वास्तविक सुख के सत्संग और ईश्वर प्रेम अनिवार्य : हरिनंदन बाबा

वास्तविक सुख के सत्संग और ईश्वर प्रेम अनिवार्य : हरिनंदन बाबा जलालगढ़. जीवन में आध्यात्म के मार्ग पर ही इस मानव रूपी शरीर को लक्ष्य तक ले जाया जा सकता है. ईश्वर की असीम अनुकंपा से ही जीव को मानव योणी की प्राप्ति हुई है. ईश्वर की प्राप्ति के लिए सत्संग की एकमात्र मार्ग है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2015 7:32 PM

वास्तविक सुख के सत्संग और ईश्वर प्रेम अनिवार्य : हरिनंदन बाबा जलालगढ़. जीवन में आध्यात्म के मार्ग पर ही इस मानव रूपी शरीर को लक्ष्य तक ले जाया जा सकता है. ईश्वर की असीम अनुकंपा से ही जीव को मानव योणी की प्राप्ति हुई है. ईश्वर की प्राप्ति के लिए सत्संग की एकमात्र मार्ग है. उक्त बातें प्रखंड क्षेत्र के मेंहीं नगर में आयोजित भव्य संतमत सत्संग के दूसरे दिन रविवार को कुप्पाघाट से आये आचार्य हरिनंदन बाबा ने प्रवचन के दौरान कही. उन्होंने कहा कि धरती पर जीव का लक्ष्य सतकर्म की पवित्र काया है. कहा कि माया को जीवन का लक्ष्य समझने वाला मनुष्य केवल मायाजाल में फंसता जाता है. जब तक उसे ज्ञात होता है, तब तक उसका समय समाप्त हो जाता है. जीवन से इस मोह-माया के त्याग के उपरांत ही मनुष्य अपने सतकर्म द्वारा ईश्वर की रचना को समझ सकता है. बाबा हरिनंदन ने कहा कि धर्म, अर्थ, काम, मोह, माया जीवन के पांच लक्ष्य हैं. कहा कि भौतिकतावादी सुख से सिर्फ क्षणिक सुख की प्राप्ति होती है. असली सुख केवल सत्संग और ईश्वर प्रेम से प्राप्त हो सकता है. मौके पर सत्यानंद बाबा, स्वरूपानंद बाबा, परमानंद बाबा, सत्य प्रकाश बाबा, राम बाबा, गणेशानंद बाबा, लालचंद बाबा, जय किशोर बाबा आदि ने भी प्रवचन किया. इस दौरान भक्ति गीतों पर श्रद्धालु झूमते नजर आये. स्थानीय संतमत सत्संगियों द्वारा इस दो दिवसीय सत्संग का आयोजन किया गया था. मौके पर भंडारा का भी विशेष आयोजन किया गया था. मौके पर दर्जनों श्रद्धालुओं द्वारा संतमत की दीक्षा ली गयी. फोटो: 13 पूर्णिया 16परिचय- प्रवचन देते बाबा

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