आये. आसपास कई अन्य लोग थे और राजनीतिक बहस का सिलसिला जारी था. श्री पासवान अपनी बातों और अपने तर्क से बहस में शामिल लोगों को निरुत्तर कर दे रहे थे. श्री पासवान ने कहा ‘ ईस्ट इंडिया कंपनी को भगाने में 200 वर्ष लग गये. अब अगर देश गुलाम हुआ तो क्या होगा. अपनी छोड़ो, आने वाली पीढ़ी की फिक्र करो और बेईमान और भ्रष्ट लोगों को वोट मत देना ‘. कचहरी जाने वाले रास्ते के मुहाने पर पिछले 30 वर्षों से फुटपाथ पर मधुबनी निवासी गौरी शंकर खैनी बेच रहे हैं. बताया कि मनिहारी से देशी खैनी लाकर बेचते हैं. खैनी के पुराने शौकीन इस खैनी को ही खरीदना पसंद करते हैं. बात चुनाव की चली तो उन्होंने कहा ‘ भाई, राजनीति ठगों का जमावड़ा है. फिर भी इस कलयुग में कुछ अच्छे लोग बचे हुए हैं, जिनके भरोसे सब कुछ चल रहा है ‘. उसी समय खोखा उत्तर श्रीनगर के कमल ऋषि खैनी खरीदने पहुंचे. राजनीतिक बातों में हस्तक्षेप करते हुए कमल ने कहा ‘ उनके गांव में भी सब पार्टी के लोग हैं. लेकिन क्या कहें गांव का डीलर हर महीना राशन-किरासन नहीं देता है. हम लोग को तो ऐसा नेता चाहिए जो हमारा हक दिला सके ‘. अदालत परिसर में पेड़ के छांव के नीचे बैठे भेलवा भवानीपुर निवासी कृष्णदेव साह और उदय साह से मुलाकात हुई. सभी लोग किसी मुकदमे में जमानतदार बनने आये थे. लाख कुरेदने पर भी जवाब मिला ‘ गांव में अभी बैठक नहीं हुई है ‘. अदालत परिसर में ही डगरूआ प्रखंड के कन्हरिया गांव के 80 वर्षीय मो जैनुल से भेंट हुई. वे किसी मुकदमे के सिलसिले में गांव के चार-पांच लोगों के साथ आये थे. गौरतलब है कि जिले का डगरूआ, बायसी और अमौर उन इलाकों में शामिल है, जहां सबसे अधिक मुकदमेबाजी होती है. कारण पूछने पर मो जैनुल ने बताया ‘ पंचायत का रहबर ही जब बेईमान हो जाय तो केस-मुकदमा लाजिमी है ‘. बात जब चुनाव की हुई तो उन्होंने कहा ‘ वक्त बीतने के साथ नुमाइंदों का स्तर भी गिरता जा रहा है ‘. फिर उन्होंने कहा ‘ लेकिन अधिक दिनों तक अंधेरगर्दी नहीं चल सकती ‘. अपनी बात को पूरी करने के लिए जैनुल ने शायरी का सहारा लेते हुए कहा ‘ कब तक छुपोगे पत्ते की आड़ में, एक दिन बिक जाओगे सरे बाजार में ‘. पास में बैठे बेलगच्छी के मो सिरमान ने कहा ‘ 100 में 75 बेईमान हैं. खासकर छोटे स्तर पर भ्रष्टाचार अधिक है. अब तक हम गरीब किसानों को मक्के का मुआवजा नहीं मिला है ‘. अब तक चुपचाप सुन रहे केनगर रहुआ के मो घुल्टू ने कहा ‘ लोगों की वजह से ही यह हाल है. चुनाव के समय लोग बिकते हैं और अच्छे-बुरे की पहचान मिट जाती है ‘. दोपहर के लगभग 02:30 बज रहे थे. न्यायालय के पास में स्थित एक मंदिर के बरामदे पर कई लोग धूप खत्म होने का इंतजार कर रहे थे. कमोबेश सभी चेहरे पर परेशानी और चिंता की लकीरें नजर आ रही थी. बीच-बीच में एक-दो वकील भी अपने मुवक्किल से मिलने पहुंच रहे थे. कसमरा बालू टोला की उर्मिला देवी अकेली बैठी हुई थी. हालचाल पूछने पर अपनी परेशानी बयां करने लगी. उर्मिला बोली ‘ एक ही बेटा है. जबसे पतोहू आयी, बेटे को भी छीन ले गयी. अब मुकदमा लाद दी है, परेशान हूं ‘. चुनाव के बाबत पूछने पर उर्मिला देवी ने कहा ‘ वोट तय खोज-खोज लैय छैय, इंदिरा आवास नैय दै छैय ‘. इस प्रकार राजनीति की बातें चल पड़ी. कहां कैसी हवा है, उस पर बहस छिड़ गयी. अमौर के शिवचरण मेहता ने बहस पर विराम लगाने के उद्देश्य से कहा ‘ गाम-घर में गुम्मा वोटर बेसी छैय, अहां सब हिसाब-किताब जोड़ते रैह जैबेय ‘. फोटो:- 12 पूर्णिया 14परिचय:- अदालत परिसर में राजनीतिक चर्चा में मशगूल लोग.