औषधि निरीक्षक मामले में गरमायी राजनीति
औषधि निरीक्षक मामले में गरमायी राजनीति पूर्णिया. दवा विक्रेता संघ बनाम प्रशासन की लड़ाई में अब राजनीतिक रंग भी मिलने लगा है. पहले दवा विक्रेताओं की ओर से सांकेतिक हड़ताल, फिर विक्रेताओं की प्रशासन के साथ तानातानी और उसके बाद दवा विक्रेता संघ की अनुमंडल पदाधिकारी के साथ बैठक के बाद मामला स्थगित होता नजर […]
औषधि निरीक्षक मामले में गरमायी राजनीति पूर्णिया. दवा विक्रेता संघ बनाम प्रशासन की लड़ाई में अब राजनीतिक रंग भी मिलने लगा है. पहले दवा विक्रेताओं की ओर से सांकेतिक हड़ताल, फिर विक्रेताओं की प्रशासन के साथ तानातानी और उसके बाद दवा विक्रेता संघ की अनुमंडल पदाधिकारी के साथ बैठक के बाद मामला स्थगित होता नजर आया. लेकिन अब जिला राजद के अध्यक्ष आलोक कुमार के बयान के बाद इसमें राजनीतिक मोड़ भी आ गया है. दरअसल दवा विक्रेता संघ के प्रतिनिधियों ने अनुमंडल पदाधिकारी रवींद्र नाथ से मिल कर कहा था कि उन्हें दवा दुकानों में छापेमारी से कोई शिकायत नहीं है, लेकिन छापेमारी में जो प्रक्रिया अपनायी जा रही है, वह गलत है. इसके अलावा औषधि निरीक्षक नीरज कुमार मानस पर भी संघ की ओर से कई आरोप लगाये गये. तत्काल एसडीएम ने औषधि निरीक्षक श्री मानस को छापेमारी से अलग रखने और आरोपों की जांच के लिए एक टीम गठित करने का आश्वासन दिया. इसी बात को लेकर राजद के जिलाध्यक्ष आलोक कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि औषधि निरीक्षक के खिलाफ आरोप लगा कर जांच प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा है कि एसडीएम किस अधिकार के तहत औषधि निरीक्षक को जांच दल से बाहर किये हैं. उन्होंने कहा है कि एसडीएम विधि-व्यवस्था में विफल रहने का ठीकरा औषधि निरीक्षक पर फोड़ रहे हैं. यह एक तरह से सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयास है. कहा है कि एसडीएम का काम विधि-व्यवस्था स्थापित करना है, न कि पंचायत कर सरकारी आदेश की अवहेलना करना. इस बाबत आयुक्त को पत्र लिख कर श्री कुमार ने जांच की मांग किया है.