कानूनी पेंच में फंसा पूर्णिया से हवाई सेवा चालू होने का मामला, भूमि अधिग्रहण विवाद के कारण करना होगा इंतजार
चूनापुर सैन्य हवाई अड्डे से सीमांचल क्षेत्र के लोगों के लिए वायु सेवा का सपना हाल के दिनों में साकार होता नहीं दिख रहा है. सरकारी घोषणा एवं तेजी से भूमि अधिग्रहण कार्य पूरा करने के बाद लोगों की उम्मीद जगी थी कि जल्द ही सीमांचल के लोगों के लिए पूर्णिया से वायु सेवा शुरू की जायेगी. मगर, कानूनी पेच में फंसने के कारण हवाई सेवा का कार्य लटक गया है.
चूनापुर सैन्य हवाई अड्डे से सीमांचल क्षेत्र के लोगों के लिए वायु सेवा का सपना हाल के दिनों में साकार होता नहीं दिख रहा है. सरकारी घोषणा एवं तेजी से भूमि अधिग्रहण कार्य पूरा करने के बाद लोगों की उम्मीद जगी थी कि जल्द ही सीमांचल के लोगों के लिए पूर्णिया से वायु सेवा शुरू की जायेगी. मगर, कानूनी पेच में फंसने के कारण हवाई सेवा का कार्य लटक गया है.
ज्ञात हो कि पूर्णिया में हवाई सेवा शुरू करने के लिए 75 रैयतों की 52.18 भूमि अर्जित भी की गयी थी. इसमें 30 रैयतों की 17.89 एकड़ भूमि की दखल देहानी अधियाची विभाग को भेजी जा चुकी है. शेष 45 रैयतों ने मुआवजा राशि लेने से इंकार करते हुए भू-अर्जन के विरुद्ध उच्च न्यायालय पटना में वाद दायर कर किया जो अब तक लंबित है. वाद लंबित रहने से लगभग 34.28 एकड़ भूमि का दखल दहानी अधियाचना विभाग को अब तक नहीं भेजा गया है. लंबित वादों के निष्पादन के लिए जिला प्रशासन ने महाधिवक्ता से अनुरोध भी किया है. इसके बावजूद न्यायालय में सुनवाई नहीं होने के फलस्वरूप पूर्णिया एयरपोर्ट की भूमि अधिग्रहण कार्य कानूनी पेंच में फंसा पड़ा है.
बता दें कि एयरपोर्ट की जमीन अधिग्रहण से संबंधित कुल 75 भूधारियों में से 45 भूधारियों ने उच्च न्यायालय में अलग-अलग 09 रिट याचिका दाखिल करते हुए अपने जमीन को भूमिअधिग्रहण से मुक्त रखने की अपील उच्च न्यायालय से लगायी थी. इनकी रिट याचिका पर उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई करते हुए आदेश दिया गया था कि समाहर्ता अपने स्तर से पुन: इनका पक्ष सुने तथा राज्य सरकार के माध्यम से भूधारी का पक्ष न्यायालय में दाखिल करें. आदेश के आलोक में कोरोना के बढ़ते सक्रमण के बीच लॉकडाउन की अवधि में समाहर्ता द्वारा इनके पक्ष को सुना गया तथा इनके मंतव्य को कलमबद्ध कर विभागीय स्तर से उच्च न्यायालय को समर्पित कर दिया गया.
अकारण फैसले में विलंब होने पर लंबित वादों के निष्पादन के लिए जिला प्रशासन ने महाधिवक्ता से अनुरोध किया है. अब उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये आदेश के बाद ही एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण का मार्ग प्रशस्त हो पायेगा.
30 रैयतों की लगभग 17.89 एकड़ भूमि का दखल देहानी अधियाची विभाग को भेजा जा चुका है. शेष 45 रैयतों ने मुआवजा राशि लेने से इंकार करते हुए भू-अर्जन के विरुद्ध उच्च न्यायालय पटना में वाद दायर कर किया है. वाद लंबित रहने से लगभग 34.28 एकड़ भूमि का दखल दहानी अधियाचना विभाग को अब तक नहीं भेजा जा सका है. लंबित वादों के निष्पादन के लिए जिला प्रशासन महाधिवक्ता से अनुरोध किया है. वाद निष्पादन बाद ही भूमि अधिग्रहण का मार्ग प्रशस्त होगा.
अरविन्द कुमार भारती
जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, पूर्णिया.
Posted by : Thakur Shaktilochan