रेफर अस्पताल में तब्दील है अनुमंडलीय अस्पताल

रेफर अस्पताल में तब्दील है अनुमंडलीय अस्पताल धमदाहा. करोड़ों की लागत से अनुमंडलीय अस्पताल का निर्माण हुआ, लेकिन स्थानीय लोगों की अपेक्षा पर यह खड़ा नहीं उतर पा रहा है. लेकिन 100 बिस्तर वाला यह अस्पताल विभागीय उपेक्षा का शिकार है. लिहाजा यहां से मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ता है. अस्पताल में न केवल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2015 6:35 PM

रेफर अस्पताल में तब्दील है अनुमंडलीय अस्पताल धमदाहा. करोड़ों की लागत से अनुमंडलीय अस्पताल का निर्माण हुआ, लेकिन स्थानीय लोगों की अपेक्षा पर यह खड़ा नहीं उतर पा रहा है. लेकिन 100 बिस्तर वाला यह अस्पताल विभागीय उपेक्षा का शिकार है. लिहाजा यहां से मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ता है. अस्पताल में न केवल चिकित्सक बल्कि पारा मेडिकल कर्मियों की भी कमी है. हाल यह है कि दंत चिकित्सक से ओपीडी और आयुष चिकित्सक से इमरजेंसी सेवा ली जा रही है. वहीं व्यवस्था के अभाव में यह अस्पताल अब रेफर अस्पताल के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर चुका है. चिकित्सक व पारा कर्मियों की कमी अनुमंडल अस्पताल में 18 डॉक्टर का पद तथा 48 एएनएम का पद सृजित है. लेकिन बहरहाल यहां अस्पताल प्रभारी समेत पांच चिकित्सक ही उपस्थित हैं. कुल पांच डॉक्टरों में केवल एक डॉक्टर फिजिशियन डा रमण कुमार रमण हैं जो अस्पताल प्रभारी भी हैं. जबकि एक एनीसथीसिया और एक दंत चिकित्सक हैं. अक्सर ऐसा होता है कि अस्पताल ओपीडी का काम दांत डॉक्टरों के द्वारा चलाया जाता है एवं आपातकालीन सेवा में आयुर्वेद के चिकित्सक तैनात रहते हैं. दमैली एवं रंगपुरा उप स्वास्थ्य केंद्र में क्रमश: डा उपेंद्र कुमार एवं डा एस पी सिंह प्रतिनियुक्त हैं. चिकित्सा सेवा का हाल यह है कि अधिकांश रोगियों को सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. बदहाल है जांच विभाग पैथोलॉजी की स्थिति बदहाल है. पैथोलॉजी के स्टाफ अस्पताल के बाहर भी अपना क्लिनिक चलाते हैं. पैथेलॉजी में माइक्रोस्कोप नहीं है जिससे जांच में काफी परेशानी होती है. विशेषज्ञ चिकित्सक नियुक्त नहीं होने से अधिकांश मरीज सतही चिकित्सा सेवा पाकर वापस चले जाते हैं. डॉक्टर भी सर्दी, खांसी दवा लिख कर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान लेते हैं. धमदाहा प्रखंड के 26 पंचायतों में 81 गांव एवं 3 लाख से ज्यादा की जनसंख्या है. यहां प्रतिदिन तीन सौ से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं लेकिन अधिकांश लोग यहां से निराश ही लौटते हैं. कहते हैं मरीज व परिजन अस्पताल में इलाज कराने आये दमगाड़ा पंचायत की शकुंतला देवी, विषो मंडल, मनो ऋषि मोगलिया पुरंदाहा, विवेका कुमार, आनंद कुमार, मोहन महतो, मझली देवी, सझली हांसदा ने बताया कि यहां आने से भी कोई फायदा नहीं होता है क्योंकि दवा भी ठीक से नहीं मिल पाती है. बताया कि ज्यादा परेशानी बताने पर पूर्णिया भेज दिया जाता है. प्रसव के लिए आयी महिला जूली देवी, शबन खातून, संगीता देवी, अरुणा देवी, संतोलिया देवी के परिजन ने बताया कि अस्पताल में बिस्तर बिछाने के लिए चादर नहीं दिया जाता है. प्रसव के बाद बेड पर बिना बिछावन का ही लेटना पड़ता है. चादर मांगने पर भी नहीं दिया जाता है. अस्पताल कैंपस के बाहर कहीं भी एक चापाकल नहीं लगा हुआ है. एक पीएचडी का है भी तो वह खराब पड़ा है.टिप्पणी-अस्पताल में केवल पांच चिकित्सक पदस्थापित हैं. यह सच है कि यहां डॉक्टरों की कमी है. इसकी सूचना विभाग को भी है. जो संसाधन उपलब्ध है उसमें बेहतर सेवा देने की कोशिश की जा रही है. डा रमण कुमार रमण, प्रभारी, अनुमंडल अस्पताल धमदाहा फोटो: 18 पूर्णिया 6परिचय- अनुमंडलीय अस्पताल धमदाहा

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