PHOTOS: पूर्णिया में बाढ़ से मची तबाही का मंजर देखिए, गांव में चलने लगे नाव, नदी में समा रहे घर-मकान

बिहार के पूर्णिया जिले में बाढ़ अब कोहराम मचा रहा है. नेपाल में हुई भारी बारिश से सीमांचल की नदियों में ऊफान है. देखिए तस्वीरें..

By ThakurShaktilochan Sandilya | June 21, 2024 10:43 AM

नेपाल के तराई क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश ने बिहार में भी अब बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी है. कोसी-सीमांचल की नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. पूर्णिया के निचले इलाके में पानी अब फैल चुका है. कटाव की जद में कई गांव आ चुके हैं. लोग अपने घर-मकान को तोड़कर सुरक्षित स्थानों पर भी जाते दिखने लगे हैं. अमौर प्रखंड क्षेत्र मे भी कनकई, महानंदा, परमान एवं दास नदी के बढ़े जलस्तर से पानी निचले इलाके में फैल चुका है.

पूर्णिया में नदियों का जलस्तर बढ़ा

पूर्णिया में कनकई नदी का जलस्तर बढ़ा तो बाढ़ की भयावह स्थिति बन गयी है. सीमलबाड़ी नगरा टोल के लगभग 40 से 50 परिवार इस बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. टापू वाला नजारा अब इन गांवों में दिखने लगा है जहां पानी घर-आंगन में प्रवेश कर चुका है. खाड़ी महीनगांव पंचायत के मीरटोला महेश वथनाह गांव में भीषण कटाव हो रहा है. इस गांव का अस्तित्व भी अब खतरे में दिखने लगा है.

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दर्जनों घरों में बाढ़ का पानी घुसा

ग्रामीणों की शिकायत है कि बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण विभाग द्वारा कटाव से बचाव के कोई उपाय नहीं किए गए. बताया कि दो दिन में लगभग दर्जनों घर में बाढ़ का पानी घुस चुका है.

लोग छोड़कर जाने लगे घर, पानी ने खड़ी की मुसीबत

बैसा प्रखंड क्षेत्र होकर गुजरने वाली कनकई एवं महानंदा नदी का भी जलस्तर लगातार डरा रहा है. कई गांवों में यहां बाढ़ का पानी घुसने का खतरा बढ़ गया है. लोग यहां अपनी सुरक्षा की तैयारी शुरू कर चुके हैं. पशुओं को लेकर लोग ऊंचे स्थानों की खोज में निकल गए हैं. प्रखंड के काशीबाड़ी, हिजली, पोखरया, मठुआ टोली, हरिया, बरडीहा,मंगलपुर समेत कई गांवों में कटाव का संकट गहरा गया है. रायबेर पंचायत के हरिया गांव के नजदीक भीषण नदी कटाव जारी है और गांवों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है.

मानसून की बारिश और करेगी तबाह

बता दें कि नेपाल में हो रही बारिश ने इस संकट को और बढ़ाया है. वहीं बिहार में मानसून की बारिश अभी शुरू नहीं हुई है. मौसम विभाग ने बताया है कि अब जल्द ही मानसून की भी बारिश शुरू हो जाएगी. जिसके बाद लोगों की समस्या और बढ़ जाएगी. बताते चलें कि सीमांचल के अनेकों गांव हर साल बाढ़ का प्रलय झेलते हैं.

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