मनमानी. नॉर्मल और सिजेरियन डिलिवरी के खेल में डॉक्टर हो रहे मालामाल

स्वास्थ्य नगरी लाइन बाजार में नाॅर्मल और सिजेरियन का खेल जारी है. यह स्याह सच है कि प्रसव के नाम पर यहां लूट-खसोट का धंधा बदस्तूर जारी है. यहां डेरा जमाये स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ चंद मिनटों में ही सामान्य प्रसव को अपनी अनोखे कारगुजारियों से सीजर में तब्दील कर देते हैं और प्रसूता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 26, 2016 4:50 AM

स्वास्थ्य नगरी लाइन बाजार में नाॅर्मल और सिजेरियन का खेल जारी है. यह स्याह सच है कि प्रसव के नाम पर यहां लूट-खसोट का धंधा बदस्तूर जारी है. यहां डेरा जमाये स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ चंद मिनटों में ही सामान्य प्रसव को अपनी अनोखे कारगुजारियों से सीजर में तब्दील कर देते हैं और प्रसूता और परिजनों को हाथ की इस सफाई का पता भी नहीं चल पाता है.

पूर्णिया :लाइन बाजार स्थित बिहार टॉकिज रोड में जलालगढ़ थाना क्षेत्र की कुसुमी देवी एक निजी नर्सिंग होम में प्रसव के लिए पहुंची. जहां डॉक्टर उसे नॉरमल डिलीवरी होने के नाम पर रोके रखा. गर्भवती प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी. शाम के छह बजे के आस पास महिला को एक इंजेक्शन दिया गया. उसके बाद प्रसूता का प्रसव पीड़ा घटते-घटते समाप्त हो गया. रात के आठ बजे के आस-पास डॉक्टर गर्भवती के परिजनों से बतायी कि प्रसव पीड़ा बंद हो गया है, जो जच्चा और बच्चा के लिए खतरनाक है. अंतत: प्रसूता के परिजनों ने सिजेरियल के लिए हामी भरी और एवज में एक मोटी रकम चुकानी पड़ी.
केस स्टडी- 02
शिव मंदिर रोड स्थित एक निजी क्लीनिक में बनमनखी प्रखंड से एक गर्भवती को प्रसव कराने लाया गया. जहां डॉक्टर ने जांच के बाद सीजर से प्रसव होने की बात बतायी. ऑपरेशन शुल्क तेरह हजार की मांग की गयी. शाम के सात बजे ऑपरेशन का समय निर्धारित हुआ. उसी दिन शाम के लगभग पांच बजे प्रसूता नर्स के साथ ट्यूबवेल पर गयी. जहां ट्यूबवेल चलाने के क्रम में ही उसे प्रसव हो गया. प्रसव होने की जानकारी मिलते ही डॉक्टर नर्सिंग होम पहुंची और नर्स को जम कर खड़ी-खोटी सुनायी.
प्रसव की दुनिया में स्वास्थ्य नगरी लाइन बाजार में नॉरमल और सिजेरियन का खेल जारी है. यह स्याह सच है कि प्रसव के नाम पर यहां लूट-खसोट का धंधा बदस्तूर जारी है. यहां डेरा जमाये स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ चंद मिनटों में ही सामान्य प्रसव को अपनी अनोखे कारगुजारियों से सीजर में तब्दील कर देते हैं और प्रसूता और परिजनों को हाथ की इस सफाई का पता भी नहीं चल पाता है.
इस अनोखे खेल के पीछे अधिक से अधिक धन उपार्जन की मंशा होती है. डॉक्टरों की इस कारगुजारी को मध्यमवर्गीय परिवार के लोग तो झेल लेते हैं, लेकिन निम्नवर्गीय लोगों के लिए यह किसी आघात से कम नहीं होता है. विडंबना यह है कि सिजेरियन प्रसव से पहले परिजनों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है और भयवश परिजन सिजेरियन के लिए हामी भर देते हैं.
एक तीर से कई शिकार
सिजेरियन के खेल सचमुच बड़े ही निराले हैं. दरअसल सिजेरियन के माध्यम से एक तीर से कई शिकार चिकित्सक करते हैं. लाखों-करोड़ों की लागत से नर्सिंग होम तैयार होता है. ऐसे में अगर नॉर्मल डिलीवरी हो तो नर्सिंग होम का मासिक खर्च भी निकल पाना मुश्किल होता है, कमाई की कल्पना भी बेकार होगी. अगर डिलीवरी सिजेरियन हो तो कम से कम प्रसूता को 10 से 12 दिनों तक नर्सिंग होम में ठहरना मजबूरी होती है. इसके अलावा डॉक्टर और नर्सिंग फी अलग से जोड़े जाते हैं. इसके अलावा सिजेरियन की दवा के नाम पर भी एक बड़ा घोटाला होता है. जानकार बतलाते हैं कि अमूमन एक प्रसूता के लिए जो दवा की लिस्ट परिजनों को थमायी जाती है, उसमें कम से कम दो सिजेरियन आराम से हो सकता है. स्पष्ट है कि दवा मद में भी प्रसूता और परिजनों के साथ सफेद धोखाधड़ी की जाती है. इस बात से कई लोग वाकिफ भी होते हैं, लेकिन मजबूरीवश उनकी जुबां बंद रहती है.

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