टीबी के खिलाफ अभियान हो रहा सिफर साबित

पूर्णिया : यह सच है कि लगातार डॉट्स कार्यक्रम चलाये जाने के बाद भी टीबी जिलेे के लोगों का दामन छोड़ने का नाम नहीं ले रही है. पूरे जिले में कुल 2231 टीबी के मरीज मिले हैं. इससे विभाग ही नहीं पूरे महकमे में बेचैनी का आलम है. विभागीय आंकड़े के इतर जिले में वास्तविक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 12, 2016 4:52 AM

पूर्णिया : यह सच है कि लगातार डॉट्स कार्यक्रम चलाये जाने के बाद भी टीबी जिलेे के लोगों का दामन छोड़ने का नाम नहीं ले रही है. पूरे जिले में कुल 2231 टीबी के मरीज मिले हैं. इससे विभाग ही नहीं पूरे महकमे में बेचैनी का आलम है. विभागीय आंकड़े के इतर जिले में वास्तविक टीबी रोगियों की संख्या कई गुणा ज्यादा बतायी जाती है. यदि टीबी पर तत्काल रोक लगाने की दिशा में प्रभावी रूप से काम नहीं किया गया तो आने वाले समय में दस गुणा अधिक लोग टीबी के शिकार हो सकते हैं.

पूर्णिया टीबी का सॉफ्ट टारगेट : इस जिले के अधिकांश इलाके में जीवन स्तर निम्नतम स्तर का रहने के कारण रहन -सहन व खानपान भी निम्न स्तर का है. जिससे लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. लिहाजा टीबी के जीवाणु मायको बैक्टिरियम ट्यूबरक्लोसिस आसानी से यहां के लोगों को अपना शिकार बनाती है. साथ ही एचआइवी ,एड्स एवं मधुमेह के रोगियों को भी टीबी अपना शिकार बना लेता है. यही कारण है कि जिले में टीबी मरीजों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती जा रही है.
क्या है टीबी : टीबी अर्थात ट्यूबरक्लोसिस अर्थात यक्ष्मा बैक्टिरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु की वजह से होता है. यह जीवाणु मानव के फेफड़े और गले पर असर करता है. इसे राजयक्ष्मा यानि रोगों के राजा के नाम से भी जाना जाता है. यह रोग किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है. इस रोग की भयावहता इसी से आंका जा सकता है कि भारत में प्रति डेढ़ मिनट में एक व्यक्ति की मौत टीबी के कारण हो रही है. पूरे विश्व में प्रति तीन व्यक्ति पर एक व्यक्ति टीबी रोगी है और हर साल 30लाख लोगों की मौत टीबी के कारण हो रही है.
पूर्णिया में लगा जीन एक्सपर्ट मशीन : सदर अस्पताल में 25 लाख की लागत से जीन एक्सपर्ट मशीन लगाया गया है. इस मशीन से एमडीआर मरीज की पहचान हो सकेगी. एमडीआर रोगी उस मरीज को कहा जाता है,जो टीबी का आधा-अधूरा इलाज करा कर दवा को छोड़ देता है. जिससे टीबी और भी भयावह रुप धारण कर लेता है. वैसे रोगियों की पहचान के लिए इस मशीन को सदर अस्पताल में लगाया गया है. इस मशीन से अब तक 30 संभावित एमडीआर मरीजों की जांच की गयी,जिसमें 02 एमडीआर पाये गये.

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