पूर्णिया. जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों में फ्लड फाइटिंग के लिए प्रशासन इस बार पूरी तरह तैयार और तत्पर है. बायसी अनुमंडल के प्रभावित निचले इलाकों में में न केवल कटावरोधी कार्य तेज कर दिए गये हैं बल्कि प्रभावित परिवारों को मदद भी दी जा रही है. याद रहे कि नदियों के जलस्तर में बढ़ोत्तरी की वजह से कई प्रखंडों में जल जमाव से लेकर कटाव की स्थति उत्पन्न हो गयी थी जिस पर जिला प्रशासन द्वारा तत्परता दिखाते हुए शीघ्र कार्य कराया गया. हालांकि गुरुवार तक विभिन्न नदियों के जल स्तर में गिरावट आने के बाद नदी किनारे के भाग में कटाव की स्थिति अभी भी बनी हुई है. वही कुछ कच्चे पक्के मकानों के साथ साथ झोपड़ियां भी कटाव का शिकार हुई हैं जिनकी विभागीय स्तर पर गृह क्षतिपूर्ति की भी व्यवस्था की जा रही है. ख़ास कर बायसी अनुमंडल के नदी क्षेत्रों में निचले हिस्से में पानी भर जाने के बाद आवागमन को भी सुचारू रूप से गतिमान रखने की दिशा में प्रशासन द्वारा नाव के प्रबंध किये गये हैं. साथ ही सड़कों को कटाव से बचाते हुए लोगों की हिफाजत और बचाव के लिए एसडीआरएफ की टीम भी कैम्प कर रही है. जिनके लिए बायसी के गांगर में स्थान का निर्धारण किया गया है.
आवागमन के लिए नावें बनी हैं सहारापरमान एवं महानंदा नदियों में जलस्तर बढ़ जाने की वजह से यातायात को सुचारू रखने के लिए नाव की व्यवस्था की गयी है. मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल 30 नावें उन इलाकों में चल रही हैं. बायसी के डीसीएलआर सह आपदा प्रबंधन प्रभारी टेश लाल सिंह ने बताया की बाढ़ के हालात से निपटने के लिए प्रशासन की ओर से आपदा प्रबंधन विभाग ने पूर्व से ही सारी तैयारियां पूरी कर ली थी. इनमें 40 सरकारी नाव एवं 60 निजी नावों की व्यवस्था, बाढ़ शरणस्थली के रूप में प्रभावित लोगों एवं पशुओं के लिए 3 – 3 सौ सुरक्षित ठिकानों के अलावा लोगों व पशुओं के भोजन की व्यवस्था को भी सुनिश्चित किया जा चुका है. मुख्य रूप से प्रशासन द्वारा बाढ़ के दबाव वाले प्रमुख इलाकों डगरुआ, बायसी, अमौर एवं रुपौली को ध्यान में रखते हुए तैयारियां की गयीं हैं. सभी स्थानों पर प्रखंड स्तर तक कंट्रोल रूम बनाए गये हैं साथ ही जिला मुख्यालय स्थित कंट्रोल रूम से भी हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है. बाढ़ की स्थिति से निबटने के लिए स्पेशल टास्क फ़ोर्स एवं बाढ़ निगरानी समिति भी हालात का पल पल ब्योरा रख रही है. श्री सिंह ने बताया कि विशेष रूप से 14 बोट के साथ 29 लोगों की एसडीआरएफ की टीम की भी तैनाती की गयी है. जबकि कटाव प्रभावित भागों में लोगों के बीच पौली शीट का भी वितरण किया गया है तथा सेंसेटिव साथ स्थानों पर हजार हजार सैंड बैग स्टोर किये गये हैं ताकि अविलम्ब हालात पर काबू पाया जा सके. इसके अलावा उन्होंने बताया कि 14 जगहों पर हुए कटाव को बम्बू रोल डालकर रोका गया है वहीँ 6 सड़कों के कटने की सूचना मिलने के बाद उसे फिर से मोटरेबुल बना लिया गया. जल जनित बीमारियों व अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के मद्देनजर इंसानों और मवेशियों के लिए पर्याप्त दवाइयां और मेडिकल टीम भी गठित की गयी है.
कहते हैं अधिकारी
फिलहाल सभी नदियां खतरे के निशान से नीचे बह रही हैं बाढ़ की स्थिति अभी नहीं है. नदी कटाव से 45 कच्चे पक्के मकान व 131 झोपड़ियों के प्रभावित होने की बात सामने आयी है जिनके लिए क्षतिपूर्ति प्रोसेस का कार्य चल रहा है. तमाम तरह की आपात व्यवस्था के साथ किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए जिला प्रशासन पूर्ण तैयार है. टेश लाल सिंह, आपदा प्रबंधन पदाधिकारी.फोटो. 18 पूर्णिया 17- टेश लाल सिंहडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है