पूिर्णया : जि ले में नगर निगम क्षेत्र व पूर्णिया पूर्व प्रखंड को छोड़ दें तो टीबी के सर्वाधिक मरीज बनमनखी प्रखंड में पाये गये. यहां टीबी मरीजों की संख्या 73 है, जबकि रुपौली में 69,के नगर में 68 टीबी मरीज पाये गये. विभाग भी इस बात को सोचने पर विवश है कि आखिर क्यों नहीं गिर रहा है मरीजों का ग्राफ. विभाग की चिंता स्वाभाविक भी है. इसके कई कारण भी हैं.
इस जिले के अधिकांश इलाके में जीवन स्तर निम्नतम स्तर का रहने के कारण रहन -सहन व खानपान भी निम्न स्तर का है. इससे लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. लिहाजा टीबी के जीवाणु मायको बैक्टिरियम ट्यूबरक्लोसिस आसानी से यहां के लोगों को अपना शिकार बनाती है. साथ ही एचआइवी ,एड्स एवं मधुमेह के रोगियों को भी टीबी अपना शिकार बना लेता है. यही कारण है कि जिले में टीबी मरीजों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती जा रही है.
इन्हें बनाता है आसानी से शिकार : जब किसी का रोग प्रतिरक्षण क्षमता कमजोर हो जाता है. तब उसके इस रोग के संपर्क में आने की संभावना बढ़ जाती है. कमजोर प्रतिरक्षी तंत्र वालों में शिशु, वृद्ध व्यक्ति, गर्भवती महिला, डाइबीटिज , कैंसर और एच. आई. वी. रोगी आदि आते हैं. जिनको टीबी बीमारी होने का खतरा ज़्यादा होता है. साथ ही गंदगी वाली जगह पर भी इस बीमारी के होने का खतरा ज़्यादा होता है. इस बीमारी से ग्रस्त रोगी के पास जाने से या एक साथ काम करने से भी रोग के पनपने का खतरा बढ़ जाता है. शराब पीने वाले या नशा करने वालों को भी इस बीमारी का खतरा होता है. जिले के कुछ एक प्रखंडों को छोड़ कर सभी प्रखंडों में रहने वाले लोगों का जीवन स्तर निम्न होता है. जिससे इस जिले में टीबी फल फूल रहा है.
लक्षण दिखते ही करायें जांच
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ एस के सिंह का कहना है कि अगर किसी को दो हफ़्ते से ज़्यादा दिनों तक खाँसी हैं और सीने में दर्द,खाँसते-खांसते बलगम में खून का आना,बार-बार खाँसना,रात में पसीना आना,बुखार,भूख में कमी,खांसते और साँस लेते वक्त दर्द का एहसास,थकान और कमजोरी का एहसास,लिम्फ नोड्स की वृद्धि,गले में सूजन,पेट में गड़बड़ी आदि लक्षण दिख रहे हों तो टीबी होने की संभावना होती है. ऐसे में मरीजों को तुरंत बलगम जांच कराना चाहिए.