जाली लाॅटरी ने बदल दी किस्मत
खुलासा. अवैध लाॅटरी के कारोबार में मुकेश व िवकास बन गया जैंटल मैन लॉटरी के जैकपॉट को जीत कर रातो-रात करोड़पति बनने का ख्वाब देखने वाले दर्जनों ऐसे लोग हैं, जो अब घर की जमा पूंजी भी लॉटरी के खेल में होम कर बरबाद हो चुके हैं, वहीं इस धंधे से जुड़े हुए आधे दर्जन […]
खुलासा. अवैध लाॅटरी के कारोबार में मुकेश व िवकास बन गया जैंटल मैन
लॉटरी के जैकपॉट को जीत कर रातो-रात करोड़पति बनने का ख्वाब देखने वाले दर्जनों ऐसे लोग हैं, जो अब घर की जमा पूंजी भी लॉटरी के खेल में होम कर बरबाद हो चुके हैं, वहीं इस धंधे से जुड़े हुए आधे दर्जन ऐसे लोग हैं, जो महज एक दशक में ही करोड़पति बन चुके हैं.
पूर्णिया : लॉटरी का कारोबार भी अजीब विरोधाभासों से भरा हुआ है. लॉटरी के जैकपॉट को जीत कर रातो-रात करोड़पति बनने का ख्वाब देखने वाले दर्जनों ऐसे लोग हैं, जो अब घर की जमा पूंजी भी लॉटरी के खेल में होम कर बरबाद हो चुके हैं, वहीं इस धंधे से जुड़े हुए आधे दर्जन ऐसे लोग हैं, जो महज एक दशक में ही करोड़पति बन चुके हैं. खास बात यह है कि कई बरबाद होने वाले और धंधे में करोड़पति बनने वाले अड़ोसी-पड़ोसी ही हैं.
फर्क केवल इतना है कि लॉटरी के टिकट खरीद कर करोड़पति बनने की ख्वाहिश रखने वाले ने गलत रास्ता नहीं चुना, जबकि कारोबार के जरिये करोड़पति बनने वाले ने हर उस हथकंडे का इस्तेमाल किया, जो उसे करोड़पति की श्रेणी में ला खड़ा कर सकता था. कल तक जो फुटपाथ पर समय बिताते थे और किसी के प्रतिष्ठान में नौकरी करते थे, आज अवैध लॉटरी के कारोबार से करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर समाज में मान-सम्मान प्राप्त कर रहे हैं और जैंटल मेन की श्रेणी में गिने जाते हैं.
नकली लॉटरी का कारोबार 100 प्रतिशत मुनाफे का खेल : लॉटरी कारोबारियों का करोड़पति बनने का राज यह है कि असली लॉटरी के साथ-साथ नकली लॉटरी के खेल में भी वे सक्रिय रहे हैं.
असली लॉटरी बंगाल से मंगाया जाता है, जबकि नकली लॉटरी दिल्ली से प्रिंट होकर मुजफ्फरपुर के रास्ते पूर्णिया तक आता है. नकली लॉटरी का कारोबार 100 फीसदी मुनाफे का खेल है. इसमें इनाम के नाम पर ग्राहकों को आसानी से लूटा जाता है. यही वजह है कि कम समय में कारोबारियों ने अकूत संपत्ति अर्जित कर नवधनाढय बन गये हैं. वहीं करोड़पति बनने की उम्मीद में हर दिन लॉटरी खरीदने वाले ग्राहक धीरे-धीरे कंगाल होते चले गये. समस्या यह है कि असली और नकली का फर्क समझना आम लोगों के लिए आसान नहीं है.
पुलिस की भूिमका भी संदिग्ध
अवैध लॉटरी कारोबारियों में सुरेश चौधरी, विकास चौहान, राजू खान एवं कृष्ण कुमार महतो उर्फ छोटू का कारोबार सदर थाना के अंतर्गत है. वहीं मुकेश कुमार का कारोबार सहायक खजांची थाना क्षेत्र में है. ये सभी खुले तौर पर अपने-अपने कार्यस्थल पर टेबुल-कुरसी लगा कर लॉटरी बेचते हैं. ऐसे में पुलिस द्वारा इन लोगों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई नहीं करना उनकी भूमिका पर सवाल खड़ा करता है. जानकार सूत्रों की मानें तो सदर और सहायक खजांची थाना के पैंथर मोबाइल का कारोबारियों के कार्यस्थल पर आना-जाना लगा रहता है. पूरे मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है.
मुकेश था सेल्स मेन, विकास ट्रक ड्राइवर व सुरेश था पान दुकानदार
देखते ही देखते पिछले 08 वर्ष में इस धंधे से जुड़े प्रमुख पांच सरगना करोड़पति बन चुके हैं. रामबाग का मुकेश कुमार का प्रतिदिन लगभग 1.50 लाख का कारोबार होता है. इस धंधे से पूर्व मुकेश एक दवाई दुकान में सेल्स मेन था. अब उसे लाइन बाजार में जमीन व मकान है. साइकिल पर चढ़ने वाला अब चार चक्का वाहन पर घुम रहा है. चौहान टोला का विकास चौहान पूर्व में ट्रक चालक था. इस कारोबार से जुड़ने के बाद वह पांच ट्रक का मालिक बन गया है. इसके अलावा चौहान टोला में आलिशान मकान का मालिक भी बन चुका है. उसे एक लग्जरी वाहन के अतिरिक्त दो महंगी बाइक भी है. खुश्कीबाग का सुरेश चौधरी पूर्व में पान दुकानदार था. अवैध लॉटरी का चस्का लगने के बाद इसी पान दुकान को लॉटरी दुकान में बदल दिया और अकूत संपत्ति अर्जित की. किसी समय झोंपड़ी में रहने वाला सुरेश अब आलीशान मकान में रहता है और इन्हें खुश्कीबाग, रानीपतरा व मिलनपाड़ा में अपना भूखंड भी है. खुश्कीबाग का कृष्ण कुमार महतो उर्फ छोटू इस कारोबार से पूर्व ऑटो चालक था. इधर दो वर्ष में इस अवैध कारोबार से खुद का वाहन व मकान का मालिक बन बैठा. खुश्कीबाग का राजू खान इस कारोबार से पूर्व कटिहार मोड़ के निकट एक साधारण खानपान का होटल चलाता था. इस कारोबार से जुड़ने के बाद वह शाही जीवन बिता रहा है.