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व्यवस्था सुधरे, तो परेशानी होगी कम

सदर अस्पताल. कुव्यवस्था के मकड़जाल में उलझा है एसएनसीयू, आयेदिन होता है हंगामा सदर अस्पताल में बिना किसी प्रमाण के नवजातों को सौंपना,स्तनपान कराने जैसी घटना को लेकर आये िदन हंगामा होता रहता है. गुरुवार को यहां बच्चांे की अदला-बदली हो गयी. समय रहते इसमें सुधार नहीं लाया गया तो िस्थति भयावह होगी. पूर्णिया : […]

सदर अस्पताल. कुव्यवस्था के मकड़जाल में उलझा है एसएनसीयू, आयेदिन होता है हंगामा

सदर अस्पताल में बिना किसी प्रमाण के नवजातों को सौंपना,स्तनपान कराने जैसी घटना को लेकर आये िदन हंगामा होता रहता है. गुरुवार को यहां बच्चांे की अदला-बदली हो गयी. समय रहते इसमें सुधार नहीं लाया गया तो िस्थति भयावह होगी.
पूर्णिया : सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू पूरी तरह से कुव्यवस्था के मकड़जाल में उलझा हुआ है. बिना किसी प्रमाण के नवजातों को सौंपना,स्तनपान कराना आदि कई ऐसे उदाहरण हैं, जिससे अक्सर यहां हो-हंगामे की स्थिति बनी रहती है. गुरुवार को नवजात की अदला-बदली भले ही मानवीय भूल कही जा रही हो, लेकिन यह व्याप्त कुव्यवस्था का ही परिणाम है. इस कुव्यवस्था पर तत्काल अंकुश नहीं लगाया गया तो परिणाम गंभीर होने की संभावना है.
नहीं पूरी की जाती है औपचारिकता. एसएनसीयू में भरती होने वाले नवजातों को इलाज के बाद महज मां का नाम पूछ कर नाम के आधार पर ही सौंप दिया जाता है.बच्चे को सौंपते समय परिचय से संबंधित किसी भी प्रकार का अन्य पहचान नहीं मांगा जाता है. जिससे एसएनसीयू में भरती बच्चे किसी भी अजनबी के हाथ आसानी से लग सकते हैं. अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही के कारण आये दिन यहां कुछ न कुछ हंगामा होता है. जाहिर है इस मामले में सावधानी के साथ-साथ औपचारिकता के प्रावधान को भी सख्त किये जाने की जरूरत है.
टोकन व्यवस्था हो सकता है कारगर. एसएनएसीयू में भरती होने वाले नवजातों के पैर में मां का नाम एवं संख्या तो लिखा जाता है, किंतु बच्चा सौंपते समय ड‍्यूटी पर तैनात महिला स्वास्थ्य कर्मियों को इसकी सटीक जानकारी नहीं होती कि जो महिला नवजात को लेने पहुंची है, वही उसकी वास्तविक मां है. इससे गड़बड़ी की संभावना बढ़ जाती है.ऐसा माना जा रहा है कि बेहतर तो यह होता कि बच्चे के मां के नाम के साथ संख्या युक्त टोकन बच्चे की मां को सौंपा जाता. इस टोकन व्यवस्था से बच्चे की अदला-बदली एवं गलत हाथों में नवजात के जाने की संभावना नहीं के बराबर रह जायेगी.
गुरुवार को सदर अस्पताल में हो गयी थी बच्चों की अदला-बदली
एसएनसीयू में भरती होने वाले नवजातों को इलाज के बाद महज मां का नाम पूछ कर ही सौंप िदया जाता है
गुरुवार को सदर अस्पताल में हो गयी थी बच्चों की अदला-बदली
एसएनसीयू में भरती होने वाले नवजातों को इलाज के बाद महज मां का नाम पूछ कर ही सौंप िदया जाता है
स्तनपान में भी कारगर होगा टोकन
भरती नवजातों को स्तनपान कराने के लिए समय निश्चित है.यहां भी महज नाम के आधार पर ही बच्चे को स्तनपान कराने दे दिया जाता है.यहां भी ऐसी गड़बड़ी अक्सर देखने को मिलती है कि किसी के बच्चे को कोई भी स्तनपान करा देती है.यदि यहां टोकन सिस्टम लागू कर दिया जाये तो नि:संदेह इस प्रकार की गड़बड़ी नहीं हो और गुरुवार को घटित हुई जैसी घटना को टाला जा सकता है.
गुरुवार को हुई थी अजीबोगरीब घटना
बुधवार को एसएनसीयू में तैनात कर्मी ने हिना के मृत बच्चे को रीना देवी को सौंप दिया था.रीना देवी ने मृत बच्चे का अंतिम संस्कार भी कर दिया था.इस बात का खुलासा तब हुआ जब हिना अपने बच्चे को मांगने एसएनसीयू गयी. तब एसएनसीयू में हुई गड़बड़ी खुल कर सामने आयी.इस प्रकार की घटना महज नाम की तुकबंदी के कारण हुई.बाद में अस्पताल प्रशासन ने हिना के मृत बच्चे को हिना को सौंपा और रीना के जीवित नवजात को वापस सौंपा गया.

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