चुनाव परिणाम के बाद पराजित प्रत्याशियों के तेवर हुए तल्ख
चुनाव परिणाम के बाद पराजित प्रत्याशियों के तेवर हुए तल्ख -अधिकांश पराजित दलीय प्रत्याशी हैं असंतुष्ट -सबसे अधिक पूर्णिया सदर सीट को लेकर घमासान -बयानबाजी का दौर है जारी पूर्णिया. खुली आंखों से देखे गये सपने जब जमींदोज होते हैं तो दर्द स्वाभाविक है. चुनाव परिणाम भी कुछ ऐसा ही होता है जब राजनीति से […]
चुनाव परिणाम के बाद पराजित प्रत्याशियों के तेवर हुए तल्ख -अधिकांश पराजित दलीय प्रत्याशी हैं असंतुष्ट -सबसे अधिक पूर्णिया सदर सीट को लेकर घमासान -बयानबाजी का दौर है जारी पूर्णिया. खुली आंखों से देखे गये सपने जब जमींदोज होते हैं तो दर्द स्वाभाविक है. चुनाव परिणाम भी कुछ ऐसा ही होता है जब राजनीति से जुड़े लोग पांच वर्षों तक इस इम्तिहान की तैयारी करते हैं और कुछ ऐसी वजह, जिसकी उम्मीद नहीं थी, वही पराजय का कारण साबित हो जाता है. ऐसे में पीड़ा की अभिव्यक्ति बयानों के माध्यम से ही होती है. ऐसा ही कुछ जिले के राजनीतिक गलियारों में हो रहा है. चुनाव में पराजित हुए कुछ प्रत्याशी हार के कारणों को लेकर मुखर हो चुके हैं तो कई इस दर्द को सीने में छुपाये उचित समय का इंतजार कर रहे हैं. कांग्रेस में हार पर मचा है बवाल पूर्णिया सदर सीट चुनाव परिणाम के बाद भी चर्चा का केंद्र बिंदु बना हुआ है. वजह भाजपा प्रत्याशी विजय खेमका की जीत नहीं बल्कि कांग्रेस प्रत्याशी इंदू सिन्हा की पराजय है. दरअसल इंदू सिन्हा के प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही महा गंठबंधन में विरोध के मुखर स्वर सार्वजनिक होने लगे थे. सबसे पहले जदयू सांसद संतोष कुशवाहा ने पार्टी प्रत्याशी को बदलने की मांग कर भविष्य का संकेत दे डाला था. प्रत्याशी तो नहीं बदली गयी लेकिन उनकी हार जरूर हो गयी. हार के बाद वकायदा प्रेस वार्ता आयोजित कर श्रीमती सिन्हा ने अपनी हार का ठीकरा सांसद श्री कुशवाहा पर फोड़ते हुए उन पर भीतरघात का आरोप लगाया. हद तो तब हो गयी जब हार को लेकर पार्टी के अंदर ही रार पैदा हो गया. पार्टी के जिला समन्वयक कुमार आदित्य ने पार्टी प्रत्याशी सह कांग्रेस जिलाध्यक्ष इंदू सिन्हा को हार के लिए जिम्मेवार ठहराते हुए कहा कि अध्यक्ष ने जिले में पार्टी को जेबी संगठन बना कर रखा है. उन्होंने यहां तक कहा कि कांग्रेस तब तक जिले में मजबूत नहीं होगा जब तक कि जिलाध्यक्ष को बदला नहीं जायेगा. बहरहाल पार्टी में मचा बवाल आगे भी जारी रहने की संभावना है. भाजपा प्रत्याशी ने उठायी अंगुली रूपौली विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के पराजित प्रत्याशी प्रेम प्रकाश मंडल ने अपने पार्टी के नेताओं पर ही अंगुली उठाते हुए कटघरे में खड़ा किया है. श्री मंडल ने हार के बाद स्पष्ट तौर पर कहा कि उन्हें पार्टी के जिला स्तर से लेकर अन्य बड़े नेताओं का कोई सहयोग नहीं मिला. श्री मंडल ने यह भी कहा कि कुछ पार्टी नेताओं की दिलचस्पी उसकी मदद से अधिक किसी अन्य प्रत्याशी को जिताने में अधिक दिखी. दरअसल श्री मंडल का इशारा निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह की ओर था जिसे 34793 मत प्राप्त हुए. जबकि श्री मंडल को 41273 मत प्राप्त हुए. वहीं विजयी प्रत्याशी बीमा भारती को 50945 मत प्राप्त हुए. श्री मंडल ने कहा कि वे दलीय प्रत्याशी होकर भी अकेले लड़े जैसे निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ता है. श्री मंडल का मानना है कि अगर उन्हें दलीय नेता ईमानदारी पूर्वक मदद करते तो उनकी जीत सुनिश्चित थी. रालोसपा प्रत्याशी ने बयां किया दर्द राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के कुछ अलग ही दर्द हैं. जिले में दो सीटें उसके हिस्से आयी और दोनों पर ही पराजय का मुंह देखना पड़ा. बायसी विधानसभा क्षेत्र में तो रालोसपा का बुरा हश्र हुआ. पार्टी प्रत्याशी अजीजुर रहमान चुनावी दौड़ में फिसल कर पांचवें स्थान पर पहुंच गये. वहीं भाजपा के बागी प्रत्याशी विनोद कुमार ने शानदार प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया. विनोद कुमार को 28,282 मत हासिल हुए जबकि रालोसपा के अजीजुर रहमान को 9573 मत प्राप्त हुए. रालोसपा से अधिक मत तो जन अधिकार पार्टी और एआइएमइआइएम के प्रत्याशी को प्राप्त हुए. पराजित प्रत्याशी अजीजुर रहमान ने तल्ख स्वर में कहा ‘ सहयोगी दलों से मदद की बात तो छोडि़ए, वे ही निर्दलीय प्रत्याशी विनोद कुमार के पक्ष में प्रचार करते रहे ‘. आगे उन्होंने कहा ‘ अपनों ने ही हिंदू मतों का ध्रुवीकरण कराया. हिंदू वोट खिसकता देख मुसलमानों ने भी साथ छोड़ दिया ‘. श्री रहमान ने अपने दर्द को बयां करते हुए कहा ‘ हम वफा कर के भी तन्हा रह गये ‘. कईयों ने छुपा रखा है सीने में दर्द दलीय प्रत्याशी ही नहीं, कई निर्दलीय प्रत्याशी भी अपनों से धोखा खाने के बाद आहत हैं. ऐसे लोग अपनों से ठगे जाने के बाद दर्द को सीने में छुपा रखा है और वक्त का इंतजार कर रहे हैं. कई लोग जीतते-जीतते हार गये तो कई हारते-हारते जीत गये. इस हार और जीत में अपनों का भीतरघात और विश्वासघात छुपा हुआ है. समस्या यह है कि दर्द को बयां करें तो करें कैसे. कई निर्दलीय प्रत्याशी भी घात के शिकार हुए हैं. बड़ी उम्मीद थी, लेकिन जब इवीएम का राज खुला तो अपने और गैरों की भी पहचान हो गयी. शायद यही वजह थी कि हार के बाद अमौर के भाजपा प्रत्याशी सबा जफर ने इशारों-इशारों में कहा था ‘ हमें अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था, मेरी कश्ती वहां डूबी, जहां पानी कम था ‘. फोटो:- 14 पूर्णिया 03 से 05परिचय:- 03- इंदू सिन्हा04- प्रेम प्रकाश मंडल05- अजीजुर रहमान