सदर अस्पताल में गंदगी का अंबार
सदर अस्पताल में मेडिकल कचरे को भी परिसर में ही जलाया जाता है, जिससे ब्रोंकाइटिस समेत अन्य सांस संबंधी रोग की संभावना बनी रहती है. पूर्णिया : सदर अस्पताल के चप्पे-चप्पे में पसरे कीचड़, कचरे एवं जंगल एक नहीं कई बीमारियों को आमंत्रित कर रहा है. समस्या यह है कि मेडिकल कचरे को भी परिसर […]
सदर अस्पताल में मेडिकल कचरे को भी परिसर में ही जलाया जाता है, जिससे ब्रोंकाइटिस समेत अन्य सांस संबंधी रोग की संभावना बनी रहती है.
पूर्णिया : सदर अस्पताल के चप्पे-चप्पे में पसरे कीचड़, कचरे एवं जंगल एक नहीं कई बीमारियों को आमंत्रित कर रहा है. समस्या यह है कि मेडिकल कचरे को भी परिसर में ही जलाया जाता है. जिससे ब्रोंकाइटिस समेत अन्य सांस संबंधी रोग की संभावना बनी रहती है. वहीं कीचड़ एवं जंगल को कालाजार, मलेरिया एवं डेंगू को आकर्षित करने के लिए काफी माना जा सकता है. नियमित साफ सफाई के अभाव में सदर अस्पताल रोगों का वाहक में तब्दील हो रहा है. ऐसे में अस्पताल प्रशासन कुंभकर्णी नींद से कब जागेगी, कह पाना कठिन है.
चारों तरफ फैला है जंगलों का साम्राज्य : सदर अस्पताल के उत्तरी गेट से परिसर के अंदर प्रवेश करते ही सबसे पहले दूर दूर तक फैले जंगल एवं कीचड़ का साम्राज्य नजर आता है. इन जंगलों में विषैले सांप तो पलते ही हैं. इन जंगलों से ही पूरे अस्पताल में मच्छरों का प्रकोप है.
उत्तरी गेट के इर्द गिर्द मोर्चरी, एएनएम स्कूल,संक्रामक वार्ड सहित कई वार्ड हैं. इन वार्डों में मरीज रोजाना मच्छरों के शिकार हो रहे हैं. जंगलों की नियमित साफ सफाई नहीं होने से जंगलो का साम्राज्य स्थापित हो गया है. इस ओर अब तक अस्पताल प्रशासन का ध्यान नहीं गया है.
सदर अस्पताल में फैले जंगल-झाड़ से परेशान हैं लोग.
मेडिकल कचरे से संक्रमण का खतरा
सदर अस्पताल स्थित मेडिकल वार्ड एवं भौतिक पुनर्वास केंद्र के आगे सदर अस्पताल से निकलने वाला तमाम मेडिकल कचरा पड़ा हुआ है. उसे नष्ट करने के लिए वहीं जलाया जाता है. इन मेडिकल कचरे से निकलने वाले धुएं से मेडिकल वार्ड में भरती सांस के रोगियों को परेशानी होती है. वहीं अस्पताल में रह रहे आम मरीजों एवं उनके परिजनों को भी ब्रोंकाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही पैथोलॉजी का कचरा भी संक्रमण फैलाने में सहायक माना जा रहा है.