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खाद्य सुरक्षा अभियान की राह नहीं है आसान

खाद्य सुरक्षा अभियान की राह नहीं है आसान केस स्टडीबायसी थाना क्षेत्र के हिजला चौक पर 28 दिसंबर को 11 बजे रात में 183 बोरा अरबा चावल लदा ट्रैक्टर पकड़ कर बायसी थाना लाया गया. बताया गया कि चावल पीडीएस का है. बनमनखी अनुमंडल के सरसी में कालाबाजारी के लिए ले जाये जा रहे एक […]

खाद्य सुरक्षा अभियान की राह नहीं है आसान केस स्टडीबायसी थाना क्षेत्र के हिजला चौक पर 28 दिसंबर को 11 बजे रात में 183 बोरा अरबा चावल लदा ट्रैक्टर पकड़ कर बायसी थाना लाया गया. बताया गया कि चावल पीडीएस का है. बनमनखी अनुमंडल के सरसी में कालाबाजारी के लिए ले जाये जा रहे एक ट्रक अनाज को 22 दिसंबर को सरसी पुलिस द्वारा जब्त किया गया था. सदर अनुमंडल के पूर्व प्रखंड क्षेत्र से कालाबाजारी के संदेह में 17 दिसंबर को दो अनाज लदा ट्रक जब्त किया गया. पूर्णिया. चर्चित कहावत है कि चोर के आगे ताला क्या,बेइमान के आगे केवाला क्या. यह कहावत खाद्य आपूर्ति विभाग पर बिलकुल खड़ा उतर रहा है. एसएफसी गोदाम से लेकर पीडीएस दुकानों तक अनाज पहुंचाने के दौरान अनाज का कालाबाजारी बदस्तूर जारी है. पिछले नवंबर एवं दिसंबर माह में कालाबाजारी के लगभग आधा दर्जन से भी अधिक मामले प्रकाश में आये. इसके बावजूद अनाज की कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रहा है. जानकार बतलाते हैं कि पीडीएस दुकानदार तो इस धंधे का मामूली प्यादा है, अधिकारी और माफिया गरीबों का निवाला निगल रहे हैं. इस प्रकार केंद्र सरकार की बहुचर्चित योजना खाद्य सुरक्षा अभियान आज भी अपने लक्ष्य से दूर है. जीपीएस प्रणाली से होती है निगरानीजिला एसएफसी गोदामों से माल ढोने वाले ट्रकों एवं ट्रैक्टरों की निगहवानी की जाती है. इसके बावजूद ट्रक का ट्रक सरकारी अनाज की कालाबाजारी कई सवालों को जन्म दे रहा है. सरकारी आनाज के कालाबाजारी से जुड़े माफियाओं के हाथ इतने लंबे कैसे होगये, जो जीपीएस प्रणाली को भी धता बता रहे हैं, यह बड़ा सवाल है. बताया जाता है कि इस गोरख धंधे में गोदाम के पदाधिकारी से लेकर विभागीय पदाधिकारी एवं कालाबाजारियों का मजबूत नेटवर्क है. प्रशासनिक महकमे में उंची पहुंच की बदौलत इन्हें संरक्षण मिलता रहता है. वाहनों पर नहीं होता है लोड सेलसरकारी प्रावधानों के अनुसार हर डोर स्टेप डिलेवरी वाहनों में लोड सेल रखने का प्रावधान है. जिससे गोदामों एवं पीडीएस विक्रेताओं को अनाज तौल कर दिया जा सके. किंतु जानकार बताते हैं कि किसी भी वाहन में लोड सेल नहीं होने का लाभ संवेदक एवं गोदाम प्रभारी आसानी से उठाते हैं. पचास किलो के बोरे में औसतन 45 किलो अनाज ही होते हैं. इसी अनाज को पीडीएस दुकानों को पचास किलो बता कर दिया जाता है. उपर का दबाव इतना अधिक रहता है कि दुकानदार भी खामोश हो जाते हैं. कम अनाज देने की है बाध्यतापीडीएस दुकानदार की भी अपनी मजबूरी है. चूंकि पीडीएस दुकानदार द्वारा निर्धारित मात्रा से कम मात्रा में राशन का उठाव किया जाता है. ऐसे में उसकी मजबूरी होती है कि लाभुकों को भी कम राशन दिया जाये. पीडीएस दुकानदारों का तर्क है कि ऊपर से ही राशन में लूट मची है तो माप में उचित राशन की आपूर्ति कहां से हो सकेगी. इसके अलावा भी अधिकारियों को चढ़ावा चढ़ाने की बाध्यता है. ऐसे में विभाग पीडीएस दुकानदारों से ईमानदारी की आकंक्षा पालना दिवा स्वप्न से कम नहीं है. आयोग पीडीएस प्रणाली हटाने के पक्ष मेंखाद्य सुरक्षा में गरीबों के राशन में लूट खसोट को देख राज्य खाद्य आयोग व्यथित है. जिससे आयोग आपूर्ति विभाग से पीडीएस दुकानदार प्रणाली को हटाने के संकेत दिये हैं. आयोग पीडीएस प्रणाली को समाप्त कर पंचायत स्तर पर राशन गोदाम स्थापित कर सरकारी सेवक को राशन वितरण के लिए नियुक्त करने के मूड में नजर आ रही है. उसका मानना है कि इससे अनाज की कालाबाजारी पर अंकुश लग सकेगा. क्योंकि सरकारी कर्मी पर अधिकारियों का सीधा अंकुश रह सकेगा. खाद्य आयोग की यह कवायद किस हद तक रंग लाती है, यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा. टिप्पणी खाद्य आपूर्ति की स्थिति पूर्णिया में अत्यंत ही गड़बड़ है. इसकी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी जायेगी. साथ ही आयोग इस बात का भी अनुसंशा करेगी कि राज्य से पीडीएस प्रणाली समाप्त कर पीजीएम सिस्टम लागू किया जाये. डॉ असमतउल्ला बुखारी,अध्यक्ष,राज्य खाद्य आयोग,पटनाफोटो:- 09 पूर्णिया 11 एवं 12परिचय:- 11- कालाबाजारी की सांकेतिक तसवीर12- डा असमतउल्ला बुखारी

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