कसबा: ऐतिहासिक गरवा मेला की हुई शुरुआत

कसबा: ऐतिहासिक गरवा मेला की हुई शुरुआत – उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद मेला होता है आरंभ -वर्ष में पांच बार कसबा में होती है सूर्य की पूजा -अंतिम सूर्य पूजा कहलाता है गरवा मेला -अनोखी है पूजा की पूरी प्रक्रिया -मिट्टी व पीतल के बरतन के लिए जाना जाता है मेला प्रतिनिधि, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2015 6:43 PM

कसबा: ऐतिहासिक गरवा मेला की हुई शुरुआत – उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद मेला होता है आरंभ -वर्ष में पांच बार कसबा में होती है सूर्य की पूजा -अंतिम सूर्य पूजा कहलाता है गरवा मेला -अनोखी है पूजा की पूरी प्रक्रिया -मिट्टी व पीतल के बरतन के लिए जाना जाता है मेला प्रतिनिधि, कसबाआस्था का पर्व संपन्न होने बाद कसबा में सूर्य पूजा का पारंपरिक उत्सव आरंभ हो गया है. इसी के साथ ऐतिहासिक गरवा मेला की भी शुरुआत हो गयी है. मान्यता के अनुसार सूर्य पर्व कसबा में साल में पांच बार मनाया जाता है. वर्ष की अंतिम सूर्य पूजा गरवा मेले के रूप में धूमधाम के साथ होती है. बताया जाता है कि कसबा चांदनी चौक व गुदरी बाजार के मध्य स्थापित सूर्य मंदिर कई सौ वर्ष पुराना है. मंदिर में छठ के दूसरे अर्घ्य के दिन कसबा राणी सती मंदिर स्थित शांति सरोवर से बरतन में स्वच्छ जल लाया जाता है. उक्त बरतन को गरवा कहा जाता है. इस गरवा में दूध एवं अन्य पूजन सामग्री के मिश्रण को मिलाया जाता है और सूर्य देवता की प्रतिमा (जिसे गैली कहा जाता है) को उससे नहलाया जाता है. गरवा बरतन में जल लाने की प्रक्रिया भी काफी निराली है. दो ढ़ाक दल एवं दर्जनों लोगों द्वारा एक जुलूस निकाला जाता है. ढ़ाक की एक विशेष प्रकार की धुन पर नाचने वाले गरेरी कहलाते हैं जो चार दिनों तक मंदिर से लेकर किसी सरोवर तक दिन में पांच से छह बार घूमते रहते हैं. मंदिर में चार दिनों तक जिस पुजारी को रखा जाता है उसे भैभरिया की उपाधि दी जाती है. गरवा मेला ने आज भी प्राचीन सभ्यता को जीवित रखा है. यह मेला मिट्टी के बरतन के लिए जाना जाता है. कहा जाता है कि शहरी व देहाती हर क्षेत्र के लोगों द्वारा इस मेले से साल भर के लिए मिट्टी के बरतन की खरीद की जाती है. कुल मिला कर यह मेला पूर्व की तरह भले ही अब अपने भव्य स्वरूप में न लगता हो, किंतु जैसा भी हो यह मेला आज भी अपनी संस्कृति को अक्षुण्ण रखे हुए है. इधर गरवा मेला को लेकर कसबा में चहलकदमी तेज हो गयी है. मेले में मिट्टी बरतन, पीतल बरतन, खिलौना, लोहा सामग्री, वेराइटी स्टोर वाली दुकान सजने लगी है. कसबा और आस-पास के लोगों को छठ के बाद गरवा मेले का बेसब्री से इंतजार रहता है. फोटो: 19 पूर्णिया 1-सूर्य मंदिर 2-मेला में लगा दुकान

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