पूर्णिया : जिले में एचआइवी खतरनाक रूप अख्तियार कर चुका है. महज छह माह में एचआइवी ने 62 लोगों को अपनी गिरफ्त में लिया है. जिले में प्रति माह दस एड्स मरीजों का इजाफा हो रहा है. एचआइवी संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या जिले में खतरे की घंटी ही नहीं बजा रही है, बल्कि आने वाले दिनों में सीमांचल का यह इलाका एड्स का एक ब्लैक जोन बन कर रह जायेगा. ऐसे में इस इलाके में जागरुकता के साथ साथ इलाज के लिए एआरटी सेंटर स्थापित करने की आवश्यकता महसूस होने लगी है.
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हर माह दस लोग हो रहे एचआइवी के शिकार
पूर्णिया : जिले में एचआइवी खतरनाक रूप अख्तियार कर चुका है. महज छह माह में एचआइवी ने 62 लोगों को अपनी गिरफ्त में लिया है. जिले में प्रति माह दस एड्स मरीजों का इजाफा हो रहा है. एचआइवी संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या जिले में खतरे की घंटी ही नहीं बजा रही है, बल्कि आने […]
नहीं है एआरटी सेंटर : इस इलाके में एड्स मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित रुप से वृद्धि हो रही है. मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर यहां इलाज के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है. पूर्व में एड्स मरीजों के इलाज के लिए यहां लिंक्ड एआरटी सेंटर की स्थापना की गयी थी. किंतु पिछले चार वर्षों से इस लिंक्ड एआरटी सेंटर को बंद कर दिया गया. यहां के मरीजों को एआरटी सेवा के लिए भागलपुर स्थित सेंटर रेफर किया जाने लगा. हाल के दिनों में कटिहार में एआरटी सेंटर की स्थापना की गयी है. यहां से मरीजों को कटिहार की दौड़ लगाना दाद में खाज साबित हो रहा है. यहां के मरीजों की इस वेदना को सुनने व समझने वाला कोई नहीं है.
स्थिति विस्फोटक, परदेस आना-जाना है सबसे बड़ा कारण
आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि महज छह माह के भीतर सदर अस्पताल में कुल 62 एचआइवी पॉजिटिव मरीजों की पहचान हुई है. जो प्रति माह दस से अधिक लोगों को संक्रमित कर रहा है. वर्ष 2015 में कुल 83 एचआइवी संक्रमित मरीज पाये गये थे, जिसका मासिक औसत 08 मरीजों के आस पास था. वहीं 2014 में यह आंकड़ा प्रति माह 11 के आस पास थी. जिले में एचआइवी संक्रमित मरीजों की संख्या में निरंतर हो रही वृद्धि के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. जाहिर है अगर इस जानलेवा रोग के रोकथाम के लिए प्रयास नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में स्थिति गंभीर हो सकती है.
बेरोजगारी की उपज है एड्स की बीमारी
इस इलाके की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है. लोग रोजी – रोजगार के लिए परदेसों में मजदूरी करते हैं. इस क्रम में वे लंबे समय तक प्रवास करते हैं. वैसे लोग वहां से जाने-अनजाने में एड्स का उपहार लेकर घर लौटते हैं. घर में यह रोग अनजाने में अपनी संगिनी के साथ शेयर करते हैं. इस रोग का प्रसार गर्भस्थ शिशु में भी हो जाता है. ऐसे लोग अशिक्षा एवं लोक लाज के कारण परदेश से लौट कर बिना जांच कराये रह जाते हैं. जिसके कारण इस रोग का तेजी से विस्तार हो रहा है. जानकार बताते हैं कि जिले के पूर्वोत्तर प्रखंडों की स्थिति काफी गंभीर है.
संक्रमितों की स्थिति
वर्ष संक्रमित
2016 62
2015 83
2014 135
कुल 280
एआरटी सेंटर है नहीं कटिहार जाने की मजबूरी
एआरटी सेंटर नहीं होने की वजह से यहां के मरीजों को कटिहार जाना पड़ता है. एआरटी सेंटर की स्थापना को लेकर विभाग से बात की जायेगी.
डॉ एमएम वसीम,सिविल सर्जन,पूर्णिया
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