वेंडिंग जोन सपना, कब्जे पर उगाही जारी

पूर्णिया : बीते करीब एक दशक से वेंडिंग जोन को लेकर फुटकर खरीदारों के आंदोलन और धरना प्रदर्शन के बाद अब बीते एक वर्ष से प्रशासन की पहल की ओर दुकानदारों की निगाहें टिकी हुई है. इंतजार में फुटकर दुकानदारों की आंखें अब पथराने लगी है और वेंडिंग जोन अभी भी एक सपना बना हुआ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 19, 2017 2:43 AM

पूर्णिया : बीते करीब एक दशक से वेंडिंग जोन को लेकर फुटकर खरीदारों के आंदोलन और धरना प्रदर्शन के बाद अब बीते एक वर्ष से प्रशासन की पहल की ओर दुकानदारों की निगाहें टिकी हुई है. इंतजार में फुटकर दुकानदारों की आंखें अब पथराने लगी है और वेंडिंग जोन अभी भी एक सपना बना हुआ है. हालांकि बीते 01 फरवरी को नगर विकास एवं आवास विभाग के जारी पत्र के बाद शहर में वेंडिंग जोन के लिए 11 स्थलों को चिह्नित कर बोर्ड भी लगाया गया, लेकिन कवायद फिर से एक कदम चल कर ठहर गया.

वहीं दूसरी तरफ शहर के मुख्य सड़क से लेकर बाजार और हाट के आसपास सरकारी जमीनों पर कब्जे के साथ किराये का खेल जारी है. इस खेल में लगे दबंग जहां जमीन कब्जा कर किराये पर दुकानदारों को देकर मोटी उगाही करने में लगे हैं, वहीं वेंडिंग जोन का इंतजार फुटकर दुकानदारों को अब भारी पड़ने लगा है.
शहर में जोरों पर अवैध भाड़े का कारोबार : शहर में स्थिति यह है कि सड़क किनारे खाली सरकारी जमीनों पर दबंगों का कब्जा है. इतना ही नहीं उन दबंगों द्वारा बकायदा टीन और फूस से दुकानों का निर्माण कर उसे फुटकर दुकानदारों को भाड़े पर दे दिया गया है. विडंबना तो यह है कि नगर निगम और जिला प्रशासन के लाख कवायद के बावजूद इस तरह का खेल शहर में लगातार जारी है. हालांकि अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रशासन के तेवर बीते कई महीनों से तल्ख हैं, लेकिन इस धंधे में लगे दबंग धंधेबाजों का शातिराना अंदाज भी खूब है.
अतिक्रमण हटाये जाने के महज 24 से 48 घंटे के बाद ही पुन: स्थिति जस की तस बन जाती है और धंधा शुरू हो जाता है. जानकारों की अनुसार सरकारी जमीन के कब्जे और भाड़े के खेल में कई माहिर खिलाड़ी शामिल हैं और उन्हें लाखों की कमाई भी होती है.
प्रशासनिक सुस्ती से फल-फूल रहा है धंधा : दरअसल इस खेल में दबंगों के लिए सबसे बड़ा सहायक साबित हो रहा है प्रशासनिक चुप्पी और प्रयासों का अभाव. जिसके कारण दबंग कब्जे और भाड़े के खेल को अंजाम दे रहे हैं. वह इसलिए कि अतिक्रमण हटाये जाने के बाद स्थानीय निकाय या फिर जमीन से संबंधित सरकारी संस्था उसे वैसे ही छोड़ देती है. जिसका फायदा दबंग उठाते हैं. ऐसे में अगर इन खाली स्थानों पर वेंडिंग जोन का निर्माण करा कर उसका आवंटन कर दिया जाता है तो न केवल फुटपाथ दुकानदारों की समस्या का समाधान होगा, बल्कि जाम की समस्या से भी निजात मिल सकेगा.
लंबी लड़ाई के बाद भी नहीं मिल सकी है अब तक मंजिल
यह दीगर बात है कि फुटकर दुकानदारों को प्रशासन का आश्वासन मिल रहा है. स्थल चिह्नित कर लिया गया है, मगर वेंडिंग जोन के निर्माण में अभी भी पेच फंसा हुआ है. अतिक्रमण के नाम पर सरकारी निशाने पर रहे फुट कर दुकानदारों को उच्च न्यायालय द्वारा मिले फैसले के बाद सरकार और विभागीय पत्राचार के बाद शहर में सर्वे कर दुकानदारों की सूची और उनका परिचय पत्र बनाने को लेकर बैठकें तो हुई,
लेकिन इन बैठकों का कोई ठोस नतीजा निकल कर सामने नहीं आ सका. शहर में वेंडिंग जोन को लेकर अभी भी संशय के बादल नहीं छंटे हैं और मंजिल अभी भी दूर है.

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