वक्त बीतने के साथ ही हर दिन एक पहेली बन कर सामने आ रहा फानूस
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फानूस प्रकरण : अधर में है अनुसंधान, एजेंटों की कट रही है चांदी
वक्त बीतने के साथ ही हर दिन एक पहेली बन कर सामने आ रहा फानूस 100 करोड़ से अिधक की इस लूट का परिणाम सिफर रहने पर सवाल पूर्णिया/बनमनखी : कोसी और सीमांचल के गरीब और लाचार लोगों को हसीन ख्वाब दिखाने वाले फानूस बैंक ऑॅफ बिनोवा ग्राम के सरगना मो फानूस ने हजारों लोगों […]
100 करोड़ से अिधक की इस लूट का परिणाम सिफर रहने पर सवाल
पूर्णिया/बनमनखी : कोसी और सीमांचल के गरीब और लाचार लोगों को हसीन ख्वाब दिखाने वाले फानूस बैंक ऑॅफ बिनोवा ग्राम के सरगना मो फानूस ने हजारों लोगों को जो दर्द दिया, वह अब गहरे जख्म के रूप में तब्दील हो चुका है. लेकिन अपनी मौत के बाद भी फानूस रहस्य बना हुआ है. वक्त बीतने के साथ फानूस हर दिन एक नयी पहेली के रूप में सामने आ रहा है. सबसे आश्चर्य तो यह है कि फानूस के गांव बिनोवा ग्राम में ही ऐसे लोगों की बड़ी तादाद है
जो मानते हैं कि फानूस आज भी जिंदा है. वहीं बड़ा सवाल यह है कि 100 करोड़ से अधिक रुपये की इस लूट का परिणाम सिफर क्यों रहा. जाहिर है पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. इन्हीं सवालों के बीच लोगों में अब आक्रोश पनपने लगा है.
एजेंटों की कट रही है चांदी : फानूस बैंक ऑफ बिनोवा ग्राम के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में एक दर्जन लोग शामिल थे. इसमें से सिर्फ मो सिकंदर की गिरफ्तारी हुई है. शेष सदस्य फरार हैं और गाहे-बगाहे अपने घर भी आते हैं. ऐसे सदस्य करोड़ों रुपये अर्जित कर अपने नये आशियाना पर चांदी काट रहे हैं. हाल के दिनों में कई ऐसे एजेंटों ने पासपोर्ट के लिए भी आवेदन कर रखा है. सूत्र बतलाते हैं कि 02 एजेंट के अब तक पासपोर्ट भी बन चुके हैं. वहीं आरंभिक दौर से ही फानूस के संरक्षक रहे लालजी मंडल टोला के दो प्रभावशाली व्यक्ति और गंगापुर के एक करीबी शख्स की भी चांदी कट रही है.
कहां गये सैकड़ों करोड़ रुपये : उच्च न्यायालय में जो लोकहित याचिका दायर की गयी है, उसमें 1600 लोगों ने माना है कि 40 एजेंट के माध्यम से 40 करोड़ से अधिक रुपये फानूस बैंक में जमा किये गये थे. जबकि जानकारी अनुसार इस धंधे में 150 से अधिक एजेंट शामिल थे. यह सूची उन लोगों की है, जो स्थानीय है.
जबकि बड़ी संख्या वैसे लोगों की है, जो अररिया, सहरसा, सुपौल, नवगछिया, भागलपुर आदि इलाके के हैं. ऐसे में यह राशि 100 से 125 करोड़ तक की बतायी जाती है. जनहित याचिका में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह राशि कहां गयी और किस मद में खर्च हुई, इसकी उच्चस्तरीय जांच आवश्यक है. क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला भी है.
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