पैरों के दर्द की न करें अनदेखी, हो सकता है वेस्कुलर

पूर्णिया : पैरों में होने वाले दर्द को लोग आम रोग समझ कर दर्द निवारक दवा खा कर अक्सर अनदेखी किया करते हैं. जबकि पैरों में अक्सर होने वाला दर्द वेस्कुलर (धमनी से संबंधित रोग) हो सकता है. संभव है कि नजरअंदाज करने की कीमत आपको अपना पैर गंवा कर भी करनी पड़ सकती है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 2, 2016 7:56 AM
पूर्णिया : पैरों में होने वाले दर्द को लोग आम रोग समझ कर दर्द निवारक दवा खा कर अक्सर अनदेखी किया करते हैं. जबकि पैरों में अक्सर होने वाला दर्द वेस्कुलर (धमनी से संबंधित रोग) हो सकता है.
संभव है कि नजरअंदाज करने की कीमत आपको अपना पैर गंवा कर भी करनी पड़ सकती है. जबकि इसका उपचार न ही कठिन है और न ही खर्चीला है. विशेषज्ञों की राय से इलाज आरंभ कर इस समस्या से निदान पाया जा सकता है.
क्या है वेस्कुलर : चलते वक्त एवं रात को सोते समय लोग पैर के दर्द से परेशान रहते हैं. ऐसे में लोग अक्सर इसे मामूली दर्द समझ कर दर्द निवारक खा कर इस रोग को नजरअंदाज कर देते हैं. दरअसल अक्सर पैर में दर्द होना धमनी से संबंधित रोग हो सकता है. इसे चिकित्सकीय भाषा में वेस्कुलर कहते हैं.
इस रोग में नसों में वसा जमा हो जाता है. जिससे पैर का रक्त प्रवाह प्रभावित होता है और व्यक्ति असहनीय दर्द से पीडि़त रहता है. दर्द के कारण नींद भी प्रभावित होती है. मरीज दर्द के कारण रतजगा कर बीताते हैं. मधुमेह एवं धूम्रपान करने वाले को विशेष सतर्कता की आवश्यकता होती है.
तुरंत विशेषज्ञ से करें संपर्क : यदि दर्द के कारण आप रात को सो नहीं पाते तो आपको पैर खोने का खतरा हो सकता है और तत्काल वेस्कुलर चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. सभी को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती. यदि दर्द आपकी दिनचर्या को प्रभावित नहीं कर रहा है, तो सिर्फ व्यायाम और धूम्रपान छोड़ने से ही समस्या से निजात मिल सकती है. उपरोक्त लक्षणों से प्रभावित मरीज की धमनियों के कुछ परीक्षण किये जाते हैं.
इनमें पैर की धमनियों का रंग डॉप्लर या अल्ट्रासाउंड बता सकता है कि किस स्थान पर रक्त के प्रवाह में रुकावट आ रही है. दूसरा परीक्षण शल्य चिकित्सा से पूर्व एंजियोग्राम के जरिए किया जाता है. यह एक वृहद तकनीक है, जिससे सभी धमनियों की आंतरिक स्थिति का ज्ञान हो जाता है और पैर लंबे समय तक स्वस्थ बनाए जा सकते हैं.
सामान्य ऑपरेशन के लिए रोगी को एक-दो दिन ही अस्पताल में रहने की जरूरत होती है. यह तकनीक एंजियोप्लास्टी कहलाती है, जिसमें धमनियों को गुब्बारे की तरह चौड़ा किया जाता है.
यह धमनियों की स्थिति और उसमें रुकावट पर निर्भर करती है. एक पतला तार कमर या हाथों से प्रभावित स्थान पर भेजा जाता है. इसके जरिए एक गुब्बारा भेजा जाता है, जो स्थान को चौड़ा करता है. रुकावट दूर होने के बाद स्टील का पाइप लगा दिया जाता है, जिससे यह स्थान पुनः पतला न हो सके. लंबे समय तक दर्द से निजात का यह उत्तम उपाय है.
दूसरा तरीका बायपास शल्य चिकित्सा है, जिसमें मरीज को 7 से 10 दिन तक अस्पताल में रहना पड़ सकता है. यह हृदय बायपास शल्यक्रिया की तरह ही है, लेकिन इसमें आपकी खुद की नसों या कृत्रिम नसों को धमनी में लगाया जाता है. समय पर चिकित्सक से परामर्श कर लिया जाए तो दो फीसदी से अधिक लोगों के पैर काटने की जरूरत नहीं पड़ती और जीवन सामान्य हो जाता है. एक्यूप्रेशर चिकित्सा द्वारा वेस्कुलर समस्या का निवारण संभव है.
(डॉ वीसी राय, हड्डी रोग विशेषज्ञ

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