बड़ी मंडियों से पहले दिन 30 हजार टन का सौदा
गुलाबबाग मंडी . बजट आने के बाद व्यापारियों के बीच बना संशय दूर, व्यापार ने पकड़ी रफ्तार बीते वर्ष 08 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद कारोबारी मंदी का बादल छाने से थोक एवं खुदरा बाजार में रौनक खत्म हो गयी थी. नकदी निकासी पर नियंत्रण और कैशलेश कारोबार की वजह से कारोबार पर […]
गुलाबबाग मंडी . बजट आने के बाद व्यापारियों के बीच बना संशय दूर, व्यापार ने पकड़ी रफ्तार
बीते वर्ष 08 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद कारोबारी मंदी का बादल छाने से थोक एवं खुदरा बाजार में रौनक खत्म हो गयी थी. नकदी निकासी पर नियंत्रण और कैशलेश कारोबार की वजह से कारोबार पर संकट के बादल छाये हुए थे. सरकार, आरबीआइ और आयकर विभाग के रुख के इंतजार में सबकी निगाहें टिकी थीं. उत्तर बिहार की सबसे बड़ी मंडी गुलाबबाग में कारोबारी रौनक फीकी पड़ गयी थी. बीते चार महीने में संशय व ऊहापोह के बीच अनाज से लेकर किराना,
कॉस्मेटिक, छड़, सीमेंट से लेकर खाद-बीज तक का कारोबार गतिहीन हो गया था. 29 जनवरी को जब बचत खाता को छोड़ जब सभी कारोबारी खातों में सीमा खत्म हुई, तो कारोबार में गति लौटती नजर आयी. एक जनवरी को आने वाले बजट को लेकर संशय बरकरार था.अब बजट के बाद वह संशय भी खत्म हो चुका है. लिहाजा गुलाबबाग मंडी में बुधवार व गुरुवार को जमकर खरीदारी हुई.
पूर्णिया : नोटबंदी के बाद सिमट गया था कारोबार अनाज मंडी गुलाबबाग में बीते चार महीने से कारोबारी मंदी ने कारोबारियों को दिन में तारे दिखा दिये थे. हर दिन तकरीबन 10 करोड़ से अधिक का व्यापार करने वाली मंडी तीन से चार करोड़ रुपये पर आकर सिमट गयी थी. नकदी के अभाव में खरीदार कम थे और कैशलेश कारोबार के लिए बाजार तैयार नहीं था.
अलबत्ता कारोबारियों ने थोक कारोबार को बाय-बाय कह दिया था. हजारों सौदे रद्द हो गये थे और मंदी की वजह से कारोबारी हलकान थे. हर दिन इंतजार में काटना कारोबारियों के लिए मुश्किल होने लगा था.
सीमित निकासी व कैशलेश ने बढ़ायी थी मुश्किल
बीते चार महीने में नकदी की कमी के कारण खुदरा बाजार से लेकर थोक बाजार तक प्रभावित रहा. हाल यह थी कि दुकानें तो खुली थीं, लेकिन खरीदार नदारद थे. किसानों के अनाज के खरीदार बाहरी व्यापारी भी बाजार से गायब थे. वहीं चेक भुगतान पर खरीदारी थोड़ी मुश्किल लग रही थी. इस बीच अनाज की कीमतों में आयी गिरावट से कारोबारी भी हलकान रहे. इसके कारण किसान व मजदूर भी परेशान थे. हालांकि इस बीच बैंकों से थोड़ी निकासी बढ़ी, लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हुई. बड़ी बात तो यह थी कि खरीफ मौसम की फसल बाजार में थी और नकदी के अभाव में कैशलेश कारोबार गले की फांस बन गयी थी.
113 दिन के इंतजार के बाद मिली राहत
सरकार, आरबीआइ व आयकर विभाग के कौन से फैसले कब आयेंगे, इसका भय भी कारोबारियों को सता रहा था. एक तरफ कारोबार मंदा पड़ने की चिंता, दूसरी तरफ सरकार व आरबीआइ के नियम व कानून के हर रोज बदलने से कारोबारी सकते में थे. अनजाने भय व निकासी नहीं बढ़ने से बेचैनी हर रोज बढ़ती जा रही थी. नोटबंदी के 113वें दिन जब आरबीआइ ने यह घोषणा कर दी कि चालू खाता सहित सभी कारोबारी लेनदेन के बैंक खातों से सीमा खत्म की जा रही है, तो कारोबारियों को बड़ी राहत मिली. इसके बाद बजट आने के बाद कारोबार में उम्मीदों के पंख लग गये. इससे गुलाबबाग मंडी भी गुलजार हो गयी है.
कारोबारियों ने खरीदारी का दायरा बढ़ाया
निकासी सीमा व बजट के बाद कारोबारियों ने खरीदारी का दायरा बढ़ा दिया है. नाम नहीं छापने की शर्त पर व्यापारियों ने बताया कि एक दिन में दाल, चीनी, चावल, चना, मटर आदि का गुलाबबाग मंडी से 30 हजार टन का सौदा देश की विभिन्न बड़ी मंडियों से हुआ है, जो बीते चार महीने के बीच बड़ी पहली खरीदारी है. कृषि उपज की मंडी में दिल्ली, पंजाब व बंगाल के खरीदारों ने खरीदारी आरंभ कर दी है.
बाजार में लौट आयी रौनक
निकासी की सीमा समाप्त करने के बाद बजट में महज तीन दिन बाकी था. यह अंदेशा कारोबारी जगत में था कि सीमा समाप्त होने के बाद कहीं बजट में कोई ऐसी घोषणा नहीं की जाये, जो कारोबार व कारोबारी हित में न हो. दिन बीता और एक फरवरी को सबकी नजर बजट पर टिकी थी. महज कुछ घंटे में ही सब कुछ सामने था और कारोबारियों के चेहरे पर उदासी की जगह मुस्कान फैल गयी. गुरुवार को कृषि व आर्थिक मंडी में नजारा बदला-बदला था. संशय व मंदी के बादल छंटे थे और खरीदार भी बाजार में मौजूद थे.