पूर्णिया : एक बार फिर से गुलाबबाग की विश्वविख्यात अनाज मंडी के दिन बहुरने की उम्मीदें बंधने लगी हैं. सरकार ने एक बार फिर से बाजार समिति को सजाने-संवारने को लेकर कवायद शुरू कर दी है. बाजार समिति गुलाबबाग के प्रशासनिक भवन के विभाग के अवर सचिव सुशील कुमार के साथ सदर अनुमंडल पदाधिकारी रविंद्र नाथ सिंह और सचिव के साथ आयी पांच सदस्यीय टीम ने व्यवसायियों के साथ बैठक की.
बैठक में व्यवसायी महासंघ के उपाध्यक्ष रूपेश डूंगरवाल, कृषि विपणन विभाग के कनीय अभियंता सुजीत सिन्हा,राज्य भवन निर्माण विभाग के वरिष्ठ वास्तुकार प्रदीप कुमार, एमडीआई पटना के एससी साह, एग्रीकल्चर ग्रोथ रिफॉर्म इंसेटिव विभाग के अविनाश कुमार, बाजार समिति गुलाबबाग के लिपिक राजीव कुमार उर्फ भंटू शामिल हुए. बैठक में सरकार के निर्देशों के आलोक में मंडी के विकास को लेकर कई बिंदुओं पर विचार-विमर्श किया गया. वर्ष 2013-14 में बने 116 करोड़ के मॉडल प्रोजेक्ट पर श्री डूंगरवाल ने अपनी बातें मजबूती से रखी.
चार साल पहले बना था मॉडल प्रोजेक्ट : वर्ष 2013-14 में तत्कालीन डीएम मनीष कुमार वर्मा ने पहल की थी. अक्षर धाम मंदिर का प्रोजेक्ट बनाने वाले आर्किटेक्ट को आमंत्रित कर मंडी का मॉडल प्रोजेक्ट बनवाया था जो 116 करोड़ का था. शाथ ही फोर्ड कंपनी से जीरोमाइल तक सिक्स लेन सड़क का भी प्रोजेक्ट बना था. उस समय व्यवसायी महासंघ ने भी खूब मशक्कत की थी. मंडी के व्यापारियों और किसानों में उम्मीद जगी लेकिन सिक्सलेन तो बना, मगर मंडी का प्रोजेक्ट फाइलों में गुम हो गया. फिर से सुगबुगाहट होने से व्यवसायियों की उम्मीदें फिर जागृत हो गयी हैं.
मंडी के ड्रीम प्रोजेक्ट का टीम ने किया खुलासा : बैठक में मंडी में जलजमाव ,जल निकासी, सड़क , भवन, बिजली पानी शेड से लेकर साफ सफाई, किसानों और व्यापारियों के मसले को लेकर करीब दो घंटे तक चर्चा का दौर चला. इस दौरान टीम ने मंडी की चारों दिशाओ की वास्तविक स्थिति का आकलन किया. सरकार के टीम के अनुसार मंडी में ड्रेनेज ,सड़क का नया निर्माण होगा. दुकानों की नयी इमारत तीन मंजिला बनेगी, जिस तरह मंडी में सीरीज सिस्टम से ब्लॉक बने हैं उसी प्रकार बाजार का नवनिर्माण और जीर्णोद्धार होगा. किसानों के लिए शेड का निर्माण होगा, जिसमें किसानों का अनाज सुरक्षित रखा जायेगा. मंडी में वेस्ट डिस्पोजल संयंत्र लगाकर भूसा और कचरे से रीसाइकिलिंग किया जायेगा और फ्रिजर भी लगेंगे.
वर्ष 2006 में कृषि उत्पादन बाजार समिति के विस्मृत होने के बाद मंडी में समस्याएं बढ़ी और मंडी का विकास रुकने के साथ मंडी की सूरत बिगड़ने लगी. सुविधाओं का अभाव और समस्याओं का बढ़ना जारी रहा. इसी बीच मंडी के कारोबारियों ने अपनी दृढ इच्छाशक्ति के बदौलत अनाज के कारोबार में मुकाम हासिल करते हुए मंडी की पहचान अंतरराष्ट्रीय मंडी में और मजबूत की. आज गुलाबबाग मंडी अनाज और मक्का के कारोबार की बदौलत अंतरराष्ट्रीय नक्शे पर दर्ज है.