मातमी माहौल में निकला मुहर्रम का जुलूस
मातमी माहौल में निकला मुहर्रम का जुलूस पूर्णिया. शहर के विभिन्न मार्गों पर मुहर्रम का ताजिया जुलूस निकाला गया, वहीं युवकों ने जम कर लाठी एवं बैना खेला तथा विभिन्न तरह के करतब दिखाये. पूरे शहर में जगह जगह दर्शकों की भीड़ लगी रही. मौलवी बाड़ी एवं महबूब खान टोला से अलग अलग ताजिया जुलूस […]
मातमी माहौल में निकला मुहर्रम का जुलूस पूर्णिया. शहर के विभिन्न मार्गों पर मुहर्रम का ताजिया जुलूस निकाला गया, वहीं युवकों ने जम कर लाठी एवं बैना खेला तथा विभिन्न तरह के करतब दिखाये. पूरे शहर में जगह जगह दर्शकों की भीड़ लगी रही. मौलवी बाड़ी एवं महबूब खान टोला से अलग अलग ताजिया जुलूस निकला. उधर खजांची क्षेत्र एवं मिल्की एवं लाल गंज से भी बड़ी संख्या में अलग अलग जुलूस निकाला गया. सभी जुलूस शुक्रवार की देर रात खुश्कीबाग स्थित करबला में जाकर विसर्जन के साथ समाप्त हो गया. मधुबनी के मौलवी बाड़ी एवं सिपाही टोला से निकला जुलूस सिंगरौली करबला में जाकर समाप्त हुआ. इस दौरान सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये थे. चौक चौराहे पर पुलिस तैनात थी. विभिन्न थाना क्षेत्र के गश्ती गाडि़यां भी दौड़ती रही. संवेदनशील स्थानों पर पुलिस बल के साथ दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त किये गये थे. हालांकि किसी गड़बड़ी को लेकर एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, वज्रवाहन एवं भारी संख्या में पुलिस बल शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों के चप्पे-चप्पे पर लगाये गये थे. वहीं कई संवेदनशील इलाकों में पुलिस छावनी भी बनायी गयी थी. लेकिन इनसानियत का संदेश देने वाले मुहर्रम पर कहीं से भी किसी गड़बड़ी की सूचना नहीं मिली है और शांतिपूर्ण मुहर्रम संपन्न हो गया. अनुमंडल पदाधिकारी रवींद्र नाथ प्रसाद सिंह ने बताया कि अनुमंडल क्षेत्र में 133 ताजिया जुलूस निकाला गया. ————————–आज भी लोगों के दिलों में हुसैन जिंदा हैं: रजी गुलाबबाग. आज इमाम हुसैन की याद में दर्द भरे नौहों के साथ हर एक नौजवान बच्चे और बूढ़ों के जिस्म से बहता लहू दुनिया में इनसानियत के परचम के बुलंदी की निशानी है. आज सिटी के सैयदवाड़ा में उमड़ी भीड़ और इमाम हुसैन की याद में बहते आंसूओं के साथ लोगों में इनसानियत के लिए मर मिटने का जज्बा इसका प्रमाण है कि आज भी सबके दिलों में हुसैन जिंदा है. उक्त बातें पूर्णिया स्थित मेयर कनिज रजा के आवास परिसर में अवस्थित सैयदवाड़ा में ईरान के रहनुमा मौलाना सैयद रजी इमाम ने कही. उन्होंने कहा कि करबला के मैदान में जब हुसैन अातताइयों से जंग लड़ते हुए फंसे थे तो जालिम अातताई ने हुसैन से उनकी अंतिम इच्छा पूछी थी. उस समय इमाम हुसैन ने कहा था कि मैं भारत जाना चाहता हूं. हुसैन ने कहा था भारत की धरती इनसानियत की धरती है, वहां हर दिल में इनसानियत बसती है. पूर्णिया सिटी के बड़ी इमामबाड़ा से सैकड़ों की संख्या में निशान, ताजिया और इमाम हुसैन के साथ करबला के मैदाने जंग में साथ रहने वाला अश्व के प्रतीक दुलदुल घोड़ा के साथ दर्द भरे नौहों के बीच मातमी जुलूस निकाला. चौदनी चौक नाका चौक होते हुए जुलूस सैयद वाड़ा पहुंची. इस बीच महिलाओं ने हुसैन की सवारी के प्रतीक दुलदुल घोड़ा की पांव दूध से धोकर पूजा की और आरती उतार कर इनसानियत के जंग में शहीद इमाम हुसैन तथा इनसानियत के लिए दुआ की. इस दौरान सैकड़ों हिंदू महिलाओं ने भी इस नेक कार्य में अपनी भागीदारी निभायी. इसके बाद सैयदबाड़ा में हुसैन के चाहने वालों ने ब्लेड और नुकीले तथा धारदार चाकुओं से खुद को घायल कर हुसैन की याद में मातम मनाया. दूसरी तरफ शहर के दमका, पोखरिया सीसोबाड़ी सहित कई जगहों से ताजिया के साथ अखाड़े के शक्ल में जुलूस निकाला गया जिसमें परंपरागत हथियारों से लैश लोगों ने लाठी, भाला जैसे हथियारों के साथ करतब दिखाये. इस मौके पर जुलूस की आगवानी पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष शाहिद रजा कर रहे थे वहीं सदर थाना अध्यक्ष उदय कुमार सहित सैकड़ों पुलिस बल एवं दंडाधिकारी भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर मुस्तैद रहे. मुहर्रम के दसवीं को फिर एक बार इंसानियत की तसवीर पूर्णिया सिटी में गंगा-जमुनी तहजीब के मिसाल को जिंदा कर गयी. इमाम हुसैन के मातमी जुलूस का अगवानी कर रहे इमाम हुसैन के जंगी घोड़े के प्रतीक दुल-दुल घोड़े का पांव धुलाई दर्जनों हिंदू परिवारों ने किया. फूलों के चादर ओढ़ाये, चना का गुड़ का भोजन सौंपा और दुल-दुल के पांव पर फूल चढ़ा कर नमन किया. खुश्कीबाग कर्बला में उमड़ा जन सैलाब मुहर्रम के दसवीं को इमाम हुसैन के इनसानियत की जंग में शहादत को याद कर खुश्कीबाग स्थित कर्बला पर हजारों का जन सैलाब उमड़ पड़ा था. हर जुबां पर हुसैन का नाम होठों से आह के साथ फातिया के शब्द निकल रहे थे.सुबह के दस बजे से ही कर्बला में चादर पोशी करने वालों की भीड़ लगी वहीं जैसे जैसे दिन चढ़ता रहा भीड़ बढ़ती रही. शाम ढलते ही कर्बला के आसपास का नजारा जन सैलाब का गवाह बन चला था. दुलदुल घोड़े के साथ हुसैन का आलमी जुलूस और फिर ताजिया के साथ आलमी अखाड़ों का अलग-अलग जत्था कर्बला पहुंचा. पोखरिया, बीरपुर, सिकन्दरपुर, मुजफ्फरनगर, दमका गुलाबबाग के कई अखाड़ों का मिलान कर्बला पर हुआ. दिन भर चलता रहा चादरपोशी का सिलसिला खुश्कीबाग स्थित कर्बला पर मुहर्रम के दिन सुबह से ही चादर पोशी का सिलसिला जारी रहा. हुसैन के चाहने वालों की भीड़ आस्था में सराबोर कर्बला में जमा थी हर एक की आंखें नम गमो से भरा चेहरा और हुसैन के चादर पोशी का जज्बात मुहर्रम पर सौहार्द इनसानियत और इसलाम की सच्ची कहानी बयां कर रहा था. फोटो: 24 पूर्णिया 26-हुसैन के दुलदुल घोड़े 27-मातम मनाते हुसैन के चाहने वाले 28,29-करबला में उमड़ी भीड़