पत्ता मेला में जीवनसाथी पसंद करने की रहती है छूट

बनमनखी : अनुमंडल के मलिनियां में लगने वाले प्रसिद्ध पत्ता मेला में जीवन साथी चयन व पसंद करने की अलग छूट रहती है. जिले का यह इकलौता मेला है जहां हर जवां दिल आने से पहले और घर लौटने तक धड़कता रहता है. यह धड़कन तब तक रहती है, जब तक कि उनकी शादी नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 16, 2017 1:33 AM

बनमनखी : अनुमंडल के मलिनियां में लगने वाले प्रसिद्ध पत्ता मेला में जीवन साथी चयन व पसंद करने की अलग छूट रहती है. जिले का यह इकलौता मेला है जहां हर जवां दिल आने से पहले और घर लौटने तक धड़कता रहता है. यह धड़कन तब तक रहती है, जब तक कि उनकी शादी नहीं हो जाती है. बैसाख सिरवा त्योहार से यह मेला शुरू है और शुक्रवार से ही कई दिलों की धड़कनें भी तेज हो गयी हैं.

दरअसल यह मेला आदिवासी समाज का है. इसका इतिहास 100 साल पुराना है. पुराने जमाने में जब किसी को अपना जीवन साथी चुनने का खुला अधिकार नहीं था, तब का आदिवासी समाज इतना मुखर जरूर था कि उनके युवा को अपना जीवन साथी खोजने की खुली छूट की प्रथा थी. वही परंपरा इस मेले में आज भी बरकरार है. अब तो इसी समाज से प्रेरित होकर अन्य वर्गों में भी इसका असर दिखने लगा है. हर साल बैसाखी सिरवा-विषवा के अवसर पर आदिवासी समाज के लोग यहां भव्य मेला का आयोजन करते हैं.
यह दो दिनों तक चलता है. मेला का मुख्य आकर्षण केंद्र लकड़ी के टावर पर की जाने वाली पूजा है. मेला के दौरान खुलेआम दारू सेवन कर नाच -गान की भी प्रथा थी. इस बार शराबबंदी के समर्थन में नाच-गान पर आदिवासी समाज ने पाबंदी लगा दी है.
ऐसे होती है शादी : मलिनियां के इस चर्चित पत्ता मेला में देश के विभिन्न भागों यथा झारखंड, नेपाल, बंगाल, ओड़िशा के अलावे बिहार के विभिन्न जिलों के आदिवासी युवक-युवतियां भाग लेते हैं. लड़के को जो लड़की पसंद आ जाती है, उसे वे आपसी रजामंदी से अपने घर लेकर चले जाते हैं. कुछ दिनों तक साथ रहने के बाद दोनों को विवाह बंधन में बांध दिया जाता है. मेला में पसंद के बाद विवाह से इनकार करने वालों को आदिवासी समाज बड़ा जुर्माना और कड़ा दंड देता है.
मेले का इतिहास : स्थानीय बटन लाल, बुद्धन टुड्डू, संजीव कुमार टुड्डू, सेवन रमानी, गंगाराम बेसरा, राजेश बेसरा आदि लोगों ने बताया कि उनके पूर्वजों को भगवान महादेव व माता पार्वती ने स्वप्न में कहा कि यहां पर हमारी पूजा करें. उसी समय से मलिनियां में महादेव-पार्वती की पूजा के साथ पत्ता मेला लगने लगा. स्थानीय लोगों का कहना है कि कलश स्थापना के बाद देशी दारू व पचेय चढ़ाने की भी प्रथा थी.
मेला का मुख्य आकर्षण : मलिनियां के पत्ता मेला का मुख्य आकर्षण केंद्र पुजारियों की ओरसे टावर पर की जाने वाली खतरनाक पूजा है. पुजारी विधि-विधान के साथ टावर पर चढ़ कर खतरनाक ढंग से पूजा करते हैं. आदिवासियों के पसंदीदा खेल फुटबॉल का भी यहां प्रदर्शन होता है. खेल में कई राज्य के खिलाड़ी भाग लेते हैं. मेला के ठीक आठ दिन पूर्व फुटबॉल का आयोजन शुरू हो जाता है और समापन पर फाइनल मैच खेला जाता है.

Next Article

Exit mobile version