सावधान ! हाइपोथर्मिया बना रहा अपना शिकार

इसके प्रमुख लक्षणों में चक्कर आना, भूख, मितली, तेजी से सांस लेना, थोड़ा सा भ्रम, समन्वय की कमी, थकान, धड़कनों में वृद्धि आदि शामिल है पूर्णिया : ठंड एक बार फिर परवान पर है और तापमान नीचले स्तर पर जा पहुंचा है. तापमान के गिरने के साथ ही शरीर का औसतन तापमान भी गिरना शुरू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 28, 2016 8:36 AM
इसके प्रमुख लक्षणों में चक्कर आना, भूख, मितली, तेजी से सांस लेना, थोड़ा सा भ्रम, समन्वय की कमी, थकान, धड़कनों में वृद्धि आदि शामिल है
पूर्णिया : ठंड एक बार फिर परवान पर है और तापमान नीचले स्तर पर जा पहुंचा है. तापमान के गिरने के साथ ही शरीर का औसतन तापमान भी गिरना शुरू हो गया है. इससे उम्रदराज व छोटे बच्चे हाइपोथर्मिया के शिकार होने लगे हैं. यह हाइपोथर्मिया खास कर उम्रदराज लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. इस समय उम्रदराज लोगों को हाइपोथर्मिया से बचाव के लिए कुछ उपाय किये जायें तो इससे बचाया जा सकता है.
क्या है हाइपोथर्मिया : जब शरीर का तापमान 97 डिग्री फोरेनहाइट से कम हो जाता है और सर्दियों के मौसम में जब बाहर का तापमान कम होता तो शरीर में गर्मी पैदा नहीं हो पाती है. शरीर जितनी तेजी से गर्मी पैदा कर सकता है, उससे कहीं ज्यादा तेजी से शरीर की गर्मी समाप्त भी होती है. ऐसे में लोग हाइपोथर्मिया का शिकार होते हैं, जो उनके लिए जानलेवा हो सकता है. हाइपोथर्मिया के प्रमुख लक्षणों में चक्कर आना, भूख, मितली, तेजी से सांस लेना, थोड़ा सा भ्रम, समन्वय की कमी, थकान, धड़कनों में वृद्धि आदि शामिल है.
इन बातों का रखें ख्याल : तापमान में गिरावट आने के बाद घर का माहौल गर्म बनाए रखना चाहिए. टांगों और कंधों को गर्म रखने के लिए कंबल का प्रयोग करें और घर के अंदर सिर पर टोपी पहन कर रखना चाहिए. ठंड में बाहर जाते समय, टोपी, स्कार्फ और दस्ताने ज़रूर पहनें, ताकि शरीर की गर्मी कम नहीं हो सके. सिर को ढकना बेहद आवश्यक है, क्योंकि ज़्यादातर गर्मी सिर के जरिए बाहर जा सकती है. गर्मी को शरीर के अंदर बनाए रखने के लिए गर्म ढीले कपड़ों की कई परतें पहन कर रखें. ध्यान दें, जो दवाएं आप अपनी मरजी से ले रहे हैं क्या वह हाईपोथर्मिया का खतरा तो नहीं बढ़ा रहा है. खास बात यह है कि कंपकपी के बिना हाइपोथर्मिया जानलेवा साबित हो सकता है.
(डाॅ एनके झा से बातचीत पर आधारित)
उम्रदराज लोग आते हैं इसकी चपेट में उम्रदराज लोगों को बनाता है शिकार
उम्रदराज लोगों को हाइपोथर्मिया का खतरा ज्यादा हो सकता है. क्योंकि डायबिटीज़ आदि बीमारियों की वज़ह से उनका शरीर ठंड को झेल पाने में कम सक्षम होता है. सीधे दवा विक्रेता से दवा लेकर सर्दी-जुकाम का इलाज करना भी इसका कारण बन सकता है.
डॉ एन के झा ने बताया कि थोड़े से समय के लिए ठंडे मौसम में रहना या अचानक तापमान का बेहद कम हो जाना उम्रदराज लोगों में हाइपोथर्मिया का कारण बन सकता है. धीमे बोलना, भ्रम की स्थिति, बाजूओं और टांगों का कांपना या जकड़न, शारीरिक गतिविधियों पर उचित नियंत्रण न होना, धीमी प्रतिक्रिया या कमजोर नब्ज आदि इसके कुछ लक्षण हैं. सर्दियों में तापमान कम होने पर उम्रदराज वयस्क और बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं.

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