तिलकुट के बाजार को लगी नोटबंदी की नजर
तैयार तिलकुट का दाम बीते वर्ष से करीब 20 प्रतिशत कम होने के बावजूद खरीदारों का नहीं होना तिलकुट कारोबारियों के लिए सिरदर्द बना हुआ है पूर्णिया : मकर संक्रांति के त्योहार को अब महज चंद दिन ही बचे हैं. तिलकुट का बाजार भी सज गया है, लेकिन तिलकुट के कारोबार पर नोटबंदी की नजर […]
तैयार तिलकुट का दाम बीते वर्ष से करीब 20 प्रतिशत कम होने के बावजूद खरीदारों का नहीं होना तिलकुट कारोबारियों के लिए सिरदर्द बना हुआ है
पूर्णिया : मकर संक्रांति के त्योहार को अब महज चंद दिन ही बचे हैं. तिलकुट का बाजार भी सज गया है, लेकिन तिलकुट के कारोबार पर नोटबंदी की नजर लगी हुई है.
तिलकुट के थोक कारोबार में जहां दो तिहाई बिक्री की गिरावट आयी है, वहीं खुदरा तिलकुट की बिक्री में भी 25 से 30 फीसदी कमी बहरहाल देखने को मिल रही है. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि बीते वर्ष की तुलना में इस बार तिलकुट के दाम महंगे हैं. इसके दामों में भी करीब 20 फीसदी से अधिक की गिरावट के बावजूद खरीदारों की कमी से तिलकुट कारोबार को बड़ा झटका लगा है. तिलकुट के थोक कारोबारी फुलन स्वीट्स के प्रोपराइटर योगेंद्र प्रसाद की मानें तो नोटबंदी के कारण बाजार औंधे मुंह गिरा है. जबकि बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष पटना, गया, भागलपुर से करीब एक दर्जन दुकानों के साथ तिलकुट की कई वेराइटीज बाजार में उपलब्ध हैं.
10 करोड़ का होता था तिलकुट का कारोबार
कारोबारियों के अनुसार मकर संक्रांति के अवसर पर अकेले पूर्णिया में 10 करोड़ का थोक व खुदरा तिलकुट का कारोबार होता था.
करीब दो महीने पहले से गया, पटना व भागलपुर के प्रसिद्ध कारीगरों द्वारा तिलकुट बनाने का कार्य शुरू हो जाता था. वहीं अररिया, कटिहार, फारबिसगंज, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, किशनगंज सहित पूर्णिया जिले के खुदरा कारोबारी दो माह पहले ऑर्डर देकर एक माह पहले खरीदारी कर लेते थे. लेकिन इस बार ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है.
ढीला पड़ा बाजार, बंद हो गयी कई भट्ठियां
इस बार इंतजार में महीना और पखवाड़ा सब बीत गया और अब मकर संक्रांति के कुछ दिन ही बचे हुए हैं. थोक बाजार में खरीदारों की कमी के कारण तिल की भुनाई व तिलकुट बनाने वाली कई भट्ठियां बंद हो गयी है. कारोबारी योगेंद्र प्रसाद, रामाशीष और समीर साव की मानें तो मजदूरों और कारीगरों को दिये गये एडवांस के साथ पूंजी भी टूटने के आसार बने हुए हैं. बाजार में खरीदार नहीं होने से बिक्री ठप पड़ी हुई है.
दाम में गिरावट के बावजूद नहीं हैं खरीदार
बीते वर्ष की तुलना में तील और चीनी के दाम तेज हैं. लेकिन तैयार तिलकुट का दाम बीते वर्ष से करीब 20 प्रतिशत कम होने के बावजूद खरीदारों का नहीं होना तिलकुट कारोबारियों के लिए सिरदर्द बना हुआ है. उपलब्ध जानकारी अनुसार बीते वर्ष सफेद तिल जहां 09 हजार रुपये क्विंटल था, वहीं इस बार 12 हजार रुपये क्विंटल है. चीनी 3800 रुपये क्विंटल की जगह 04 हजार रुपये क्विंटल जा पहुंची है. सामानों के दाम में इजाफे के बावजूद तैयार तिलकुट बीते वर्ष से कम दाम पर भी नहीं बिक पा रहे हैं.
रुपये की कमी से सिमटी बिक्री
दुकानदारों के अनुसार बाजार में इस बार सुगर फ्री खोआ युक्त तिलकुट, गजट, चीनी, गुड़ की तिलकुट के साथ शाही तिलकुट, प्रमोद तिलकुट, छर्री आदि के कई वेराइटीज उपलब्ध हैं. लेकिन खरीदार बीते वर्ष के लिहाजा इस वर्ष खरीदारी कम कर रहे हैं. दुकानदारों के मुताबिक नकदी की कमी के कारण दो और पांच किलो खरीदने वाले एक किलो खरीद कर रहे हैं. अमूमन दिसंबर के अंतिम सप्ताह से ही जब ठंड परवान पर होती थी तो तिलकुट की बिक्री बढ़ जाती थी. लेकिन इस वर्ष जबकि मकर संक्रांति के चंद दिन ही शेष हैं, बाजार से खरीदार गायब है और कारोबारी मायूस हैं.
तिलकुट की कीमत एक नजर में
तिलकुट – वर्ष 2016 वर्ष 2017
शाही तिलकुट – 400 रुपये 330 रुपये प्रति किलो
प्रमोद तिलकुट – 300 रुपये 240 रुपये प्रति किलो
सुगर फ्री शाही – 410 रुपये 340 रुपये प्रति किलो
खोआ तिलकुट – 430 रुपये 360 रुपये प्रति किलो
गुड़ तिलकुट – 280 रुपये 240 रुपये प्रति किलो
चीनी की तिलकुट – 280 रुपये 250 रुपये प्रति किलो