तीन वर्ष में 25 लाख खर्च

हालात . 10 साल से हो रही सफाई पर नतीजा सिफर शहर के मेन ड्रेनेज लालगंज नाले में बंद है बहाव पूर्णिया : शहर के मेन ड्रेनेज लालगंज नाला पर पिछले दस साल से नगर निगम मेहरबानी कर रहा है, पर इसमें अब भी बहाव शुरू नहीं हो पाया है. इस नाला में कहीं कीचड़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 27, 2017 5:11 AM

हालात . 10 साल से हो रही सफाई पर नतीजा सिफर

शहर के मेन ड्रेनेज लालगंज नाले में बंद है बहाव
पूर्णिया : शहर के मेन ड्रेनेज लालगंज नाला पर पिछले दस साल से नगर निगम मेहरबानी कर रहा है, पर इसमें अब भी बहाव शुरू नहीं हो पाया है. इस नाला में कहीं कीचड़ जमा है तो कहीं जलकुंभी फैली है. कहीं -कहीं तो यह नाला सूखे की मार झेल रहा है. चूंकि लालगंज नाला का यह हाल है तो शहर की जलनिकासी व्यवस्था पर सवाल उठने लाजिमी हैं. इस संबंध में नगर आयुक्त सुरेश चौधरी ने बताया कि शहर में नालों की सफाई के लिए निगम नियमित अभियान चलाता है. इस अभियान की क्लोज मॉनीटरिंग भी की जाती है.
सफाई नहीं होती है खानापूर्ति : लंबे अर्से के बाद वर्ष 2007 में लालगंज नाला की सफाई का ख्याल नगर निकाय को आया. उस वक्त सफाई की जिम्मेदारी पूर्व से कार्यरत एनजीओ को दी गई. चूंकि उसे लालगंज की सफाई का अलग से कोई टेंडर नहीं मिला था इसलिए वह सफाई की खानापूर्ति में जुट गया. सात साल तक यही सिलसिला चलता रहा. बाद में पोल खुलने से बचने के लिए पूरी सफाई की योजना बनायी गई. पिछले तीन साल में लालगंज नाला की सफाई में करीब 25 लाख रुपये खर्च किए गए हैं.
हालांकि उसके बाद भी लालगंज नाला की हालत जस की तस है. सफाई अभियान के बाद भी लालगंज नाला में बहाव के बंद रहने से शहर की जलनिकासी प्रभावित हो रही है. इस बारे में नगर निगम की बैठकों में चर्चा छेड़ी भी जाती है मगर कोई असर नहीं पड़ता है. पीडब्लूडी दफ्तर से लेकर मरंगा बायपास तक लालगंज नाला है. इस मेने ड्रेनेज शहर के मधुबनी बाजार, भट्ठा बाजार व उसके इर्दगिर्द मोहल्ले के नालों की निकासी होती है. बारिश होने पर जब लालगंज नाला में भर जाता है, तो अगल-बगल के मोहल्लों की समस्या बढ़ जाती है.
अतिक्रमण का शिकार है लालगंज नाला
जगह-जगह लालगंज नाला अतिक्रमण का शिकार है. कुछ जगहों पर यह मेन ड्रेनेज छोटी नाली बनकर रह गया है. खासकर फोर्ड कंपनी और भट्ठा बाजार में इस नाले के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. नाले की जमीन पर बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों का कब्जा और निर्माण भी है. आजतक इस नाले के अतिक्रमण को लेकर प्रशासन की ओर से अतिक्रमण मुक्ति अभियान नहीं चलाया गया है.

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