जमीन है नहीं, कैसे विकसित हो मौसम पूर्वानुमान प्रणाली

मौसम पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करने की योजना खटाई में जमीन के अभाव में मौसम विभाग नहीं कर पा रहा योजनाओं को साकार पहले से साढ़े पांच हजार वर्गफीट जमीन, और दस हजार वर्गफीट जमीन की दरकार भूमि सुधार व राजस्व विभाग में दस साल से अटकी है फाइल पूर्णिया : भूकंप, चक्रवात, वज्रपात समेत विभिन्न […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 30, 2017 5:08 AM

मौसम पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करने की योजना खटाई में

जमीन के अभाव में मौसम विभाग नहीं कर पा रहा योजनाओं को साकार
पहले से साढ़े पांच हजार वर्गफीट जमीन, और दस हजार वर्गफीट जमीन की दरकार
भूमि सुधार व राजस्व विभाग में दस साल से अटकी है फाइल
पूर्णिया : भूकंप, चक्रवात, वज्रपात समेत विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के संवेदनशील जोन में शामिल पूर्णिया में आधुनिक मौसम पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करने की योजना खटाई में पड़ गई है. जमीन के अभाव में मौसम विभाग अपनी योजना को मूर्त रूप नहीं दे पा रहा है. करीब दस साल से जमीन का मसला राज्य सरकार के भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग में अटका हुआ है.
वर्तमान में स्थानीय मौसम विज्ञान केन्द्र करीब साढ़े पांच हजार वर्गफीट जमीन पर छोटे से भवन में संचालित है. मौसम केन्द्र को विस्तार देने के लिए उसे करीब 15 हजार वर्गफीट जमीन की आवश्यकता है. अतिरिक्त दस हजार वर्गफीट जमीन के लिए पिछले दस साल से वह मांग कर रहा है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक केन्द्र के आसपास काफी जमीन परती है. फिर भी उसे जमीन हासिल करने में काफी पापड़ बेलने पड़ रहे हैं.
वर्तमान में सिर्फ धरातल की मौसमी गतिविधि जानने की सुविधा : सेंट्रल जेल के बगल में स्थित मौसम विज्ञान केन्द्र की स्थापना करीब 30 साल पहले हुई थी. 64 वर्गफीट के कमरे में शुरू हुआ केन्द्र तबसे एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है. वर्तमान में इस केन्द्र में सिर्फ धरातल के निकट के वातावरण का जानने व मापने की सुविधा है. यही वजह है कि इस केन्द्र से अधिक ऊंचाई की मौसमी गतिविधियों का पता नहीं चल पाता है.
उपकरणों के रखरखाव के लिए लगेगा वर्कशॉप : मौसम विज्ञान से जुड़े उपकरणों के रखरखाव के लिए पूर्णिया केन्द्र में वर्कशॉप भी स्थापित करने की योजना है. जोनल इंस्ट्रूमेंट मेंटेनेंस सेक्शन को यहां स्थापित करने से इस केन्द्र की अहमियत भी काफी बढ़ जायेगी. मौसम वैज्ञानिकों के साथ-साथ टेक्निशियनों का जमावड़ा हो जायेगा. इससे खासकर उन छात्रों को सहूलियत होगी जो भूगोल या मौसम विज्ञान से जुड़े विषयों में अपनी जिज्ञासा शांत करना चाहते हैं.
धरातल से 32 किमी ऊपर तक निगरानी की योजना
मौसम विभाग की योजना है कि पूर्णिया केन्द्र में धरातल से 32 किमी ऊपर तक की मौसमी गतिविधियों की निगरानी रखी जा सके. इससे न सिर्फ आंधी व बारिश का पूर्वानुमान लगेगा बल्कि वज्रपात के बारे में भी सही समय पर सूचना लोगों तक पहुंचेगी. इसके लिए मौसम विभाग ने आरएसआरडब्लू तकनीक को इस केन्द्र में स्थापित करने की मंजूरी दे रखी है. आमतौर पर बारिश के दौरान उपग्रह से समुचित फीडबैक नहीं पाता है उस हालत में भी यह तकनीक कारगर होती है. खासकर वर्षाकाल में मौसम की निगहबानी के लिए इस संयंत्र को पूर्णिया में लगाने की योजना है. मगर जमीन के अभाव में यह तकनीक स्थापित नहीं हो पा रही है.

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