परदेस में सीखा हुनर, लोगों को दे रहे रोजगार
परदेस में सीखा हुनर, लोगों को दे रहे रोजगार रूपौली. विपरीत हालात से जूझने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो हालात बदलते देर भी नहीं लगती है. अक्सर यही होता है कि लोग हालात से समझौता कर लेते हैं. विपरीत स्थिति को चुनौती मान कर सामना करने वाले ही समाज में नजीर बनते हैं. ऐसा ही […]
परदेस में सीखा हुनर, लोगों को दे रहे रोजगार रूपौली. विपरीत हालात से जूझने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो हालात बदलते देर भी नहीं लगती है. अक्सर यही होता है कि लोग हालात से समझौता कर लेते हैं. विपरीत स्थिति को चुनौती मान कर सामना करने वाले ही समाज में नजीर बनते हैं. ऐसा ही नौजवान टीकापट्टी निवासी प्रदीप कुमार हैं, जो अपनी मूर्तिकला एवं अन्य हुनर से लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुए हैं. कुछ वर्ष पहले तक गरीबी और बदहाली से जूझ रहे प्रदीप आज न केवल अच्छी कमाई कर रहे हैं बल्कि कई युवाओं को रोजगार भी दे रहे हैं. दरअसल प्रदीप का बचपन काफी गरीबी में गुजरा. इस वजह से वह स्कूली पढ़ाई भी नहीं पूरी कर सके. गांव के अन्य बेरोजगारों की तरह करीब सात साल पहले रोजगार की तलाश में पंजाब का रुख किया. लेकिन पंजाब जाकर भी खेतों में काम करने के बजाय प्रदीप ने मूर्ति कला में अपना हुनर आजमाया. तीन वर्षों तक वह मूर्ति कला के कठिन साधना में जुटे रहे. इस दौरान उन्हें आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा. महत्वपूर्ण यह है कि कला साधना पूरी होने के बाद प्रदीप पंजाब के ही होकर नहीं रह गये, बल्कि वापस अपने घर चले आये. बीते चार वर्ष से प्रदीप टीकापट्टी में मूर्ति का निर्माण कर रहे हैं. इसके अलावा शौचालय के पाट निर्माण से भी जुड़े हुए हैं. परिणाम यह है कि आज प्रदीप दर्जनों युवकों को रोजगार भी दे रहे हैं. प्रदीप ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा ‘ परदेस जाकर तो बहुत लोग कमाते हैं, लेकिन अपने गांव के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना सुकून देता है’. फोटो: 9 पूर्णिया 5परिचय-अपने हाथों बने मूर्तियों के साथ प्रदीप