पशु तस्करी. मोबाइल के कॉल िडटेल से सामने आये चौंकाने वाले राज

सफेदपोश-ओहदेदार होंगे बेनकाब सीमांचल, कोसी समेत पूरे सूबे में चल रहे पशु तस्करी के काले कारोबार के नेटवर्क का धीरे-धीरे खुलासा होने लगा है. िकशनगंज के कुर्लीकोट थाना क्षेत्र अंतर्गत चक्करमाड़ी से बीते एक मार्च को िगरफ्तार पशु तस्कर मो रईस व उसके सहयोगी ने ऐसे कई बयान िदये हैं जो चौंकाने वाले हैं. इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 12, 2016 4:50 AM

सफेदपोश-ओहदेदार होंगे बेनकाब

सीमांचल, कोसी समेत पूरे सूबे में चल रहे पशु तस्करी के काले कारोबार के नेटवर्क का धीरे-धीरे खुलासा होने लगा है. िकशनगंज के कुर्लीकोट थाना क्षेत्र अंतर्गत चक्करमाड़ी से बीते एक मार्च को िगरफ्तार पशु तस्कर मो रईस व उसके सहयोगी ने ऐसे कई बयान िदये हैं जो चौंकाने वाले हैं. इस कारोबार मंे रईस का साथ देने वाले कई सफेदपोश, राजनेता व पुिलस के आलािधकारी भी शािमल हैं. मोबाइल का कॉल िडटेल अभी कई और राज खोलेगा.
पूर्णिया : सीमांचल और कोसी में वर्षों से जारी पशु तस्करी के गहरे नेटवर्क का खुलासा धीरे-धीरे होने लगा है. किशनगंज जिले के कुर्लीकोट थाना क्षेत्र के चक्करमाड़ी गांव से 01 मार्च को गिरफ्तार पशु तस्कर मो रईस उर्फ बबलू तथा उसके सहयोगी मो अली आजम उर्फ करिया तथा मो अमजद ने पुलिस के समक्ष जो स्वीकारोक्ति बयान दिया है, वह हैरान करने वाला है. पूरे प्रकरण से स्पष्ट है कि मो रईस उर्फ बबलू पशु तस्करी की दुनिया का डॉन है और उसे पुलिस अधिकारियों और सफेदपोशों के साथ राजनेताओं का भी संरक्षण प्राप्त है.
मो रईस उर्फ बबलू एवं करिया तथा अमजद के पास से बरामद मोबाइल के कॉल डिटेल से कई अहम राज सामने आये हैं. कॉल डिटेल से कई सफेदपोश एवं पुलिस अधिकारियों के साथ लेन-देन का भी खुलासा हुआ है. हालांकि इस बाबत आधिकारिक तौर पर कोई भी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है.
सफेदपोशों का भी है संरक्षण प्राप्त
मो रईस के पशु तस्करी के नेटवर्क में सभी प्रकार के लोग शामिल हैं. इस कारोबार में मो रईस ने दो दर्जन से अधिक गुर्गे पाल रखे हैं. ये सभी लाइनर का काम करते हैं. इसके अलावा इस धंधे को सफेदपोशों के साथ-साथ कई राजनेताओं का भी संरक्षण प्राप्त है. सूत्र बतलाते हैं कि पूर्णिया, अररिया और किशनगंज के कई बड़े और कद्दावर नेता का मो रईस से नजदीकी ताल्लुकात रहा है. ऐसे बड़े नेता के कई कार्यक्रमों में भी मो रईस को देखा गया है.
इसके अलावा कई पत्रकारों से भी मो रईस के बेहतर संबंध रहे हैं. ऐसे लोगों से बातचीत के प्रमाण भी मोबाइल से प्राप्त हुए हैं. यही वजह रही कि सीमांचल के गांव-गांव से पशु तस्करी जारी रही और इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों को दल विशेष और संगठन विशेष का व्यक्ति कह कर खारिज कर दिया गया.

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