एक अदद चचरी बना हुआ है आवागमन का सहारा

एक अदद चचरी बना हुआ है आवागमन का सहारा बैसा. प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत चंदेल पंचायत के मुरादपुर गांव के लोगों को आजादी के 68 साल बाद भी एक अदद पुल नसीब नहीं हो सका है. लिहाजा ग्रामीण जर्जर चचरी पुल के सहारे जान हथेली में रख कर यात्रा करने को विवश हैं. वहीं प्रशासनिक अधिकारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 1, 2016 7:08 PM

एक अदद चचरी बना हुआ है आवागमन का सहारा बैसा. प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत चंदेल पंचायत के मुरादपुर गांव के लोगों को आजादी के 68 साल बाद भी एक अदद पुल नसीब नहीं हो सका है. लिहाजा ग्रामीण जर्जर चचरी पुल के सहारे जान हथेली में रख कर यात्रा करने को विवश हैं. वहीं प्रशासनिक अधिकारी व स्थानीय जनप्रतिनिधि समस्या के निदान के प्रति उदासीन बने हुए हैं. सबसे अधिक परेशानी आपात काल में होती है, जब लोगों का गांव से निकलना मुश्किल हो जाता है. गौरतलब है कि गांव में करीब एक हजार से अधिक की आबादी रहती है, जिनका आवागमन चचरी पुल के सहारे ही होता है. वहीं गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था भी उपलब्ध नहीं है. ऐसे में आपात काल में समस्या और भी अधिक गंभीर हो जाती है. खटिया ही लोगों के लिए एंबुलेंस का काम करती है. सामान्य दिनों में भी आवागमन लोगों के लिए खतरे से खाली नहीं रहता है. चचरी पुल के अलावा लोगों के आवागमन के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं है. स्थानीय गंगा प्रसाद कहते हैं कि चचरी पुल पर सफर करते समय हर वक्त जान का खतरा बना रहता है. पुल टूटने की संभावना हर वक्त रहने के कारण जान जोखिम में रहता है. वही जनक लाल सिंह के अनुसार पुल नहीं रहने के कारण सबसे अधिक नुकसान कियानों को उठाना पड़ रहा है. बाजार से बीज खरीद कर घर ले जाने और तैयार फसल को बाजार तक लाने में भारी कठिनाई होती है. किसानों को उनके फसल का उचित लाभ नहीं मिल पाता है. व्यापारी भी गांव में आने से कतराते हैं और किसान मजबूरन औने-पौने दाम में बिचौलियों के हाथ फसल बेच देते हैं. गांव में उच्च विद्यालय नहीं रहने के कारण छात्र-छात्रा इसी चचरी पुल के सहारे उच्च विद्यालय कंजिया जाते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि समस्या के बाबत कई बार प्रतिनिधि व अधिकारियों के समक्ष गुहार लगायी गयी, लेकिन समस्या का निदान नहीं हो सका है. ग्रामीणों ने विधायक व सांसद से समस्या के शीघ्र निदान की मांग की है.

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