18 वर्ष बाद भी नहीं हुई चीनी मिल बंद होने की आधिकारिक घोषणा
18 वर्ष बाद भी नहीं हुई चीनी मिल बंद होने की आधिकारिक घोषणा 24 मार्च 1997 को बिना किसी सरकारी आदेश के ही बंद कर दिया गया था चीनी मिल -बनमनखी चीनी मिल में आज भी कार्यरत हैं 25 कर्मचारी -महज 18 वर्ष में लटक गया ताला -चीनी मिल से ही है आज भी बनमनखी […]
18 वर्ष बाद भी नहीं हुई चीनी मिल बंद होने की आधिकारिक घोषणा 24 मार्च 1997 को बिना किसी सरकारी आदेश के ही बंद कर दिया गया था चीनी मिल -बनमनखी चीनी मिल में आज भी कार्यरत हैं 25 कर्मचारी -महज 18 वर्ष में लटक गया ताला -चीनी मिल से ही है आज भी बनमनखी की पहचान -अस्तित्व खो रहे चीनी मिल को है उद्धारक की तलाश ——————–बनमनखी. बात जब भी चीनी मिल की चलती है, अनायास लोगों के जेहन में बनमनखी का नाम आ जाता है. सच भी है कि बनमनखी की पहचान आज भी चीनी मिल की वजह से ही कायम है. यह अलग बात है कि चीनी मिल अपना अस्तित्व खो रहा है और जमींदोज होने के कगार पर है. सुनहरे अतीत और बदहाल वर्तमान के साक्षी बनमनखी चीनी मिल को किसी उद्धारक की तलाश है. सुनने में अटपटा जरूर लगता है, लेकिन सच यह है कि चीनी मिल को बंद हुए 18 साल बीत चुके हैं लेकिन यहां आज भी कर्मचारी नियुक्त हैं. ऐसे कर्मचारी को आज भी किसी चमत्कार की उम्मीद है. वहीं स्थानीय किसान भी अतीत को याद करते हुए यह कहना नहीं भूलते हैं कि काश अगर चीनी मिल होती, तो इलाके की दशा और दिशा कुछ और होती. चीनी मिल का रकवा है एक सौ उन्नीस एकड़ बंद चीनी मिल 119 एकड़ जमीन में फैली हुई है. इसकी स्थापना के समय सरकार की ओर से किसानों से खरीदी गयी जमीन का यह भूभाग अब बंजर सा दिखता है. जहां चीनी मिल के चारों ओर जहां हरियाली ही हरियाली होती थी,आज वहां कंटीली झाड़ियां और खुला मैदान मवेशियों का चरागाह बना हुआ है. चीनी मिल की स्थापना के बाद इस क्षेत्र के किसानों में गन्ना उत्पादन को लेकर जो चाहत और हौसले की बढ़ोतरी हुई थी, कुछ ही वर्षों के बाद सरकारी अमलों की काली करतूत की भेंट चढ़ गयी यह मिल. वर्ष 1969 में सरकार की ओर से चीनी मिल की घोषणा से सीमांचल के किसानों के घरों में खुशहाली के दिये टिमटिमाते दिखे थे और सपना साकार भी हुआ. चीनी का उत्पादन महज एक वर्ष के बाद 1970 में प्रारंभ हो गया. जब उत्पादन परवान चढ़ने का समय आया तो 1997 में चीनी मिल में ताला लटक गया. यानी मात्र 18 वर्षों में ही यह चीनी मिल वर्तमान से इतिहास के पन्नों के बीच सिमट कर रह गयी. अभी भी 25 कर्मचारी हैं कार्यरत चीनी मिल का सायरन बजते ही तकरीबन 1200 कर्मचारियों की धड़कने तेज हो जाती थीं. सरकारी तथा गैर सरकारी कर्मचारियों जिनकी परवरिश चीनी मिल के सहारे हुआ करती थी, जिनकी दिनचर्या चीनी मिल के सायरन के साथ आरंभ होती थी, वह सायरन आम जनों को समय का एहसास भी कराता था. आज उसी सायरन को सुनने के लिए बनमनखी वासियों की कान तरस गयी है. दरअसल इसकी वजह यह है कि वह सायरन कभी समृद्धि का प्रतीक था. यूं तो वर्ष 1997 से ही चीनी मिल के बंद होने की कहानी सुनी जा रही है, लेकिन कर्मचारियों की मानें, तो अभी तक सरकार की ओर से चीनी मिल को बंद किये जाने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है. अभी भी 25 सरकारी कर्मचारियों की उपस्थिति से संबंधित औपचारिकता पूरी की जाती है, जिनमें 14 कर्मचारियों की उपस्थिति नियमित रूप से बनती है और 11 कर्मचारियों को अनुपस्थित दिखाया जाता है.कहते हैं कार्यरत व सेवानिवृत्त कर्मी1.वर्तमान में कार्यरत कर्मचारी नंद किशोर ठाकुर कहते हैं कि उनकी बहाली 2700 रुपये में हुई थी और आज भी उसकी उपस्थिति प्रत्येक महीना सरकार के पास भेजी जाती है. 14000 रुपये का वेतन पर्ची प्रत्येक महीने भेजा तो जाता है लेकिन 14 पैसे भी नहीं मिलते. स्वाति की बूंद की तरह वेतन की आस में उनके जैसे और 13 कर्मचारी बैठे हुए हैं. 2.सेवानिवृत्त कर्मी सहदेव ठाकुर बताते हैं कि उनकी नियुक्ति टरवाइन ड्राइवर के रूप में हुई थी. वर्ष 1997 में चीनी मिल बिना किसी आधिकारिक घोषणा के बंद हो गयी. उस वक्त 6500 रुपये का मासिक भुगतान होता था. वर्ष 2005 में ही सेवा समाप्त हो गयी,अभी तक ना तो कोई सरकारी लाभ मिला और ना ही चीनी मिल बंद होने की कोई सूचना मिली. 3. सेवानिवृत्त कर्मी दुखहरण यादव कहते हैं कि 8 हजार की पगार पर उनकी नियुक्ति स्वीच बोर्ड एटेंडेंट के रूप में हुई थी. वर्ष 2005 में उनकी सेवानिवृत्ति हो गयी. वर्ष 1997 से आज तक किसी प्रकार की सेवा से संबंधित कोई सूचना नहीं मिली ना ही कोई लाभ मिला. 4.सेवानिवृत्त कर्मी ब्रह्मदेव यादव बताते हैं कि उनकी सेवा स्वीचबोर्ड एटेंडेंट के रूप में आरंभ हुई थी. चीनी मिल बंद होने से संबंधित कोई जानकारी नहीं मिली. 9 हजार की पगार पर रिटायर्ड तो हुआ लेकिन अब तक कोई लाभ नहीं मिला.5. सेवानिवृत्त लेखापाल गीता गुरता कहते हैं कि उनकी सेवा 2005 में समाप्त हो गयी. लेकिन समाप्ति की घोषणा एवं वर्ष 1997 से ना तो पेमेंट का भुगतान हुआ ना ही रिटायर्डमेंट के बाद की कोई आर्थिक सहायता मिली. सरकार के घर में अभी भी चालू है चीनी मिल, क्योंकि अगर बंद होने की घोषणा की जाती है तो कर्मचारियों को अन्य विभागों में पदस्थापित करने की बाध्यता सरकार की होगी. फोटो: 13 पूर्णिया 3,4,5,6,7,8-जर्जर बंद पड़ा चीनी मिल 9-खाली पड़ी अधिग्रहित जमीन