सदर अस्पताल : ओझा गेल गांव, भूत भेल नटुआ

सदर अस्पताल : ओझा गेल गांव, भूत भेल नटुआ प्रभात पड़ताल —————–डॉक्टर उपस्थित रह कर भी रहते हैं अनुपस्थित -डाइलीसिस के मरीज लौट रहे हैं बैरंग -सफाई व्यवस्था का अस्पताल में है बुरा हाल ———————पूर्णिया. सदर अस्पताल के प्राय: सभी वार्डों में अव्यवस्था है. डॉक्टरों का उपस्थित रह कर भी अनुपस्थित रहना रोजमर्रे की समस्या […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2015 6:44 PM

सदर अस्पताल : ओझा गेल गांव, भूत भेल नटुआ प्रभात पड़ताल —————–डॉक्टर उपस्थित रह कर भी रहते हैं अनुपस्थित -डाइलीसिस के मरीज लौट रहे हैं बैरंग -सफाई व्यवस्था का अस्पताल में है बुरा हाल ———————पूर्णिया. सदर अस्पताल के प्राय: सभी वार्डों में अव्यवस्था है. डॉक्टरों का उपस्थित रह कर भी अनुपस्थित रहना रोजमर्रे की समस्या बन गयी है. डाइलीसिस यूनिट काफी दिनों से बंद पड़ी हुई है. प्राय: सभी वार्डों में गंदगी का नजारा आम है. अस्पताल प्रशासन व्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में विफल साबित हो रहा है. इन अव्यवस्थाओं से दो-चार हो रहे अस्पताल के मरीज इस कुव्यवस्था की शिकायत करें, तो किससे करे उन्हें समझ में नहीं आता. प्र्रभात खबर ने रविवार को सदर अस्पताल की व्यवस्था का जायजा लिया तो पूरा सदर अस्पताल ही बीमार नजर आया. डाइलीसिस यूनिट में लटक रहा है ताला सदर अस्पताल की डाइलीसिस यूनिट काफी दिनों से बंद पड़ी है. बढ़ती ठंड के कारण डाइलीसिस यूनिट में डाइलीसिस कराने रोजाना पांच से सात मरीज पहुंच रहे हैं, लेकिन डाइलीसिस यूनिट के खराब रहने के कारण मरीजों को बैरंग वापस लौट जाना पड़ता है. डगरुआ के ठाठौल पंचायत से आये मरीज के परिजन जमशेद ने बताया कि गरीब आदमी हैं, डाइलीसिस कराने सदर अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन यहां डाइलीसिस यूनिट में ताला लटक रहा है. जमशेद के अनुसार गार्ड से इस बाबत जानकारी ली गयी तो बताया गया कि डाइलीसिस यूनिट खराब पड़ा है. हर वार्ड में गंदगी का साम्राज्य सदर अस्पताल के आपातकालीन कक्ष, महिला वार्ड व संक्रमण वार्ड सहित कई वार्डों में साफ-सफाई का हाल बेहाल है. जगह -जगह फैले कचरे एवं उससे उठती बदबू से मरीज और उनके परिजन परेशान हैं. रही सही कसर मक्खी पूरी कर देती है. महिला वार्ड में एक प्रसूता की परिजन द्रोपदी देवी ने बताया कि -‘कि करबैय मजबूरी छैय,तब अस्पताल मेय छियै,इ नरक में नयरहै चाहे छियै’. अस्पताल के विभिन्न वार्डों के परिजनों ने अपनी व्यथा कमोबेश इसी अंदाज में बयां की. संक्रमण वार्ड के आगे डायरिया से पीड़ित एक मरीज के परिजन सामने पड़े मल-मूत्र के आगे बैठ कर भोजन कर रहे थे. वहां मक्खियां भिनभिना रही थीं. डॉक्टर अपनी मरजी से देते हैं सेवा रोजाना कम से कम दस से बारह डॉक्टरों की राउंड लगनी चाहिए. लेकिन किसी का निश्चित समय निर्धारित नहीं है. डॉक्टर अपने हिसाब से राउंड पर आते हैं. मरीजों की शिकायत है कि डॉक्टर राउंड पर कभी आते हैं,कभी नहीं भी आते हैं. जब भी डॉक्टर की सलाह की जरूरत महसूस होती है वे गायब रहते हैं. बताया कि भगवान को खोजना आसान है, लेकिन धरती के भगवान डॉक्टर के दर्शन यहां मुश्किल है. आपातकालीन सर्जिकल वार्ड में परिजन शांति देवी ने बताया कि -‘कोय हाल-चाल लैय वाला नय छै,सब भगवाने भरोसे चैल रहल छैय,इ कहावत ठीके छैय कि ओझा गेल गांव भूत भेल नटुवा’. टिप्पणी साफ-सफाई के लिए आउट सोर्सिंग कंपनी से बात की जायेगी. जहां तक डॉक्टरों की मनमानी की बात है. यह जांच का विषय है. डॉ सुशीला दास, उपाधीक्षक,सदर अस्पताल,पूर्णियाफोटो: 13 पूर्णिया 10-बंद पड़ा डाइलीसिस केंद्र 11-चापाकल के पास फैली गंदगी

Next Article

Exit mobile version