इलाज होता नहीं, बस रेफर किये जाते मरीज
डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा रेफरल अस्पताल अमौर : स्थानीय रेफरल अस्पताल मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है. बदहाली का आलम यह है कि इलाज की बजाय यहां से मरीजों को रेफर करना श्रेस्कर समझा जाता है. प्रखंड क्षेत्र की लाखों की आबादी के इलाज के लिए यहां समुचित संख्या में डॉक्टर […]
डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा रेफरल अस्पताल
अमौर : स्थानीय रेफरल अस्पताल मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है. बदहाली का आलम यह है कि इलाज की बजाय यहां से मरीजों को रेफर करना श्रेस्कर समझा जाता है. प्रखंड क्षेत्र की लाखों की आबादी के इलाज के लिए यहां समुचित संख्या में डॉक्टर एवं एएनएम भी पदस्थापित नहीं हैं. 30 बेड वाले रेफरल अस्पताल में 11 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं. लेकिन वर्तमान में मात्र तीन डॉक्टर अस्पताल में कार्यरत है. इसमें एक डॉक्टर दंत चिकित्सक हैं
और संविदा पर कार्यरत हैं. सबसे अधिक परेशानी महिला रोगियों और बाल रोगियों को उठानी पड़ती है. क्योंकि यहां महिला चिकित्सक और बाल रोग विशेषज्ञ दोनों का अभाव है. छोटे-छोटे मामले में भी महिला और बच्चों को सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. अस्पताल में एएनएम के 68 पद स्वीकृत है, जिसमें मात्र 20 एएनएम ही कार्यरत है, शेष पद रिक्त हैं. जबकि अस्पताल में प्रत्येक दिन प्रसव के लिए 10 से 12 प्रसूता पहुंचती हैं.
अस्पताल में प्रत्येक दिन 400 के करीब ओपीडी में रोगियों को देखा जाता है. डॉक्टरों की कमी के कारण रोगियों का समुचित इलाज नहीं हो पाता है. स्थानीय शमीम अख्तर, वकील साह, राज कुमार साह, अमृत कर्मकार, एजाज आलम आदि ने बताया कि गरीब और पिछड़े इस इलाके के लिए आज भी स्वास्थ्य सुविधा नदारद है. कहा कि विभाग और नेताओं द्वारा केवल आश्वासन मिलता है, बेहतरी के लिए प्रयास नहीं होता है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा आर एन एस रमण ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों एवं नर्सों की कमी की रिपोर्ट सिविल सर्जन को भेजी जा चुकी है.
ड्यूटी से गायब रहती हैं पदस्थापित एएनएम
कोहीला स्वास्थ्य उपकेंद्र की स्थिति है बदहाल : डगरूआ. प्रखंड अंतर्गत कोहीला पंचायत के स्वास्थ्य उपकेंद्र की स्थिति बदहाल है. उपकेंद्र में जहां दवाई और अन्य स्वास्थ्य सुविधा की स्थिति दयनीय है, वहीं ड्यूटी पर तैनात एएनएम भी स्वास्थ्य केंद्र से अक्सर गायब रहती है. ग्रामीणों का मानना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र में भवन निर्माण तो किया गया लेकिन इसमें स्वास्थ्य विभाग के संचालन की व्यवस्था तो दूर सर्दी जुकाम तक की दवा नहीं मिलती है. जबकि पीएचसी डगरूआ द्वारा स्वास्थ्य सेवा की पूर्ण सुविधा का दावा किया जाता है. ग्रामीण बताते हैं कि देहाती क्षेत्र होने के कारण आये दिन लोगों को चिकित्सक सुविधा में परेशानी का सामना करना पड़ता है. क्षेत्र के पुराने स्वास्थ्य उपकेंद्रों में से एक कोहीला स्वास्थ्य केंद्र के कमरे और परिसर में जहां बदहाल स्थिति बनी हुई है.
पुराने भवन में ही संचालित है एपीएचसी : रूपौली. टीकापट्टी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के नये भवन का निर्माण पूरा हो चुका है, लेकिन एपीएचसी का संचालन पुराने भवन में ही किया जा रहा है. नतीजा है कि उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. गौरतलब है कि टीकापट्टी क्षेत्र कटिहार सीमा से नजदीक है, जिसके कारण यहां पड़ोसी जिले से भी लोग उपचार के लिए आते हैं.
वहीं आसपास की छह पंचायतों कोयली सिमड़ा पूरब, कोयली सिमड़ा पश्चिम, धुसर टीकापट्टी, गोडियर पट्टी श्रीमता, गोडियर पूरब व गोडियर पश्चिम के लोग भी यहां उपचार के लिए आते हैं. लेकिन स्वास्थ्य केंद्र में समुचित सुविधा के अभाव में अधिकतर लोग निजी क्लिनिक में ही उपचार कराना मुनासिब समझते हैं.उपकेंद्र के पुराने भवन में तीन कमरा है, जिसमें से एक कमरा गोदाम के रूप में उपयोग किया जाता है.