तीन दिनों तक लगा रहेगा संतों का मेला

आयोजन. संत समागम में कोसी-सीमांचल सहित नेपाल के संत भी बड़ी संख्या में पहुंचे साधु-संतों के आवास और भोजन की व्यवस्था बेहतर तरीके से की गयी है. समागम स्थल की सुरक्षा में पुलिस निरीक्षक और पुलिस अवर निरीक्षक समेत दो दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. पूर्णिया : जिला मुख्यालय स्थित रामजानकी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 21, 2016 3:24 AM

आयोजन. संत समागम में कोसी-सीमांचल सहित नेपाल के संत भी बड़ी संख्या में पहुंचे

साधु-संतों के आवास और भोजन की व्यवस्था बेहतर तरीके से की गयी है. समागम स्थल की सुरक्षा में पुलिस निरीक्षक और पुलिस अवर निरीक्षक समेत दो दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.
पूर्णिया : जिला मुख्यालय स्थित रामजानकी ठाकुरबाड़ी में गुरुवार को तीन दिवसीय संत समागम कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच आरंभ हुआ. इस संत समागम में विभिन्न पंथ के साधु-संत शामिल हो रहे हैं. संत समागम का आयोजन भारतीय संत सभा द्वारा किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में न केवल कोसी और सीमांचल के बल्कि नेपाल के भी साधु-संत हिस्सा ले रहे हैं. कार्यक्रम में मंच संचालन नेपाल से आये श्रीकांत आचार्य मणि त्रिपाठी ने किया.
विभिन्न हिस्से से आये साधु-संत शनिवार तक विभिन्न सत्र में धर्म और अध्यात्म से जुड़े विषयों पर चिंतन करेंगे और अयोध्या तथा गुजरात से आये हुए संत स्थानीय संतों को राष्ट्रीय स्तर पर धर्म से जुड़ी जानकारी और वर्तमान स्थिति से अवगत करायेंगे. इन साधु-संतों के आवास और भोजन की व्यवस्था बेहतर तरीके से की गयी है.
समागम स्थल की सुरक्षा में पुलिस निरीक्षक और पुलिस अवर निरीक्षक समेत दो दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. कार्यक्रम स्थल पर बाहरी लोगों के प्रवेश को निषेध कर दिया गया है. पंडाल के अंदर पुलिस द्वारा चेकिंग के बाद ही जाने की अनुमति दी जाती है. शुक्रवार को पूर्व सांसद उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह भी संत समागम में हिस्सा लेंगे. मिली जानकारी अनुसार समागम में गांव-गांव से आये हुए साधु-संतों को लोगों के बीच धर्म के प्रति जागरूकता फैलाने की जिम्मेवारी सौंपी जायेगी. सीमांचल के इलाके में इस संत समागम का आयोजन राजनीतिक हलके में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
संभावना जतायी जा रही है कि कोसी और सीमांचल के इलाके में हिंदुओं को एकजुट करने के लिए इस समागम में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन भी हो सकता है. समागम के उदघाटन सत्र में भाजपा नेताओं ने जिस प्रकार सीमांचल और कोसी में हिंदुओं की घटती आबादी समेत अन्य धार्मिक समस्याओं की चर्चा की है, उससे इस कयास को बल मिला है. मौके पर विधायक विजय खेमका, पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रफुल्ल रंजन वर्मा, कार्यक्रम के संयोजक राजीव कुमार, सह संयोजक किशोर जायसवाल, परितोष भारती आदि उपस्थित थे.
किसी से बैर नहीं, खुद की रक्षा हमारा दायित्व : गोपाल नारायण : समरसता संत समागम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए राज्यसभा सदस्य गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि यह चिंतन बैठक है, उनका किसी से कोई बैर नहीं है. चिंतन बैठक की इसलिए आवश्यकता पड़ी कि हिंदू समाज में बाहरी प्रभाव से काफी विकृतियां आयी है.
इन विकृतियों के लिए हम खुद जिम्मेवार हैं, क्योंकि नेताओं ने हमें जातियों में बांट दिया है और हम हिंदू नहीं है. जबकि सभी वर्गों को जोड़ कर हिंदू बनाने की जरूरत है. उन्होंने संतों से आग्रह किया कि कमियों पर विचार कर और उसे दूर करने के उपाय पर विमर्श करें. कहा कि राजनेताओं को केवल वोट की चिंता है. ऐसे में संतों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. श्री सिंह ने कहा कि हम हमलावर नहीं हैं, लेकिन अपनी रक्षा खुद करना हमारा दायित्व है. इसके लिए सजग रहने की जरूरत है.
मंच पर उपस्थित मंत्री गिरिराज सिंह, गोपाल नारायण सिंह व साधु-संत.
देश में हिंदुओं की संख्या लगातार घट रही है. सीमांचल के चार जिले में हम अल्पसंख्यक हो चुके हैं तो राज्य के कई अन्य जिलों में भी हमारी संख्या लगातार घट रही है. सर्वधर्म संभाव तभी संभव है, जब देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनेगा और हिंदू, मुसलमान, जैन, बौद्ध, इसाई समुह पर यह लागू होगा. क्योंकि हमारी घटती जनसंख्या भारतीय अस्मिता के लिए खतरा है. उक्त बातें केंद्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह ने गुरूवार को जिला मुख्यालय स्थित रामजानकी ठाकुरबाड़ी में संत समागम को संबोधित करते हुए कही.
श्री सिंह ने कहा कि देश का बंटवारा धार्मिक आधार पर हुआ था. लेकिन भारत में मुसलमानों की संख्या बढ़ती गयी और पाकिस्तान में घटती चली गयी. यह चिंता का विषय है और चिंतन का विषय भी है. उन्होंने कहा कि संतों की विश्वसनीयता आज भी समाज में बरकरार है. उन्होंने संतों से आग्रह किया कि हिंदू को जगाइये, हिंदू तन और मन नहीं जगा तो सामाजिक समरसता भी समाप्त हो जायेगी.

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