पैदावार बढ़ाने के लिए मट्टिी जांच जरूरी : डा वी के राय
पैदावार बढ़ाने के लिए मिट्टी जांच जरूरी : डा वी के राय पूर्णिया : मिट्टी का स्वास्थ्य बरकरार रखने के लिए केंचुआ खाद कम खर्चीला है. उक्त बातें भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डा वी के राय ने कही. श्री राय सोमवार को टाउन हॉल में जिला स्तरीय रबी कर्मशाला सह प्रशिक्षण […]
पैदावार बढ़ाने के लिए मिट्टी जांच जरूरी : डा वी के राय
पूर्णिया : मिट्टी का स्वास्थ्य बरकरार रखने के लिए केंचुआ खाद कम खर्चीला है. उक्त बातें भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डा वी के राय ने कही. श्री राय सोमवार को टाउन हॉल में जिला स्तरीय रबी कर्मशाला सह प्रशिक्षण समारोह को संबोधित कर रहे थे.
आत्मा पूर्णिया द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा राय ने कहा कि गोबर खाद, वर्मी कंपोस्ट या केंचुआ खाद के प्रयोग के प्रति किसानों को जागरूक करना आवश्यक है ताकि इसके प्रयोग के प्रतिशत को आगे बढ़ाया जा सके. अत्यधिक उर्वरक नुकसानदेहडॉ राय ने कहा कि खेतों में पैदावार बढ़ाने के लिए मिट्टी जांच आवश्यक है .
ताकि आवश्यकता के अनुरूप खाद का प्रयोग किया जा सके. खेतों की मिट्टी का स्वास्थ्य बरकरार रखने के लिए रासायनिक खादों पर निर्भरता कम करना भी आवश्यक है. उन्होंने कहा कि खेतों की मिट्टी जांच किये बगैर अनावश्यक रासायनिक खादों के प्रयोग से फसल का उत्पाद प्रभावित होता है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र की मिट्टी में बोरोन की कमी है जिस पर ध्यान देना आवश्यक है.
समय से बुआई आवश्यकडा राय ने कहा कि अधिक उत्पाद के लिए समय से बुआई जरूरी है. इसके लिए प्रभेदों का सही चयन आवश्यक है. जो प्रभेद समय से बोने वाला हो उसमें देर नहीं हो और जो प्रभेद देर से बोने वाला हो उसकी बोआई समय से पहले नहीं होनी चाहिए.
ऐसा करने से बेहतर उत्पादन होता है. उन्होंने कहा कि गेहूं फसल की बुआई में प्रभेदों के चयन में प्राय: किसान धोखा खा जाते हैं जिसका असर फसल उत्पाद पर पड़ता है.
उन्होंने कहा कि पीबीडब्ल्यू 343 की बोआई 15 दिसंबर से पहले होना चाहिए और पीबीडब्ल्यू 373 बाद में. 373 की बोआई समय से पहले होने पर समस्या आयेगी. एसएसपी उपयुक्त खाद उन्होंने कहा कि क्षेत्र के किसानों के लिए डीएपी के बदले एसएसपी रासायनिक खाद ज्यादा उपयोगी है.
उन्होंने कहा कि क्षेत्र की मिट्टी में सल्फर की मात्रा कम हो रही है और एसएसपी में 16 प्रतिशत सल्फर है जो खेतों के लिए आवश्यक है. लाइन सोइंग है जरुरी डा राय ने बताया कि फसलों की बुआई लाइन सोइंग से होने पर पैदावार अच्छी होती है. छिटक विधि का प्रयोग ठीक नहीं है.
उन्होंने कहा कि गेहूं फसल की पहली सिंचाई 20 से 25 दिन में जरूरी है जो पौधे का जीवन रक्षक होता है. दूसरा मुकुट निकलने पर तथा तीसरी सिंचाई दूध भरने के समय आवश्यक है इससे अच्छी पैदावार होती है.