900 सेकेंड की बातचीत ने किया मामले का खुलासा

पूर्णिया : ये इश्क नहीं है आसां, आग का दरिया है, डूब कर जाना है ‘ मशहूर शायर गालिब की यह पंक्ति निशा व शिशिर के प्रेम कहानी के दरम्यां सटीक बैठती है. शिशिर इस आग के दरिया में निशा के साथ सचमुच डूब चुका है. इस अजीबो-गरीब प्रेम कहानी का बहरहाल हश्र यह है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 19, 2017 6:12 AM

पूर्णिया : ये इश्क नहीं है आसां, आग का दरिया है, डूब कर जाना है ‘ मशहूर शायर गालिब की यह पंक्ति निशा व शिशिर के प्रेम कहानी के दरम्यां सटीक बैठती है. शिशिर इस आग के दरिया में निशा के साथ सचमुच डूब चुका है. इस अजीबो-गरीब प्रेम कहानी का बहरहाल हश्र यह है कि निशा अब अपने दो बच्चों से जुदा हो चुकी है,

तो माथे पर पति की हत्या में शामिल होने का कलंक भी आजीवन ढोती रहेगी. वहीं स्कूली छात्र शिशिर की जिंदगी स्याह अंधेरे में सदा के लिए डूब चुकी है. यह हत्याकांड जितना पेचीदा था, अनुसंधान के दौरान उतनी ही तेजी से परत-दर-परत खुलती चली गयी. नि:संदेह लाश मिलने के महज 10 दिनों के अंदर मामले का पूरी तरह पटाक्षेप हो जाना सदर पुलिस की उपलब्धि मानी जा सकती है. खासकर थानाध्यक्ष अवधेश कुमार व सब इंस्पेक्टर वरुण गोस्वामी ने कांड के उद्भेदन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.

31 दिसंबर को निशा व अजय पहुंचे थे ध्रुव उद्यान
मिली जानकारी अनुसार, निशा व शिशिर ने मिल कर 31 दिसंबर की रात घटना को अंजाम देने का फैसला कर लिया था. इन बातों से अजय अनभिज्ञ था. अजय ने 31 दिसंबर को पत्नी व बच्चों के साथ ध्रुव उद्यान पहुंच कर खूब मस्ती की थी. दोनों ने साथ-साथ लगभग तीन घंटे ध्रुव उद्यान में बिताया था और स्मार्ट फोन से उन लम्हों को तसवीर के रूप में कैद भी किया था. इसके बाद जो कुछ हुआ, वैसा ही हुआ, जैसा शिशिर व निशा चाहते थे. नये साल का जश्न सिलीगुड़ी में मनाने के बहाने अजय को खीरू चौक से 31 दिसंबर की रात 08:30 बजे शिशिर द्वारा बाइक से उसके घर तक लाया गया था. सिलीगुड़ी जाने से पहले अजय अपने घर थोड़ी देर के लिए गया था, जो उसके लिए अपने घर की आखिरी यात्रा थी. नौ बजे के कुछ देर बाद अजय शिशिर के साथ बाहर निकला और फिर लौट कर नहीं आया.
फोन कर कहा, काम हो गया अब हम आजाद हैं
के सहयोगी गुड्डू को लगभग डेढ़ घंटे लग गये. इसके बाद उसने खून से सने अपने कपड़े को डंगराहा पुल से नीचे फेंक दिया. खास बात यह रही कि हत्या के दौरान शिशिर ने अजय के मोबाइल नंबर 7765814964 व 9808105670 को अपने पास रख लिया. पूरी तरह से निवृत्त होने के बाद शिशिर ने अजय के ही मोबाइल से निशा के मोबाइल पर 10:55 बजे रात में फोन कर कहा ‘ काम हो गया है. अब हम आजाद हैं, आइ लव यू निशा ‘ . इसके बाद शिशिर ने अजय के मोबाइल को अपने ही घर में दीवार के अंदर छुपा कर रख दिया, जिसे पुलिस ने बाद में बरामद किया.
शातिर दिमाग है शिशिर
शिशिर काफी शातिर दिमाग का था. उसने साक्ष्य मिटाने की हरसंभव कोशिश की थी. यहां तक कि हत्या के दौरान अजय ने जब उसके हाथ में दांत काट लिया था, तो उसका भी उसने बहाना ढूंढ़ निकाला था. दरअसल कप्तानपुल के पास दो जनवरी को शिशिर का भाई दो बाइक की टक्कर में घायल हो गया था. शिशिर अपने भाई को लेकर अस्पताल गया था, तो उसने डॉक्टरों को बताया था कि बाइक को हटाने के दौरान उसे भी चोट लग गयी है और उसने भी पर्चा पर दवा लिखवाया था. पर, कहते हैं कि इश्क छुपाये नहीं छुपता है. शिशिर कुछ दिनों की चुप्पी के बाद अचानक फिर मोबाइल पर निशा के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू कर दिया. 14 जनवरी को शिशिर ने अपने मोबाइल नंबर 7519131299 से निशा के मोबाइल नंबर 7519131341 पर लगभग 900 सेकेंड बातचीत की, जो पुलिस के लिए मामले के उद्भेदन का एक महत्वपूर्ण जरिया साबित हुई.
27 दिसंबर को बनी थी हत्या की योजना
निशा ने अजय मंडल के साथ भले ही प्रेम विवाह रचाया था, लेकिन दोनों के बीच शिशिर की वो के रूप में इंट्री ने सारा खेल बिगाड़ दिया. दोनों के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते-पढ़ाते कब शिशिर प्यार का ककहरा पढ़ने लगा, यह किसी को पता नहीं चला. प्यार का सिलसिला आगे बढ़ा, तो नजदीकियां भी बढ़ीं. नजदीकियां अंतरंगता में तब्दील हुईं और निशा नारी धर्म की लक्ष्मण रेखा को पार करती चली गयी. देर ही सही, अजय को दोनों के रिश्ते की खबर लग ही गयी.
जानकार बताते हैं कि जिस दिन अजय को सब कुछ पता चला, उसने निशा की पिटाई भी की थी. उसके बाद 27 दिसंबर को शिशिर ने निशा के साथ मिल कर अजय की हत्या का फैसला ले लिया. इन बातों से अजय बेखबर था, क्योंकि निशा ने प्यार का वास्ता देते हुए भविष्य में गलती नहीं दुहराने की बात कही थी.
योजनाबद्ध तरीके से की गयी अजय की हत्या
माथे पर पति की हत्या का कलंक ले बच्चों से हुई जुदा
निशा व शिशिर दिल्ली को बनाते ठिकाना
शिशिर ने पुलिस के समक्ष बताया कि अजय को ठिकाने लगाने के बाद 17 जनवरी को वह निशा के साथ फरार हो जाता. इस बीच 16 जनवरी तक अजय के कर्मकांड के मामले को लेकर भागने की पूरी योजना बन चुकी थी. दोनों भाग कर दिल्ली जाने की योजना बना चुके थे और वहीं शादी रचा कर जिंदगी बसर करने की तमन्ना थी. दरअसल आरंभ से ही निशा स्वच्छंद प्रवृत्ति की रही है. उसकी पहली शादी भागलपुर में हुई थी और चार महीने के बाद ही वह पति को छोड़ कर अपने मायके में रहने लगी थी. यहीं पर ऑटो चालक अजय से उसने प्रेम विवाह किया था, लेकिन यह प्रेम स्थायी नहीं रह सका और शिशिर ने जब निशा के जीवन में दस्तक दी, तो वह ना नहीं कह सकी, जो अंतत: एक त्रासदी के रूप में सामने आया.

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