यह पुरस्कार नहीं, उत्तरदायित्व का सेहरा है : प्राण मोहन

पूर्णिया : मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि पहले राज्यस्तरीय पुरस्कार और फिर देश के सर्वोच्च सम्मान राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा जाऊंगा. यह पुरस्कार नहीं, उत्तरदायित्व का सेहरा है. मैं अब नयी जिम्मेदारी महसूस कर रहा है. देश के सर्वोच्च सम्मान का निर्वहन कैसे कर पाऊंगा और किस हद तक कर पाऊंगा, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2016 6:14 AM

पूर्णिया : मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि पहले राज्यस्तरीय पुरस्कार और फिर देश के सर्वोच्च सम्मान राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा जाऊंगा. यह पुरस्कार नहीं, उत्तरदायित्व का सेहरा है. मैं अब नयी जिम्मेदारी महसूस कर रहा है. देश के सर्वोच्च सम्मान का निर्वहन कैसे कर पाऊंगा और किस हद तक कर पाऊंगा, यह चिंता अब सताने लगी है. उक्त बातें शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित होने वाले मध्य विद्यालय महेद्रपुर के प्रधानाध्यापक प्राण मोहन झा ने सोमवार को प्रभात खबर से खास बातचीत में कही.

गौरतलब है कि श्री झा को 05 सितंबर को नयी दिल्ली में शिक्षक दिवस के मौके पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा जायेगा. श्री झा इससे पूर्व 2015 में राजकीय पुरस्कार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों प्राप्त कर चुके हैं.

जिला मुख्यालय के रामनगर निवासी श्री झा ने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी कैरियर की शुरुआत 1988 में तब के पूर्णिया जिला का हिस्सा रहे किशनगंज अनुमंडल के ठाकुरगंज प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय कोच बस्ती से आरंभ की थी. उनकी मैट्रिक तक की पढ़ाई मधेपुरा के मधुरा उच्च विद्यालय ग्वालपाड़ा से हुई थी.
जबकि इंटर से लेकर एमए तक की पढ़ाई पूर्णिया कॉलेज से हुई. 1989 में वे मध्य विद्यालय एकंबा, जलालगढ़ स्थानांतरित होकर पहुंचे. पुन: 1991 में वे मध्य विद्यालय बदरी नगर में पदस्थापित हुए और 2004 तक पदस्थापित रहे. 2004 से फिलवक्त तक वे पूर्व प्रखंड के मध्य विद्यालय महेंद्रपुर में बतौर प्रभारी प्रधानाध्यापक कार्यरत हैं. श्री झा ने इस पुरस्कार को महेंद्रपुर वासियों को समर्पित करते हुए कहा कि ग्रामीणों ने जिस प्रकार शत प्रतिशत स्कूल को सहयोग दिया, वे ताउम्र नहीं भूल सकते हैं. कहा कि उन्होंने केवल इतना किया कि समाज को विद्यालय से जोड़ा,
शिक्षकों में टीम भावना विकसित की, विद्यालय संचालन में पारदर्शिता बरती और ग्रामीणों का भरपूर सहयोग लिया. जिस वजह से आज महादलित बहुसंख्यक इस पोषक क्षेत्र की शिक्षा की तसवीर बदल चुकी है. उन्होंने माना कि राज्य सरकार द्वारा सम्मानित होने के बाद उन्हें जरूर राष्ट्रीय पुरस्कार की उम्मीद मन में जगने लगी थी. श्री झा ने बताया कि पुरस्कार के साथ 50 हजार की जो राशि प्राप्त होगी, उसे विद्यालय हित में खर्च किया जायेगा.

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