त्योहार का थमा शोर, चुनाव प्रचार ने पकड़ा जोर पूर्णिया. दशहरा और मुहर्रम के बाद जिले में पर्व-त्योहार का शोर थम गया है. वहीं चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ लिया है. दरअसल मतदान में अभी 10 दिन शेष हैं. विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण में 05 नवंबर को जिले के सभी 07 विधानसभा सीटों पर मतदान किये जायेंगे. जिसमें कुल 128 प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला होगा. 08 नवंबर को मतगणना के बाद कोई जीत की खुशियां मनायेगा, तो कोई अपनी हार के पीछे की वजहों की तलाश कराता नजर आयेगा. लेकिन फिलहाल सभी पसीना बहाने में व्यस्त हैं और प्रत्याशी कोई भी कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहता है. त्योहार ने लगा दी थी प्रचार पर ब्रेकविधानसभा चुनाव को लेकर सभी प्रत्याशियों के जीत के अपने दावे हैं और इसके पीछे उनके तर्क भी हैं. कोई बीते 05 साल में जन सरोकार से जुड़े अपने कार्यों को भुनाने में जुटा है, तो कोई विरोधी नेता की कमियों को लोगों के समक्ष रखने का प्रयास कर रहा है. वैसे तो चुनाव प्रचार का सिलसिला बीते 06 माह से जारी है, लेकिन अधिसूचना जारी होने के बाद प्रचार में दम नजर आ रहा है. जबकि पहले दशहरा और फिर मुहर्रम के कारण चुनाव प्रचार पर ब्रेक सा लग गया था. आरंभ हुआ सघन प्रचार अभियानचुनाव का मौसम है और मतदान का दिन नजदीक आता जा रहा है. यही कारण है कि प्रत्याशी अब शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक बाजार व मुहल्ले के गलियों की खाक छान रहे हैं. प्रत्याशियों का सघन चुनाव प्रचार अभियान आरंभ हो चुका है. हर कोई एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में है. दीगर बात है कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में जीत किसी एक की ही होगी. लेकिन फिलहाल कोई हार मानने को राजी नहीं है. 10 दिन बनायेंगे 05 साल की किस्मतदशहरा और मुहर्रम अब खत्म हो चुका है और मतदान तक किसी अन्य पर्व का बीच में प्रवेश नहीं है. दीपावली 11 नवंबर को मनायी जायेगी. जाहिर है प्रत्याशियों के लिए प्रचार का यह बेहतर अवसर है. अगले 10 दिनों की मेहनत ही प्रत्याशियों के 05 साल के भविष्य का निर्धारण करेगी. हालांकि जनता सजग है और प्रत्याशियों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने तथा कई सवालों का जवाब ढुंढने के मूड में है. लेकिन इतना तो तय है कि आने वाले 10 दिनों में ही मतदाताओं द्वारा प्रत्याशियों की राजनीतिक कुंडली लिखी जायेगी. हाइटेक हुआ चुनाव प्रचार का तरीकाइस बार का विधानसभा चुनाव कई मायनों में अलग है. एक तरफ चुनाव आयोग की सख्ती दिख रही है, तो वही दूसरी ओर प्रत्याशियों की प्रचार तकनीक का विकास. प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार पूरी तरह हाइटेक हो चुका है. व्हाट्स एप, टष्ट्वीटर, फेसबुक आदि जैसे सोशल मीडिया का प्रयोग तो प्रचार के लिए हो ही रही है. रिकॉर्डेड वॉइस कॉलिंग और एसएमएस भी प्रचार माध्यम बने हुए हैं. लग्जरी वाहनों की मची है होड़सूमो, विक्टा, बोलेरो जैसे मॉडल अब पुराने हो चुके हैं और प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार में उपयोग के लिए वाहन भी स्टेटस सिंबल बन चुका है. वही पार्टी कार्यकर्ता भी लग्जरी वाहनों को ही प्राथमिकता दे रहे हैं. लिहाजा बेहतर से बेहतर लग्जरी वाहनों का चुनाव प्रचार के लिए उपयोग किया जा रहा है. प्रत्याशियों की पहली पसंद एक्सयूवी गाडि़यां बन रही हैं. वही सफारी व उसी श्रेणी के अन्य लग्जरी वाहनों का डिमांड भी बढ़ा हुआ है. आखिरी मांग स्कॉर्पियो पर आ कर थमती है. स्पष्ट है कि बदलते दौर में चुनाव प्रचार के रंग-रूप और तौर-तरीके भी बदल रहे हैं. फोटो : 25 पूर्णिया 3परिचय : चुनाव प्रचार करते प्रत्याशी की सांकेतिक तसवीर
त्योहार का थमा शोर, चुनाव प्रचार ने पकड़ा जोर
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