पंख से कुछ नहीं होता, हौसले से उड़ान होती है, दृढ़ इच्छाशक्ति की धनी रूपम फिलहाल पूर्णिया कॉलेज में पीजी (हिंदी) की परीक्षा में सम्मिलित हो रही है. हाथों के बदले वह अपने पैरों से धारा प्रवाह लिखती है
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रूपम ने नि:शक्तता को बनाया हथियार
पंख से कुछ नहीं होता, हौसले से उड़ान होती है, दृढ़ इच्छाशक्ति की धनी रूपम फिलहाल पूर्णिया कॉलेज में पीजी (हिंदी) की परीक्षा में सम्मिलित हो रही है. हाथों के बदले वह अपने पैरों से धारा प्रवाह लिखती है पूर्णिया : किसी ने सच ही कहा है कि उड़ान पंखों की बदौलत नहीं, हौसले की […]
पूर्णिया : किसी ने सच ही कहा है कि उड़ान पंखों की बदौलत नहीं, हौसले की बदौलत भरी जाती है. कम से कम रूपम के मामले में तो यह उक्ति सोलह आना सच नजर आती है. रूपम बड़हरा कोठी प्रखंड की मगुरजान की रहने वाली है और दोनों हाथों से नि:शक्त है, लेकिन ईश्वर की इस नाराजगी को रूपम ने उपहार समझ कर अपनी सफलता का हथियार बनाया है.
दृढ़ इच्छाशक्ति की धनी रूपम फिलहाल पूर्णिया कॉलेज में पीजी (हिंदी) की परीक्षा में सम्मिलित हो रही है. हाथों के बदले वह अपने पैरों से धारा प्रवाह सवालों का जवाब लिखने में व्यस्त रहती है. खास बात यह है कि रूपम की लिखावट भी खुबसूरत है. जाहिर है दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो और हौसले बुलंद हो तो मंजिल अपने आप कदम चूमती है.
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